Sunday 26 December 2021

जड़काला के बात बतावत मितान ल चिट्ठी

जड़काला के बात बतावत मितान ल चिट्ठी


कोटा, दि. २०.१२.२१

मितान जी, 

      सीताराम 

दाई,ददा ला पांयलागी पहुंचे |

"इहां कुशल सब भांति सुहाई,उहां कुशल राखे रघुराई"

    

    का बूता चलत हे मितान जी ? धान लुवाई-मिसाई निपटा डारे होहू ? आजकल थ्रेसर अउ हार्वेस्टर मशीन के माध्यम से धान लुवाई-मिसाई के बूता ह एकदम सर हो गए हवय | अब संगे लुवाई-मिसाई अउ ओसाई बूता हो जाथे | धान ला टपटपौहन बोरी-बोरा म भर के सीधा मंडी म पहुंचा देथन | 

    *बड़े-बड़े किसान घर अब कोठी,किरगा,ढाबा देखे-सुने बर नइ मिलै ! कोनो एक्का-दूक्का घर कोठी बांचे भी हवय,तऊन निच्चट खाली पड़े रहिथे ! छूछू,मुसुवा मन फर्रा-फर्रा के भूख मरत रहिथैं,तेकरे सेती घर के कथरी,चद्दर,ओढ़ना,दसना ला कुतर डारथैं ! भूख म मुसुवा मन के गुस्सा स्वाभाविक हवय !*

     *तुंहर गांव डहर जाड़ कत्तेक हवय मितान ? हमर एती कालि-परन दिन ले जाड़ खूब जनावत हवय ! "चना-चबेना खवाई सहीं दांत किनकिनावत हवय ! एती भिनसार ले अउ संझा चार-पांच बजे ले ही भूर्री तपाई सुरू हो जाथे ! रात के कतको कथरी,कंबल ओढ़े रहिथन,तभो ले जाड़ हा खूब उतियाईल हो गए हवय ! रात-दिन हू-हू-हू-हू........ ! तेकर ले सियान-सियानीन अउ बुढ़वा जानवर के जीव अब्बड़ेच आफत म हो गए हवय !!!!!*

     *अहातरा जाड़ म लईका-सियान के खूब तोरा-जतन अउ सावचेती करे के जरूरत हवय ! कहूं कुछू दुख-सुख काम म बाहिर जाए के जरूरत पड़ जाथे,तब अपन ओढ़ना-दसना,कंबल भरपूर रखना जरूरी हवय*

    अब जादा का लिखौं ? तुमन तो खुद समझदार हवव | चिट्ठी पाते ही तुहूं मन चिट्ठी लिखिहौ | 

       तुंहर मितान

     *गया प्रसाद साहू*

        "रतनपुरिहा"

जै-जोहार

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 जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया:

 *****श्री गणेशाय नमः*****


20/12/2021

कोरबा(छत्तीसगढ़)




मयारू मितान।

                     जोहार।


*इहाँ कुशल सब भाँति भलाई*

*उहाँ कुशल राखे रघुराई।।।।*


 का काम बुता चलत हे, धान पान तो लुवा मिंजा के कोठी म धरा गे होही। मेला मड़ई के दिन अवइया हे, उही समय मेल मुलाकात होही। जंगल झाड़ी के सेती हमर कोती भारी जाड़ जनावत हे। संझा रतिहा अउ भिनसराहा चिटको नइ सुहावय। मंझनिया ल घलो मंझनिया कहत लाज आथे, एको कनी घाम नइ लगे। ऊँच ऊँच झुंझकुर पेड़ मन कटकिट ले पोटार लेथे, उँखर मारे बचथे, त हमर अँगना म आथे ,घाम ह थोर थोर। गाँव कस अलाव, अंगेठा, भुर्री, भभकी म हाड़ मास सेकें, बरसो होगे। जड़काला म तुम्हर सँग घूमे फिरे दिन के अब्बड़ सुरता आथे। काम करत, खेलत कूदत बेरा तो दूनो मितान पूस के जाड़ ल घलो पटखनी दे देवत रेहेन। तरिया नन्दिया के किकिनावत पानी घलो हमर कहाँ कुछु बिगाड़ पावत रिहिस, ए पार के वो पार तरिया ल होत भिनसरहा सुबे स्कूल जाय के दिन नाप देवत रेहेन।फेर आज तो कातिक लगन नइ पाय अउ गरम पानी म नहवई खोरई चालू हो जथे। बिन गरम कपड़ा के पल्ला गाँव म भागन, ते आज कतको ठन स्वेटर लदकाय हे तभो जाड़ नइ भागत हे। लइका लोग के का कहँव, नाक कान सियान मनके घलो सनसनावत हे, बिन मोजा जूता स्वेटर साल अउ हीटर ब्लोवर के रही पाना मुश्किल हे।बड़ जाड़ हे मितान, बड़ जाड़, हमर कोरबा म।

                     *तुम्हरो कोती बड़ जाड़ जनावत होही, फेर तुमन के काया हाड़ मास के थोरे आय, कठवा लोहा के आय। एक ठन बण्डी पहिर के घलो पूस ल पटक देथो। काम बूता म रमे रथो त का जाड़ अउ का हाड़, कुछु के होश नइ रहय। तुम्हर ठाहिल काया अइसने सदा बने रहे, जाड़-शीत, पानी-बादर,घाम -प्यास तोला देख के हाथ रमजे। मितानिन अउ लोग लइका मन घलो भुर्री,अउ रौनिया के आनंद लेवत जाड़ ल बिजरावत होही। अउ तो बाकी सब बढ़िया हे, ले अब झट मिलबों, ताहन मन भर गोठियाबों। ए बीच म चिट्टी पाती आपो मन भेजहू।*


*जोहार*


                                                            तुम्हर मितान

जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

[12/20, 10:14 PM] +91 99933 04875: दिनाँक--२०/१२/२०२१

                छुरिया



जय जोहार मितान!

   

            हमन इंहा सबो झन भगवान के किरपा ले बने-बने हन मितान। अउ आसा करत हो तहूँ मन बनेच-बने होहू। धान-पान ल सबो सकेल डारे होबे, नहिते बेच डारे होबे घलो। ये साल तो पानी-बादर के मउसम के मारे खेत डहन थ्रेसर में मिंजवा डारेव जी,नहिते मेहा बैला-गाड़ी अउ बेलन वाले हरो। भइगे ऐसो धान के टोकन कटाय बर एककनि पिछवा गेंव, ते मोर नम्बर ह जनवरी के 5 तारीख के आये हे। का करबे मितान ये साल बोरा नई मिले कहिके सुने हो तब ले मोर बोरा दौड़ चालू रिहिस। इंहा-उन्हा बोरा खोजई में परसान हो गे रेहेंव। लटे-पटे में मोर सारा टूरा ह, गाड़ी चलाथे तेहा बोरा के बेवस्था ल करिस। वहू ह अब्बड़ महंगा हे भांटो कहत रहय।


           ऐसो तो येदे तीन-चार दिन होय हे हमर कोती जंगल के सेती ते काय जाड़ ह मार नंगत के दवंत हवे जी। में तो दिन भर स्वेटर ल नई निकालो। बड़े फजर और सांझकुन तो कनकने-कनकन करत रथे। पहिली शनिच्चर के बिहिने स्कूल जावन त तरिया ले कूद के नहावन अउ चल देत रेहेन,अब तो नई सकाय जी। गरु-गाय मन ल बेर चघथे त निकालथो। हमर घर के लिम पेड़ से सेती घाम ह घलो जल्दी नई आये। खोर में निकल के घाम तापे ल लगथे। हमरो घर दाई ह गोरसी असन बड़े जान बनाये हे, सांझ के उही मेर आगी ल बार के नान-नान खोरसी मन ल धराके तापत माई-पिला जोरियाय रथन। खाय के बेर घलो गोरसी के चारों-मुड़ा बैठ के खाथन। रात के तीन-चार ठन चद्दर ल दूनो के सुतथन,तिन्हक ले बैरी जाड़ ल पीछू नई छोड़े। पहिली अब्बड़ लकड़ी मिले मितान त हमर घर के बीच दुवार म अंगेठा बार के तापत रहन। ते तो जानत हस।अब तो जंगल कटई के मारे लकड़ी घलो नई मिले जी। नहिते अंगेठा ह हमर घर अउ कोठार के झाला कर कभू नई छोड़े।


          चना-गहुँ, लाख-लाखड़ी ल उतेर डारे होहू जी। हमर डहन भांठा भुइयां म ओनहारी नई होय मितान,महुवा ह हमर बर ओनहारी-सियारी आये। उही ल नंगत के बिनथन। ऐसो नोनी बर अब्बड़ सगा घलो आवत हे मितान,बने-बने जम जही त बर-बिहाव ल जोखबो। तीनक काठा चना ल राखे रबे जी। अउ 14 जनवरी के हमर गांव के मड़ई हवे,मितानीन ल ये पइत लाबे मितान। अउ चना भाजी बने उलहोय होही,दूनो झन एक मोटरा टोर के लाहू। दाई ह चना भाजी बर अब्बड़ टोर करथे।


    ले बचिस ते गोठ ल मड़ई म आबे त गोठियाबोंन जी।

  दाई-ददा ल परनाम अउ लईका मन ल आसीरबाद!



                            तुंहर मितान

                          हेमलाल सहारे

[12/22, 5:56 PM] हीरा गुरुजी समय: तारीक- 22/12/2021

 आवासपारा छुरा 

मयारुक मितान,

                सीताराम,

          इहाँ हमन सपरिवार कुशल मंगल से हावन। तहूमन उहाँ सबे झन बने बने होहू। फूलदाई, फूलददा ला पाँव पलगी पहुंचे अउ लइका मन मया असीस। अउ अभी तुहँर काय बूता चलत हे ? धान पान तो बेचा गिस होही। मितानीन के ड्यूटी हा अभी गाँवेच के अस्पताल मा हावय कि कहू दूसरे गाँव मा चल दे हावय। बड़े नोनी हा एसो कालेज मा भर्ती होइस होही। हमर मोनी घलाव पहिली कालेज गिस हावय।

             हमर जंगल अउ नदिया खँड़ के गाँव मा पाँच छे दिन होवत हे अबड़ जाड़ परत हे। हाथ गोड़ मा ठुनठुनी धरती हे। टंकी के पानी करा बरोबर लागथे। काली दू ठन नवा बलांकिट बिसाय हँव। मोर बर बिना बाँही के स्वेटर अउ तुँहर मितानीन बर कनचपी घलाव बिसाय हँव। पहिली असन भेड़ी के कमरा अब नइ मिलय, चाइना बलांकिट चलत हे। हमन अब जाड़ के देखत संझा बिहनिया चूल्हा मा आगी बारथन। नहाय बर पानी गरम करे के संगे संग साग भात घलाव बन जाते। संझा भात साग राधे खाय पाछू सुते के बखत ले चूल्हा कर सबो माईपिला टेके रथन। एसो के जाड़ थोकिन उपराहा जनावत हे मितान। गैस अउ बिजली माँहगी पर थे।आज बिहनिया अगेठा तापेबर परोसी घर घलो गय रहेंव।।

          हमर इस्कूल मा अभी हड़ताल चलत हे।धरना देय बर तीन दिन रायपुर गय रहेंव। जाड़ ला देख के लहुट आयेंव। कतको स्वेटर, मफलर बांधबे तभो जाड़ेच लागथे।अउ जादा काला बताहूँ। हाँ! 14 जनवरी के मड़ई मेला होही एखर नेवता पहिलीच ले देवत हँव। मितानीन ला छुट्टी लेय बर कहि दे रहू।भरोसी ले मड़ई बर आहू। अउ गोठबात हा मड़ई बर आहू तब होही।

          चिट्ठी के अमरे पाछू चिट्ठी लिखहू। फूलदाई, फूलददा ला पाँव पलगी, लइका मन ला मया असीस।

              जोहार!

            सीताराम!



     तुँहर मितान

हीरालाल गुरुजी

छुरा, गरियाबंद

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