Friday 3 December 2021

जइसन ला तइसन

 : जइसन ला तइसन

एक ठन राज मा भीम नाम के राजा रहय। राजा बड़ धनवान रहय। बडे़-बडे़ महल अटारी मा खजाना के भंडार भरे रहय। तभो ले राजा के नीयत हर बेरा कुबेरा डोल जाय। राजा के परोस मा गरीब किसान रहय। छितका कुरिया मा कइनो गुजर बसर होय बपुरा के। फेर घर बनाहूँ

सोच के १० कुन्टल छड़ घलो मँगा लिस। फेर रखे कहाँ घर मा ठउर नइ रहे। वोला राजा के सुरता आइस, अतेक बड़ महल हे, छड़ मड़ाय के जघा मिल जाही, सोच के किसान राजा के महल पहुँचिस। कथे "महराज मँय घर बनावत हँव,मोर नानकन घर मा छड़ मडा़य के जघा नइये। किरपा करके अपन महल मा जघा दे देतेव मालिक।' राजा कथे 'जा कोठार मे मढ़ा दे'। किसान राजा के कोठार मे छड़ ला जतन देथे। येती किसान घर बनाये के शुरू करथे त छड़ के जरूरत परथे,किसान राजा के महल मे जाके कथे' महराज मोला अपन घर बर अब छड़ के जरूरत परत हे त मँय छड़ ला अपन घर ले जाना चाहत हँव। राजा कथे 'तोर छड़ ला तो घुना खा दिस जी' सुन के किसान दंग रहि जथे। कहूँ छड़ ला घुना खाही।अकबकाये किसान हा राजा के चाल ला समझ जथे।अउ मने मन सबक सिखाये के योजना बनावत कलेचुप लहुट जथे।किसान अपन बाई दुनो कुछु सोच बिचार करथे अउ दूसर दिन गाँव भर के लइका मन ला अपन घर खाना खाय के नेवता भेजथे। राजा के बेटा ला घलो भोजन के नेवता देथे। गाँव भर के लइका मन आथे किसान सबला पेट भर भोजन कराथे। राजा के बेटा घलो आथे। सब लइका खाना खा के अपन अपन घर चल देथे। 

येती किसान हर राजा के बेटा ला घर नइ जान दे अउ  पठौहाँ मे धाँध देथे। बेटा नइ लहुटे ले राजा ला चिन्ता हो जथे। वो अपन नौकर ला भेजथे किसान के घर। त किसान कथे राजा के बेटा ला तो चील लेगे। चील ले गे- - चील ले गे - - चारो कोती हल्ला हो जथे। राजा सुनथे ता बाय बियाकुल हो जथे।

 राजा तुरते पंचायत सकेलथे। चारो कोती सइमो- सइमो, आखिर राजा के पंचायत ये। किसान ल बलाय जाथे। राजा कड़क के पूछते 'बता मोर लइका कहाँ हे।वोतेक बड़ लइका ला चील कइसे उठाइस होही' ।किसान हाथ जोड़ के कथे ' कइसे नइ उठा पाही महराज जब छड़ ला घुना खा सकथे ता लइका ल घलो चील उठा सकते'। राजा सकपका जथे अउ मुड़ी ला नवा दे थे। राजा भरे सभा मा अपन गलती ला कबूलथे अउ छड़ ला लहुटा देथे।अउ किसान ह राजा के बेटा ला। 

सीख - दूसर के जिनिस मा  लोभ नइ करना चाही। ना कोनो ला कमजोर समझना चाही। 


शशि साहू बाल्को नगर कोरबा।

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