Thursday 30 December 2021

निबन्ध *सोशल मीडिया*

 *निबंध*


निबन्ध

*सोशल मीडिया*


       आज मनखे के जिनगी के रफ्तार बाढ़गे हवय। सबो उत्ताधुर्रा रेंगे धर ले हें। सब दउँड़त हें। कोनो दू मिनट रुक के गोठिया लन नइ सोचत हें। विज्ञान ले पैदा होय मशीन के बीच बूता करत-करत सबे मशीन बरोबर होगे हें। कोनो ककरो चेत नइ करत हें। सब अपने म भुलाय हे। थोरको समे मिलिस तहाँ चार आँगुल के मोबाइल म मुड़ी गड़ियाय नवा दुनिया म भुला जथे। जेखर मुड़ी-पूछी दूनो के बरोबर चिन्हारी नइ होय। इही आभासी दुनिया के नाँव आय सोशल मीडिया। नाँव भले सोशल हवय, फेर जमीन म एको सामाजिकता नजर नइ आवय। ए मीडिया के माया सबो के चेत हर ले हे। कुछू होय एक ठन गोठ यहू हे सोशल मीडिया ह दूर दूर के मनखे ल लकठा म ला दे हवय। तिर म बइठ के भले नइ गोठियाही, सोशल मीडिया म जुड़ के बधाई शुभकामना दे म कोनो पीछू नइ रहय।

       विज्ञान के तरक्की के सँघरा मनखे तरक्की कर ले हे। सोशल मीडिया के आय ले सब एके तिर जुरियाय सहीं लगथें। जंगल म आगी लगे बानी कोनो खबर सरी दुनिया म बगर जथे। व्हाट्सएप व्हाट्सएप खेल म भला कोन कखरो ले पीछू रहना चाहथे। एकरे सेती बिन मुड़ी-पूछी के सब वायरल होय धर लेथे। डर इही गोठ के रहिथे कि कोनो गलत खबर फइलय झन। जेकर ले कोनो मुसीबत म मत आ जय। नवा-नवा खोज मन के कुछ नफा हे त नकसान घलव हे। एला उठाय ल तो परही। सोशल मीडिया म आय जम्मो खबर ल अपन कोति ले जाँच परख के भरोसा करे के आय।

        शिक्षा के क्षेत्र म सोशल मीडिया के उपयोगिता अउ महत्तम ल कोरोना काल ह सब ल समझा दे हे। ऑनलाइन क्लास के चलत पढ़ई ह पटरी म सही सलामत चलत हे। नइ त बड़ मुश्किल होगे रहिस। जेन मन कोनो भी कारण ले ऑनलाइन पढ़ई नइ कर पाइन ओमन के पढ़ई ह पटरी म नइ लहुटे ए। अड़चन होवत हे। घिलरत हवँय। सोशल मीडिया के युग के भरोसा नवा नवा विषय के जानबा घर बइठे हो जात हे।

         सोशल मीडिया म साहित्यिक गोष्ठी, संगोष्ठी अउ कार्यशाला के पूरा आगे हवय। रोज कतको नवा कवि अउ लेखक पैदा होवत हे। कापी पेस्ट करके कखरो रचना ल अपन नाँव ले पोस्ट करइया मन के कोनो ठिकाना नइ हे। इही तरा ले पुरस्कार अउ सम्मान के जुगाड़ घलो कर लेवत हें। अइसन मन नवा नवा संस्था बनाके ई-प्रमाण पत्र बाँटत फिरत हें। तहूँ खुश अउ महूँ खुश कहिके एक दूसर ल सम्मानित करत हें। ए साहित्य बर बड़का नुकसान आय। फेर एकर ले नवा पीढ़ी म साहित्य कोति रूझान बाढ़े हे। ऑनलाइन माध्यम ले कतको झिन साहित्य सेवा करत हें। छत्तीसगढ़ी साहित्य म *छंद के छ* नाँव ले 200 ले आगर छंद साधक जुड़गे हे। *जेकर संस्थापक श्री अरुण कुमार निगम जी हें।*  ए ह छत्तीसगढ़ी साहित्य बर सोशल मीडिया के सबले बड़े वरदान आय। अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य बर श्री निगम जी के समर्पण आय। जे ह छत्तीसगढ़ी छंद बर सदा दिन स्तुत्य रइही। 

       आज मनखे के भागमभाग अतेक हे कि दुख-सुख के नेवता हिकारी अउ तीज परब के शुभकामना दे म सोशल मीडिया बड़ उपयोगी हे। हम दू हमर दू के चलते एकसरवा होवत मनखे बर जेन खोजेंव तेन पायेंव बरोबर आय सोशल मीडिया ह। 

        सोशल मीडिया म अइसन कतको सुविधा हे जेकर ले बइठका आयोजित करे जाथे अउ  कार्यक्रम घलव संपादित होथे।

      जिहाँ चाह, तिहाँ राह बरोबर सोशल मीडिया कमई के जरिया बनगे हे। यू ट्यूब चैनल एकर एक ठन उदाहरण आय।

         मनखे भले रोजी रोटी अउ चाहे कोनो कारण ले घर परिवार ले दुरिहा जाय, सोशल मीडिया उँकर बीच के दूरी ल सकेल के लकठिया देथे। एकर ले जादा मनखे ल अउ का चाही। आपस म मया बढ़ात सोशल मीडिया सब ल जोरे राखय अउ मनखे मीडियाई जिनगी के संग सिरतोन के जिनगी म अपन चेत घलव लगाय राहय, तब घर दुआर म सुख शांति रइही। नइ ते सोशल मीडिया घरू फसाद के जड़ बन जही।


*पोखन लाल जायसवाल*

पठारीडीह पलारी

9977252202

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