Friday 3 December 2021

हास्य ब्यंग------- ==भाव बढिस बंगाला के===

 हास्य ब्यंग-------


==भाव बढिस बंगाला के===


       भोरहा मा झन रहिबे बाबू जी, समय आथे तब घुरवा के दिन घलो बहुरथे। काली तक मोला कोनो सोजबाय पूछत नइ रिहिस । आज मोर नाॅव सुनके खीसा मे जड़कला समावत हे।खीसा मा हाथ ड़ारत हाथ काॅपत हे। काबर  कि आज मॅय हर कपार ऊंचा करके रेंगत हवॅ। भले मोर ठाठ बाठ कतको दिन बर रहय । फेर मोला मौका मिले हे तब मॅय तो अॅटियाके लेंगबे करहूं। मोला लगथे कइयो जमाना के बाद मोर अवकात ला जनता जाने हे। ये बात ला मॅय हर निहीं रे भाई वो बजार के बंगाला कहत हवे । वोकर कारन अतके हे कि अचानक महिना दिन ले बंगाला के भाव सब साग भाजी ले जादा होगै।

         ओकर ठसन ला देख के चेंच भाजी जेकर तारी बंगाला सॅग कभू नइ पटिस, ताना मारत काहत रहय-------मेछराले    दुवे चार दिन इतराले रे बंगाला। पाच साल वाले होते ते का नइ करते । आगू के दुकान ले गोंदली उर्फ पियाज कहत हे-------हम तोर हाल जानत हन बंगाला अकरस पानी के सपेड़ा मा परबे तब टरक मे जोर के लेगहीं अउ सड़क के बाजू मा ढकेल के जाहीं। हरहा नेता कस हाल तोर होही । हर साल तोर हाल देखत हन। समे आवन दे घर के रबे न घाट के। ये तो सरकार के नाइन्साफी के सेती हम बैपारी मन के काला बजारी जमाखोरी ले बोचक के सफेद बजार मा फटेहाल डालर के भाव बेचावत हन। बंगाला कथे------कभू काल मा मैहर आज उपर उठेंव त सबके आॅखी गड़त हे। आज मॅय रोज बजार अखबार अउ मनखे के जबान चढे हवॅ तब सब जलन मरत हव। जेन दिन मोर हाल सरहा भाजी के लाइक नइ रहय। दस रुपिया मे चार किलो जाथॅव तब मोर आॅसू पोछे बर कोनो नइ आवव। इंहा तक कि रायगढ डहर के मन तो बिन मोल के हे कहिके मोर उपर टेक्टर चढा के रउद देथे। तब मोर आतमा का कहत होही? हारे नेता के तिर मनखे तो का माछी नइ ओधे अइसे हाल घलो रथे। कतको उजबक मन चिरकुट नेता के भासन मंच मा सरहा के जगा मा टाटक ला फेंकथे। तभो मॅय अपन आप ला कोसत रथों । फेर आज मोर तकदीर ला देख तुंहरो मन ले उंचहा जगा पाये हवॅ। ताना मारे के मिले मउका ला कड़हा भाॅटा गॅवाना नइ चाहत रहय। वो कथे-------अतको ऊंचा का काम के जेमा आदमी उपर कोती देखबे नइ करे ।अगास मा कतको उड़ आबे आखिर धरतीच मे। 

         मुंह अइंठत गोंदली ला देखके बंगाला कथे--------अब भाव खाना छोड़ दे गोंदली ।जतका आदर सम्मान मनखे समाज मा तोर हे ओतके मोरो हे। फेर तॅय कहूं जमाखोरी मुनाफाखोर बैपारी के सपेड़ा परबे तब तोला जबरन ऊंचा करही। येकर ले साफ हे कि तोर खुद के औकात नइये। मोर अपन अलग पहिचान हे। मॅय चाहे दस रुपिया किलो जाॅव चाहे सौ रुपिया किलो। मोर पहिचान अउ स्वाभिमान ला तॅय नइ गिरा सकस। मोर उमर भले चरदिनिया हे फेर मॅय कोनो बनिया के गोदाम मा कैद नइ रहवॅ। हम चलत फिरत दुनियादारी के बजार ला देखत रथन।  वो तोर बाजू मा बइठे हे आलू मोला जादा घूर के झन देखे अउ वो ह मोर सॅग का बात करही जइसे बिना गठबंधन के सरकार नइ चलय ओइसने बिना गठबंधन के आलू के साॅस नइ चलय। हालाकि तोर व्यक्तित्व अटल बिहारी कस हे तभोले तॅय अकेला सरकार नइ चला सकस । तोर सॅग जब तक चना  गोभी  कुंदरू साथ नइ दिही  कुछ नइ कर सकस। हम बहुमत मा जीते या हारे हुए निर्दली कस हन। कच्चा पक्का कइसनो होवय सील लोड़हा मे रगड़ा के ही अपन शान बना के रखथन। हम छेल्ला रहने वाला हरन। वो गोदली कस राजनीतिक लफड़ा मा नइ रहन। ओकर नाॅव लेके संसद असन मा हल्ला होवत रथे। पियाज के जमाखोरी काला बजारी बंद करव कहिके। तोर ला तिहीं जान के झन ला रोवाबे काकर कुरसी गिराबे तेला । आज  मोर भाब बढे के खुशी मा मॅय नाॅचत हाॅसत हवॅ। तब दाॅत मत कटर ।


राजकुमार चौधरी "रौना"

टेड़ेसरा राजनादगाॅव🙏

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