Friday 17 December 2021

कहानी-डर्टी गर्ल

 : डर्टी गर्ल

                                चन्द्रहास साहू

                          मो  8120578897


एक झन टुरा आय ओहा ।

एक झन टुरी आय यहु हा ।

टुरा वइसने रिहिस जइसे आने टुरा मन रहिथे नान्हे चुन्दी वाला कुरता जिंस के पेंट अऊ गोड़ मा जूता।

टुरी घला वइसने रिहिस जइसे आने टुरी मन रहिथे कुरता फ्राक लम्बा चुन्दी लाल फीता दु बेनी गथाएं अऊ चप्पल पनही।

सिकल टुरा के दमकत रिहिस।

टुरी के सिकल घला दमकत रिहिस अपन पुरती।

टुरा चूक ले पावडर लगाये रिहिस।

टुरी घला पावडर लगाये रिहिस- चोरोबोरो।

टुरा काजर अंजाये रिहिस- चूक ले।

टुरी घला काजर अंजाये रिहिस-चोरोबोरो,लिपिस्टिक घला चोरोबोरो।

टुरा ला ओखर दाई तियार करे रिहिस।

टुरी ला घला ओखर दाई तियार करे रिहिस।

टुरा बारा बच्छर के।

टुरी घला बारा बच्छर के।

टुरा मोर  परोसी आय नवा कॉलोनी के बंगला वाला घर के ।

टुरी घला  परोसी आय जुन्ना घर के खाल्हे बस्ती के ।

                    आज इतवार आय। दुनो कोई गंगरेल जावत हावय अपन - अपन गाड़ी मा। मंदिर मा दूध पियईया दाई असन  बइठे अंगारमोती दाई । तभे तो दुनिया- दुनिया के माइलोगिन मन आथे कोरा हरियाये बर।  धजा- पताका ले साजे मंदिर । मंदिर मा झूलत घंटी - घन्टा अऊ उहा ले आरो आवत ठिन ठिन...ठनन -ठनन ...अब्बड़ सुघ्घर। दाई के पांव पखारत, जलरंग - जलरंग करत अथाह बांध । सुरुज अंजोर पानी मा परथे तब अब्बड़ सुघ्घर दिखथे। लहर - लहर लहरावत पानी । अऊ ओमा खलबिल - खलबिल करत, उबुक- चुबुक होवत मछरी । नजर भर देख ले पानीच पानी। ओमा तौरत डोंगा अऊ पानी जिहाज जइसन डोंगा दूर- दुरिहा मा धुन्धरहा दिखत पहार- परबत जंगल- झाड़ी । अगास टंगाये  हावय ओमा।

सुघ्घर गार्डन। गार्डन मा मनभावन रिकम- रिकम के फूलपत्ती पेड़ - पौधा । पथरा ला रच के बनाये  नदी पहार  के सुघराई ..अब्बड़ सुघ्घर। फिसल पट्टी,भांवरी, झूला, चढ़े- उतरे खेले के लोहा के जिनिस।  गदबदावत लइका मन अऊ गमकत गंगरेल।

"ऐ..ऐ... डर्टी गर्ल ...!''

टुरा आवय देखते साट आरो करिस।

टुरी घला अब चिन्ह डारिस। 

पाछु दरी देवदुत बनके आये रिहिस इही टुरा हा।

 डोकरी दाई के पहिराए ताबीज़ मा हाथ मड़ाइस अऊ मंतर पढ़ीस - "अन्नपूर्णा दाई अपन नानचुन परी बेटी ला जेवन करा, खाना दे । बेटी लांघन हावय ।'' जोर - जोर ले चिचियाबे ताहन देवदुत  ला पठोही अन्न्पूर्णा दाई हा । अइसना तो केहे रिहिस टुरी के डोकरी दाई हा। जब लांघन रहिथे तब इही मंतर ला चिचियाथे। आज सिरतोन मंतर काट करिस ।  टुरी मंतर पढ़ीस।  टुरा हा अब मटर पनीर अऊ सोहारी के प्लेट ला धर के आइस अऊ टुरी ला  दे दिस । 

...अऊ टुरी हा । बदला मा झूलना झुलावत हावय टुरा ला। ससन भर झूलना झुलिस टुरा हा। ...अऊ टुरी के पारी आइस तब कान मा आरो आइस ।

"व्हाट आर यू डूइंग माई लिटिल किंग ? ये हमारे सोसायटी के बराबर के नही है। किप डिस्टेंस फ्रॉम डर्टी गर्ल ..।''

 टुरा के मॉम रिहिस । टुरा ला बरजिस अऊ चेचकारत लेग गे। टुरी भलुक आखर ला नइ जानिस फेर भाव ला समझ गे।

"ऐ..  ऐ...डर्टी गर्ल !''

टुरी आरो ला सुनिस । छिन भर के सुरता ले निकलिस अऊ टुरा के तीर मा अमरगे।

टुरा फेर झूलना मा बइठ गे अऊ टुरी ला झुलाये बर आरो करत हावय।

"ओ दिन के मटर पनीर सोहारी सुघ्घर लागे रिहिस । आज घलो लाने हस का मोर बर देवदूत बनके ?'' 

टुरी पुछिस जीभ ले होठ ला चाटत ।

नो ..आई हैव....। टुरा अंग्रेजी छोड़के छत्तीसगढ़ी मा गोठियाइस। छत्तीसगढ़ी भाखा सीखोये रिहिस न काम वाली बाई हा।

" नही ..नइ लाने हव।''

 "झूलना झूला न !''

 टुरी झूलना झुलाये लागिस।

टुरी झुलावत हावय अऊ टुरा झूलत हे चुई.. चुई..सुई...सुई...सरर...सरर..झूलना ले आरो आवत हावय। दुनो के गोठ बात हा.. हा.. ही..ही..।

"तोर बाबू का करथे ।'' टुरी किहिस।

"मोर डैडी झिल्ली के बुता करथे । बड़का बड़का फैक्ट्री हावय सड़क तीर मा, पालीथिन प्लास्टिक खुरसी मेज दरवाजा ड्रम  बनाये के। '' टुरा बताइस अऊ पुछिस घला।

"तोर बाबू का करथे ?''

"मोरो ददा हा झिल्ली के बुता करथे। बड़का बड़का हुंडी हावय जुन्ना झिल्ली टुटहा प्लास्टिक खुरसी मेज दरवाजा अऊ ड्रम के।''

टुरी बताइस अऊ पुछिस घला।

"तोर दाई का करथे।'' 

"मोर मॉम हा बुता करथे। फोरव्हीलर गाड़ी मा जाथे पर्स टिफिन धर के।''

 टुरा बताइस अऊ फेर पुछिस चटाक ले।

"...अऊ तोर दाई हा ?

" मोर दाई हा घलो  फोरव्हीलर.... टुटहा ठेला मा जाथे कमाये बर। दाई हा ठेला ढूलावत- ढूलावत थक जाथे तब कभू- कभू ददा हा मोला अऊ दाई ला  बइठार के ठेला ला ढकेलथे।

"स्कूल जाथस ?

"हा। अब्बड़ बड़का हावय  हमर स्कूल । बड़का बिल्डिंग, बड़का  क्लासरूम, बड़का टॉयलेट अऊ बड़का खेल मैदान।''

"..अऊ तेहा ?''

"हव, अब्बड़ बड़का हावय मोरो स्कूल हा।बड़का बिल्डिंग खपरा वाला । परेवा गुटूर - गुटूर करत रहिथे । बड़का  हाल, छेटवी ले आठवी तक एक संघरा बइठथन । टॉयलेट छोटे अऊ मैदान बड़का जिहा अमली के पेड़ अऊ......।''

टुरी बताइस अऊ पुछिस।

"बड़का होके का बनबे ?''

डैड कहिथे प्लास्टिक के चार फैक्टरी ला चालीस ठन बढ़ाबे अऊ चालीस हजार नौकर चाकर राखबे। अइसने सपना हावे  डैडी के।''

"तेहा का बनबे ?''

टुरी बताइस

"मोर ददा कहिथे चार आखर पढ़ ले । रांध गढ़ के चार झन ला खवा लेबे । माइके ससुरार के चार झन के आगू अपन नाव के अंजोर बगराबे अइसना सपना देखथे ददा हा।''

 टुरी बताइस अऊ पुछिस।

"तोर घर कोन कोन हावय ?''

"मे, डैडी अऊ मॉम।''

"बस.. तीने झन'' ... हो हो ....टुरी हासे लागिस। पुछिस।

"तोर घर ?''

"मे, दु झन मोर बहिनी, मोर भाई ,कका -काकी, ओखर बेटी -बेटा, डोकरी दाई अऊ डोकरा बबा...। टोटल छब्बीस झन। ''

अंगरी मा गिन के बताइस टुरी हा।

"तोर डोकरी दाई हा नरी मा नइ बांधे हे ताबीज तोर भूख भगाये बर... ? अन्न्पूर्णा दाई के मंतर... अऊ कभू- कभू देवदुत ला भेज के जेवन पठो देथे.....। पाछु दरी आये रेहेस न तेहा मटर पनीर धर के । 

"अरे मोला खाये ला नइ भाइस तब कुकुर कर फेके ला जावत रेहेंव। तोला देख पारेव अऊ तोर आगू मा डार देव।''

टुरा किहिस चटाक ले।

त...देवदुत...? टुरा के सिकल ला देखत रिहिस टुरी हा।

"देवदुत नइ होवय, सब अंधविश्वास आय ।'' टुरा किहिस।

"तोर डोकरी दाई अऊ डोकरा बबा नइ हे का ..? ओखरे सेती अइसना काहत हस। कहा गेहे ?'' टुरी पुछिस।

"मोर डोकरी दाई अऊ बबा हा महारानी अऊ महाराजा बनगे हे। बड़का - बड़का हाथी- घोड़ा, नौकर -चाकर, तलवार - तोप, बंदूक -भाला सब हावय। खाइ - खजाना, पिज्जा - बर्गर, इडली - डोसा, काजू -बादाम, खोवा- जलेबी सब मिलथे उहा । टीवी के रामायेन सीरियल मा देखे हस बड़का-बड़का महल बिल्डिंग ला, वइसने हावय मोर डोकरी दाई बबा के घर हा।'' टुरा गरब मा फुलत रिहिस।

"तेहा देखे हस जम्मो ला ?'' टुरी पुछिस।

"नही ... मॉम बताथे ।''

"का नाव हावय ओ राज के ?''

"वृद्धाश्रम राज नाव हावय । जब बड़का होहु न तब मॉम डैड ला उही राज मा पठोहू। वृद्धाश्रम राज के मॉम हा महारानी रही अऊ डैड हा महाराजा रही।''

 टुरा जइसे भीषम किरिया खावत किहिस।

झूलना अपन गति मा फेर बाढ़गे। हवा मा तौरे लागिस टुरा संग। 

टुरी गुनत रिहिस चाहे कही हो जावय मोर डोकरी दाई बबा ला कोनो राज नइ पठोवव। हाथी- घोड़ा, राज- पाठ मिलही तभो ले......अपन ले दुरिहा नइ करो। 

झूलना फेर अपन गति मा चलत हावय।

"व्हाट आर यू डूइंग माय लिटिल किंग '' टुरा के दाई आइस बंबियावत। टुरा ला बरजिस, खिसियाइस।

" दिस पिपल आर नॉट इक्वल टू अवर सोसायटी। मत खेला करो इन लोगो के साथ। न संस्कार ,न तमीज ...हु....रियली डर्टी गर्ल  ...।'' मुहु बिचकावत किहिस मॉम हा।

टुरी डर्रागे टुरा के मॉम के बरन ला देख के। दउड़त अपन डोकरी दाई करा गिस अऊ पोटार लिस। वहु हा झिल्ली बिनत रिहिस आने डर्टी गर्ल मन संग ।



चन्द्रहास साहू

द्वारा श्री राजेश चौरसिया

आमातालाब के पास

श्रध्दा नगर धमतरी छत्तीसगढ़

493773

मो.  -  8120578897



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समीक्षा

पोखनलाल जायसवाल:

 सच म बाल मन, मन के सफ्फा रहिथे। लइका मन मन म कोनो किसम के भेद राखय न भेदभाव ल जानय। सब ल बरोबर जानथे। सबो ल अपने सहीं मान थे अउ समझथे। मन ले मन मिलथे अउ संघरा खेलथे कुदथे अउ गोठियाय लगथे। दुनियादारी ले दुरिहा रहिथे। अइसन हे बालपन के गोठ ल समोय अउ समाज के तथाकथित पढ़े लिखे सुसभ्य कहावत लोगन ल चेतवना देवत कहानी आय डर्टी गर्ल।

       ए कहानी आर्थिक रूप ले समाज के वर्ग भेद ऊप्पर व्यंग्यात्मक शैली म लिखे गे कहानी आय। जेमा बिल्कुल सरल सहज भाषा म समाज अउ बेवस्था ऊपर टंट मारे म कहानीकार सफल हे। दूनो लइका पात्र मन के गोठ बात एकदमेच सहज हे सरल हे। बालमन के सुग्घर छाप घलव देखब ल मिलथे। 

      कहानी के शुरुआतेच म टुरा अउ टुरी के रूप वर्णन ह आर्थिक विषमता ल दरसाय बताय बर काफी हे। जे ए कहानी के मूल कथानक आय।

       गंगरेल बाँध जउन छत्तीसगढ़ बर कोनो बरदान ले कमती नइ हे, इहाँ के फोटू(चित्रण) बिल्कुल हुबहू हे। उहाँ ले आय मनखे के आँखीं आँखी म झूल जही। अउ जेन पाठक उहाँ नइ गे हे तेकर मन एक पइत गंगरेल जाय के करही। ए कहानीकार के भाषा अउ चित्रण के कमाल आय। अंगारमोती के महत्तम ल सरेखत कहानी म उकेरई ह साँस्कृतिक अउ सामाजिक मान्यता ल सहेजे के दिशा म कहानीकार के जुड़ाव ल बताथे। इही ह कहानी के अपन बेरा अउ परिस्थिति के आरो देथे। कल्पना के गहिर सागर ले निकाले कोनो मनगढ़ंत बात नोहय के सबूत आय।

       संवाद मन पात्र के संग नियाव करत उँकरेच बर लिखे गे हवय। अँग्रेजी शब्द मन ल बउरना (प्रयोग म लाना) कहानी म लालित्य लाय हे।

      सहज अउ सरल भाषा म कहे गे ए संवाद ल देखव-- "....अब्बड़ बड़का हावय मोरो स्कूल ह....बड़का हाल हे जेमा छेटवीं ले आठवीं तक सँघरा बइठनथन।..." 

     ए संवाद सरकारी स्कूल के बेवस्था ऊपर टंट मारे गे हे। आज भले अइसन स्थिति कमतीयागे होही। फेर....।

    समाज के गरीब तबका के सपना अउ सोच ल देखव जे ह सोला आना सिरतोन आय।

" मोर ददा कहिथे चार आखर पढ़ ले। राँध गढ़ के चार झन ल खवा लेबे। ....अपन नाव के अंजोर बगराबे अइसना सपना देखथे मोर ददा ह।"

    अभाव म जिनगी जियत मन बहलाव के गोठ करत डोकरी दाई के देवदूत आय वाला भरम ल टोरत टुरा के गोठ अंधविश्वास के जड़ी ल उखाड़ देथे।

"अरे मोला खाय ल नइ भाइस तब कुकुर कर फेके....तोर आगू म डार देंव।"

"कोनो देवदूत नइ होवय।"

     अवइया बेरा के फोटू खींचत ए संवाद सब के चेत ल हजा दिही फेर एकर नजरअंदाज करई घलव सही नइ होही। समाज ल सावचेत करे के उदिम म लिखे संवाद देखव

"वृद्धाश्रम राज नाव हावय।जब बड़का होहूँ न तब मोर मॉम डैड ल उही राजम पठोहूँ....।"

     गार्डन के झूलना म बइठना अउ झूलत झुलावत गोठ बात करना सरल अउ सहज चित्रण आय। 

      कहूँ सास ससुर ल वृद्धाश्रम म छोड़ के मजा उड़ावत जिनगी जिएँ के उदिम करइया बहू अभाव म जियत मइलाहा कपड़ा लत्ता अउ सँवागा देख के कोनो टुरी ल डर्टी गर्ल कइही। त अइसन सोच पाठक ल गुने बर मजबूर करथे कि असली म कोन डर्टी गर्ल आय। सच म कहानी अपन ए नाव/शीर्षक के संग अपन उद्देश्य ल पूरा करथे।

        अतेक सुग्घर कहानी ल पढ़त बखत कोनो कोनो मेर के टंकण त्रुटि पाठक ल खटक सकत हे।

     पानी म रहवइया मछरी के गंगरेल के पानी म 'उबुक चुबुक होवत मछरी' लिखई मोला समझ नइ आवत हे।

    डर्टी गर्ल जइसन सुग्घर कहानी लिखे बर चंद्रकांत साहू जी ल नंगत अकन बधाई अउ सुग्घर सुग्घर कहानी लिखत रहय इही शुभकामना देवत हँव।


पोखन लाल जायसवाल

पठारीडीह(पलारी)

9977252202

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