Thursday 30 December 2021

बस्ता विहीन शिक्षा वेवस्था अउ लइका के भविष्य

 बस्ता विहीन शिक्षा वेवस्था अउ लइका के भविष्य


       इस्कूल हा लइका के सबो गुण ला बढ़ाय बर होथय। आज ज्ञानी गुनिकमन लइका मन ला कोन किसम के शिक्षा दिये जाय ओखर बर नवा नवा उदिम करत हे।उँखर पीठ मा लदाय बस्ता के वजन ला कम कइसे करे जाय। जब ले परावेट इस्कूल नाव के बड़का बड़का लुटइया मन इस्कूल खोलिन तब ले लइका मन के पीठ मा अउ उखर मन मा बोझा बाढ़िस हे। ओखर देखा सीखी सरकार हा घलाव अइसने उदिम करे लगिस। फेर पाछू आँखी उघरिस ता ओला तिरिया के नवा उदिम करे लगिस। अब लइका मन बर बस्ता विहीन शिक्षा अउ इस्कूल के उदिम मा लगे हावय। दूसर डहर आंगनबाड़ी के लइका मन ला इस्कूल संग संघेरे के उदिम करत हे। आज के शिक्षा हा गरीब, आदिवासी अउ पीछवाय क्षेत्र के लइका मन के अमरउक ले बहिर हो गय हावय। आनलाइन शिक्षा के उदिम मा घर बइठे पढ़ई के सुविधा मिलही। यहू बस्ता विहीन शिक्षा के नवा उदिम मा हावय।

        बस्ता विहीन शिक्षा माने लइका इस्कूल मा अपन मनपसंग के पढ़ई, खेल, नाच गान, चित्र बनई, जौन ओला भाही ओला सीखही। सुछंद होके बिन कखरो दबाव के अपन गुण ला देखाही बढ़ाही। जइसे त्रेता जुग, द्वापर जुग मा लइका मन आश्रम जावत अउ गुरुजी हा उन ला परख के सिखावय, अर्जुन ला धनुष, भी मला गदा अउ कुस्ती, नकुल ला बरछी तलवार, सहदेव ला भाला, युधिष्ठिर ला राजनीति, कूटनीति, धर्मनीति। येमन पीठ मा बस्ता लाद के गुरुकुल नइ गइन, न एमन कभू कोनो किताब नइ लिखिन। ओखर बर दूसर मन रहिन।

     बस्ता विहीन शिक्षा शुरू होय ले लइका मन ला एक फायदा होही कि उँखर पीठ के बोझा अउ मन के बोझा  उतर जाही।खेलत कूदत इस्कूल आही अउ अइसने घर जाही।दाई ददा ला घलो फायदा होही। लइका घर आके पढ़ाय लिखाय बर हलाकान नइ करय कि येदे ला बतादे, येदे ला लिखा दे। लइका उपर यहू दबाव नइ रहय कि अतका प्रतिशत लाना हे काबर कि हर लइका अपन अपन खेल कूद , नाच गान, लिखई पढ़ई, रंगई पोतई मा पहला दूहरा रही। संझा बिहनइया हकर हकर ट्यूशन के अवई जवई छूट जाही।लइका पेट भर खाही अउ नींद भर सुतही जेखर ले मन शांत रही।

      जइसे बस्ता विहीन शिक्षा के फायदा हे वइसने एखर नकसान घलाव होही। बस्ता मा पढ़े के संगे संग लिखे के जिनिस रहिथे।कोनो ए जिनिस नइ रहे ले लइका मन सुछंद हो जाही। कोनों ला मानय गुनय नइ अउ जिनगी के आगू के परीक्षा मा नपास हो जाही।ओखर मन ले आगू बढ़े अउ सब गुन ला सीखे के ललक सिरा जाही। लइका ला पढ़े लिखे मा चेत नइ रही। हमर शास्त्र मा लिखाय सब उपदेश, श्लोक मन पलट जाही। कहे जाथे करत करत अभ्यास.....। अभ्यास नइ करही ता ओखर बुद्धि नइ बाढ़य। उमर बाढ़ जाही फेर अकल हा नइ बाढ़य। जइसे फिलिम देख के गाना अउ डायलाग तो रटा जाथे फेर ओइसने कहानी, नाटक लिखही कोन। इस्कूल मा पढ़े, गुने, सुने, सीखे अउ घर मा लिखे के अभ्यास छूट जाही। लिखे मा नवा इतिहास बनथे।रामायण गीता, महाभारत, वेद,पुराण, शास्त्र सब कोनों न कोनों लिखे हवय। ऐखर ले नवा, इतिहास, साहितकार संसार ला नइ मिलही।

      लइका मन ला शिक्षा ले जोड़ेबर सबो सरकार अउ संस्था मन नवा नवा उदिम करथे। ओमन लइका के संगे संग ओखर भविष्य के फिकर करथे। फेर जुन्ना रीति के पढ़ई ला अंधविश्वास अउ खइता कहिके तिरियाय मा नइ बनय।बस्ता मा पढ़े के संगे संग लिखे के जिनिस के वेवस्था हवय। लइका के पढ़ई ला बस्ता विहीन नइ करके उमर के  हिसाब ले अउ कक्षा के हिसाब ले सिलेबस तियार करके पढ़ई लिखई करवाय बर चाही। नानपन हा खेलेकूदे संग सीखे के उमर होथे। पढ़े के संगे संग ए उमर मा लिखे बर सीखथे,हाथ माढ़थे।नइते जइसे बड़े उमर मा साइकिल सीखे अउ नानपन मा साइकिल सीखे मा फरक होथे उही दिखथे। कोनों लिखे रही ता अवईया पीढ़ी हा ओला पढ़ही। आज इस्कूल मा हस्तलिखित के प्रतियोगिता होवत हे जौन बढ़िया उदिम हवय एखर ले  लइका मन ला लिखई डहर रद्दा धरत हे।


हीरालाल गुरुजी"समय"

छुरा, जिला-गरियाबंद

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