Wednesday 15 December 2021

सुरता- देवारी मिलन समारोह, भिलाई











 

देवारी मिलन के सुरता करत मेनका वर्मा जी के भाव।

"छंद के छ" परिवार के  देवारी मिलन के सुरता*


जेन मोबाइल बपरा ऊपर ये आरोप लगे हे कि-

'ये सबके परिवार मा फुट डाल के ऊनला दुरिहावत हे' वुहि मोबाइल के प्रयोग ले अइसन सुघ्घऱ परिवार जोरईया 

*गुरूदेव ला दण्डवत प्रणाम हे*🙏🏻 


अपन चिंता अउ चिंतन मा तो कतको मनखे मन महतारी भाखा बर बड़ बड़े-बड़े गोठ करथे ,फेर भुईयाँ मा उतरके अइसन उदिम होना संहरायेच के बात हरे.... 

अउ ये बात बर घलो

*गुरुदेव ला दण्डवत प्रणाम हे*🙏🏻


अहोभाग्य...

जेन अइसन परिवार मा मोला जगह मिलिस। जेन मोला ये परिवार मा जोड़िन उन हितैषी के मैं आजीवन आभार मानहूँ।🙏🏻

 

मोर असन नानुक सदस्य ला ये 

जनम मा अइसन छन्द सागर के लहरा अउ सुघ्घऱ ज्ञान तीरथ के मौका मिलना....अहोभाग्य🙏🏻

*गुरुदेव ला दण्डवत प्रणाम हे*


जेन दिन ले आयोजन के विषय मा पढ़े रेहेंव । मन कुलकत रिहिस अउ मन बिनती बिनोवत रिहिस रायगढ़ होवय चाहे भिलाई ,भगवान के कृपा होवय अउ शामिल होय के मौक़ा मिलय। पुस्तक मेला के समय भी बहुत मन रिहिस "छंद के छ परिवार" के दर्शन करे के। फेर मन    के गति अउ इच्छा मा सब कारज हो जाय अइसन कोई रिमोट तो अभी तक नई बने हे।

आयोजन के ठौर जौन दिन ले भिलाई होइस तौने दिन ले मन मा रोज आवय आयोजक गुरुजी मन ले एक बेर पूछ लेंव मोर लईक कोनो बुता हे का ...?

फेर वुहि संकोच मार डरय एक मन फेर कहय- 'अभी नवा-नवा जुड़े हच कलेचुप बईठ अउ पहिली देख सुन ज़्यादा झन सियान बन'

उधो(उद्धव)बिचारा सौ मन ला कइसे कर के सम्भालत रिहिस होही सोचथवँ।

इही उधेड़-बुन मा दिन दिन लकठियावत गिस।फेर जब मन नईच मानिस तब एक दिन आदरणीय बलराम चन्द्राकर गुरुजी अउ विजेंद्रभैया (गुरुजी)ला मैसेज करिच दिएंव ।

"मोर लईक कोनो बुता होही तब जरूर बताहू"। 

पिछले कुछ समय से कक्षा के अभ्यास मा समय नई दे पाए के संकोच अपन जघा पेरत रिहीस अउ बार बार मन मोर तीर घोरत किहिस गुरुजी मन के सामना  कैसे करबे...? 

अब तक आयोजन के सब तईयारी हो गे रिहिस। गुरुजी मन ले मोला रचना सहित तैयार हो के आये के सन्देश मिलिस। अउ आयोजन के दिन समय मा आके व्यवस्था ला देखे बर कहे गिस मोर ख़ुशी अउ उछाह के ठिकाना नई रिहिस । छतीसगढिया मनखे कले चुप तो बइठ नई सकय। आयोजन के दिन विजेंद्र भैया जी व्यवस्था में लगे रिहिन जब किहिन अपन भाभी ला साथ ले आबे मोर ख़ुशी अउ बाढ़ गे । संगीता वर्मा भाभी संग 'छंद-कक्षा' मा साथ होना पहिलीच बड़ खुशी के बात रिहिस। कुर्मी भवन में मुलाकात अउ फोन मा बात तो हो जथे, फेर मुलाक़ात कमे हो पाथे पहिली बार उंकर नवनिर्मित व्यवस्थित सुंदर घर ,बढ़िया साज सज्जा अउ सुंदर कोसाही नीला लुगरा मा तइयार मयारू भउजी ला देख के मन खुश हो गे । अब तो तिहार कस लगे लगिस। भाभी देवरिहा रोटी पेश करिन मैं कहेंव रख लौ भाभी उन्हें बांट के खाबो(फेर मौका नई लगिस ,अउ अईरसा मोला ललचा के वापिस घर लहुटगे)।

कुर्मी भवन मा 

चाय-पानी ले लेके रोली चन्दन,तेल फूल बाती सब व्यवस्था अप-टू-डेट रिहिस । वैसे तो अनुभवी आयोजक मन से कोई चूक के गुंजाइश ही नई रिहस तेमा भोजन व्यवस्था के कैटरर ला चिन्हार देख के अउ उछाह लागिस। फेर मन किहिस- दू कौरा उपराहाच खवाही आज देख लेबे।(भोजन के बेर ये देख के सुखद आश्चर्य घलो होइस कि खीर मा मीठ थोकन उपराहा अउ साग मा अममठ थोरकुन ज्यादा करके सबके सुवाद माने "परफेक्ट छतीसगढिया टेस्ट" के व्यवस्था भीलईहा मन के स्वाद ले अलग हटके सबके सुवाद के बहुत ख़्याल रखे जाना भी आयोजक मंडल के सूक्ष्म निरीक्षण अउ कुशल संयोजन क्षमता के गवाही देवत रहीस) 


संगीता भाभी दूर ले चिन्हाइस 'वो प्रिया हरे'।

प्रिया जी (गुरु दीदी) ला पहुँचतीच मा अकेल्ला कोंटा खोज के सेल्फी लेवत देख के मन फेर बहुत खुश हो गे।मन मा भाव आइस उंकर विद्वता संग बचपना कायम राहय ।आदरणीय स्व. माटी जी के कविता कई पत्रिका मा या ग्रुप मा पढ़े ला मिलय। उंखरे माध्यम ले कई छंद के नाम पढ़-पढ़ के उत्सुकता जागय ।उँकर जाय ले ऊंनला जाने देखे बिना भी उंकर बर शोक होवय अउ प्रिया जी बर मन रोवय। रजिस्टर मा साइन करे बेर नान नान उम्मर के बड़े बड़े विद्वान गुरुजी मन संग भेंट होइस ।खुला मंच मा सुने आवाज अउ नाम के संग उनला देखन ता तालमेल कठिन जान परय ये गुरुजी मन तो लइके-लइका दिखथे।मिलन मलरिहा गुरुजी जब अपन नाम बताईन आश्चर्य मा बोल परेन्व- फेसबुक मा 'आपके बुता ल देख के तो सोचत रेहेंव आपके मुड़ मा सन असन सादा बाल होही।'

 ठहाका अउ आत्मीयता दोनों संघरा कुर्मी भवन मा गुंजे लागिस। गुरुजी के आये के खबर आइस मिले बर नीचे ऑफिस मा गेंन रद्दा मा सत्र 14 के सहपाठी राकेश साहू सारागाँव मिलिस। मइके गाँव के होये के कारण सत्र के शुरुवात ले ही भाईजी से आत्मीयता हे अउ हम दुनो "बैक बैंचर" मन के खूब जमथे कि कोन आज ज्यादा गलती करथे।

गुरुजी ला साक्षात देख के देवता दर्शन बरोबर खुशी होइस गुरुजी पहिली ले हाथ जोड़ दिन फेर छतीसगढिया मनखे गुरु के पाँव छुये बिना हम कहाँ मानबो। गुरुजी संग दू बेर फोन मा लम्बा बातचीत होय रिहिस "गुरुदर्शन" के पहिली बार मौका मिलिस ।

ऑफिस मा सरला शर्मा दीदी घला विराजमान रिहीन जिंखर लिखे ला पढ़के अउ उदगार ला सुनके कभु मन नई अघाय। अइसन विदुषी के दर्शन गर्व के विषय आय। 

पहुना मन के चयन बताथे कि गुरुजी हर बात मा कितना सावधान अउ सतर्क हें। अउ साधक मन के कतका बड़ हितवा हरे। ये कलजुग मा अइसन गुरु मिलना हर साधक के परम् सौभाग्य हरे।

कतको ज्ञानपिपासु मन छन्द अउ साहित्य ज्ञान ल चिन्हे, जाने,पाये बर बहुत भटकथे अउ कई-कई बेर बड़े-बड़े नाव के आडम्बर के फेर मा आके कई प्रकार ले मानसिक अउ शारीरिक रूप ले भी शोषित , प्रताड़ित होथे। 

हमर असन कुछे मनखे मन सही गुरुचरण के प्रसाद पाथन अउ "छंद के छ" कस परिवार पाके अपन भाग लिखइया ला शीश नवावत वोखर गुण संग गुरुगुन गाथन।

कार्यकम के चर्चा मा सम्मानपाती पढे के गौरव मोर बांटा आईस। आदरणीय सुरेश देशमुख जी के इंटरव्यू के दौरान ही उंखर संग फोन मा गोठबात ले बहुत आत्मीय रिश्ता बन गे रिहिस हे। फेर भेंट के मौक़ा ये आयोजन मा लगिस। उन सभा मा मंच में बैठ गे रिहिन । ये जघा अपन परिचय देना मोला सही नई लगिस मुनासिब मौका के अगोरा मा मैं एक तीर मा रही गेंव। फेर फलदार रुख अउ गुणी मनखे के अपने स्वभाव होथे। उन खुदे उठ के तीर मा आके किहिन- "मेनका वर्मा न..।"

मोर जड़मति के भाग मा अतका मान...😢

प्रणाम करेंव मुड़ मा हाथ रखिन मोर जी नई भरिस मैं केहेंव एक घँव फेर मुड़ मा हाथ मड़ातेव । उन अपन चिर-परिचित ठहाका संग अपन हाथ मोर मुड़ मा रखिन। सिरतोन कहंव ता आज तक उंकर हाथ के स्पर्श अउ स्नेह अपन मुड़ मा महसूस करत आँखी पनिया जथे।

सरला शर्मा दीदी हमर पहिली साझा संकलन के बेरा मा हमनला असीसे रिहिस । डॉ.सुधीर शर्मा जी के विषय मा बहुत पढ़े सुने रेहेंव सौ सवाल मन में रिहिस। आज के ऐतिहासिक दिन मंच मा संघरा सबके दर्शन अउ सत्संग के सुख अभिभूत करत रिहिस। मंच मा सबके दिव्यता अउ विद्वता के उजास बगरत रिहिस। कुर्मी भवन के ये मंच जिहाँ कई प्रकार के लोककला,संस्कृति अउ साहित्य सम्मेलन होथे आज छत्तीसगढ़ी छंदकार मन के सुर अउ लय गुंजत हे । गुरु शिष्य परम्परा के ये जुग मा साक्षी बनना जन्म सुफल लागत रिहिस।

मंचस्थ अतिथि मन ला सुनना , तीन-तीन विशिष्ट छंदबद्ध किताब के विमोचन ,छंद साधक मन के  अदभुत, भावप्रवण,कलात्मक, सृजनात्मक छंद पाठ सुनना,गुरुजी के उदबोधन,कक्षा सहपाठी मन संग भेंट गोठबात सब कुछ शानदार अनुभव बन गे। अउ बड़भागमानी होये के गरब भीतर हमा गे। 

अतेक सुघ्घऱ छंदरचना सुनेबर मिलिस कि एक दिन मा मन नई भरिस अगला आयोजन दू-दिवसीय होवय इही कामना करथंव।  

ये सफल आयोजन के तईयारी मा लगे गुरुजी मन के चेहरा के शान्ति अउ सुकुन, आदरणीय गुरुजी के हर साधक अउ साधिका के  सोर करई उंकर व्यवस्था के आरो लेवई, ये सब साहित्यिक आयोजन ले बढ़के छन्द परिवार के ऐतिहासिक परिवारीक आयोजन बनगे।

देवारी मिलन के आयोजन के गोठबात ले उछाह के जेन लहर शुरू होये रिहिस अब तक शान्त नई होय हे बल्कि अब तो वोमा  हैंगओवर मिंझर के नवा जोश भरत जात हे कि कब कोनो अगला आयोजन होवय,

अउ कब हम फेर संघरन हमर छंद परिवार संग।

अब जब संघरबों उछाह अउ हुलास अब अउ ज्यादा रइही। काबर कि पटल ल पढ़े, सुने गुरुदीदी अउ गुरुजी के मन के दर्शन होये ले अब नाम के संग लगभग सही तालमेल बइठ गे हे।

अगला आयोजन के अगोरा में

🙏🏻


मेनका वर्मा

सत्र-14

4 comments:

  1. बहुत सुग्घर मेनका जी । उत्तम विचार आपके

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