Friday 3 December 2021

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के सम्मान*








 

*छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के सम्मान*

 

28 नवम्बर 2021 के राजभाषा दिवस मा अरुण निगम के सम्मान होइस। जम्मो साधक मन के हिरदे ले शुभकामना अउ बधाई मिलिस। अरुण निगम जम्मो साधक मन के हिरदे ले आभार प्रकट करथे।

28 नवम्बर के दिन ले मँय आत्म मंथन करत हँव कि ये अरुण निगम कोन आय जेला सम्मान मिलिस अउ यहू गुनत हँव कि ये सम्मान काबर मिलिस ? के हजार रचना कर डारिस? कतका दर्जन किताब छपवा डारिस? छत्तीसगढ़ी भाषा के अइसन का सेवा कर डारिस कि वोला छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग अउ छत्तीसगढ़ शासन सम्मानित करे बर चुनिस? अरुण निगम के अस्तित्व का हे?

आत्म मंथन करे के बाद पाथंव अरे ! छत्तीसगढ़ी भाषा मा अरुण निगम के एके ठन त किताब छपे हे - "छन्द के छ"। छत्तीसगढ़ के बड़े-बड़े स्थापित साहित्यकार मन कभू कोनो मंच ले जेकर कभू गुनगान नइ करिन, जेन हर कभू अखबार मन मा सरलग छपत नइ दिखिस। न कभू मंत्रालय, न संस्कृति विभाग, न राजभाषा आयोग के ऑफिस के चक्कर लगावत दिखिस, अउ त अउ न कोनो मंत्री, न विधायक संग ओकर रिश्तेदारी हे, वो अरुण निगम ला कइसे सम्मान मिलगे?

अचरित के बात आय, ताज्जुब के बात आय कि अइसन अरुण निगम ला सम्मान मिलगे।

 

ऊपर गिनाये अनिवार्य अर्हता मा फिट नइ बइठे के बावजूद सम्मानित होना सही मा आश्चर्य के बात आय। लेकिन यहू सत्य आय कि अरुण निगम सम्मानित होइस। फेर आत्म मंथन करथंव कि का कारण होही? तब मोर अन्तस ले ये जवाब मिलथे कि अरुण निगम के अस्तित्व, "छन्द के छ" के कारण हे। "छन्द के छ" के बिना अरुण निगम के न कहूँ चिन्हारी हवय अउ न कहूँ पुछारी हवय।

 

 "छन्द के छ" का आय ? संस्था !!!!! संस्था त नइ हो सके। काबर कि संस्था मा अध्यक्ष, प्रांतीय अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, महासचिव, कोषाध्यक्ष जइसे बड़े-बड़े पदाधिकारी मन होथें। "छन्द के छ" मा अइसन एको पदवी-धारी नइये। "छन्द के छ" मा गुरुदेव अउ शिष्य बस दुये नामधारी मन मिलथें। गुरुदेव माने निःस्वार्थ भाव ले ज्ञान बाँटने वाला अउ शिष्य माने सीखे के लगन रख के ज्ञान प्राप्त करने वाला। यहू शिष्य मन ज्ञान प्राप्त करे के बाद ज्ञान बाँटत हें अउ गुरुदेव के भूमिका निभावत हें। "छन्द के छ" मा गुरुदेव कोन मन हें? शिष्य (साधक) कोन मन हें? आपेमन त गुरुदेव आव अउ आपेमन त शिष्य आव। 

अब आप मन गुनव - जब अरुण निगम के अस्तित्व "छन्द के छ" के कारण हे अउ "छन्द के छ" के कारण अरुण निगम सम्मानित होइस हे तब "छन्द के छ" निस्संदेह शक्ति के स्त्रोत आय जउन हर कोनो के अस्तित्व ला सम्मान कराए के ताकत रखथे। 

"छन्द के छ" साहित्य-जगत मा आकार मा छोटे रहे के बावजूद अपन भीतर अणु अउ परमाणु असन असीमित ऊर्जा रखथे। "छन्द के छ" के हर सदस्य ऊर्जा के स्त्रोत आय। हर सदस्य ताकतवर आय। हर सदस्य अरुण निगम ला मिले सम्मान के बराबरी के हकदार आय। इही पाय के "राजभाषा दिवस" के सम्मान बर मँय, हर साधक ला अन्तस ले बधाई देवत हँव। ये सम्मान के वास्तविक हकदार "छन्द के छ" के हर साधक आय। बस आप मन के प्रतिनिधि के रूप मा अरुण निगम ये सम्मान ला प्राप्त करिस हे। 

 

"छन्द के छ" के कारण अगर अरुण निगम के हस्ती हे, अस्तित्व हे तब आप मन अपन स्वतन्त्र या पृथक अस्तित्व के कल्पना कइसे कर सकथव? मोर निवेदन हे कि "छन्द के छ" के शक्ति ला पहचनाव, अपन शक्ति ला पहचनाव। "छन्द के छ" के कारण पहिली पइत आयोग अउ शासन के संज्ञान मा ये बात आइस हे कि छत्तीसगढ़ी भाषा के समृद्धि बर "छन्द के छ" सार्थक काम करत हे। हमर काम के अनुगूँज अब आयोग अउ शासन तक पहुँच चुके हे, जेकर कारण मँय विश्वास करत हँव कि भविष्य मा एमन "छन्द के छ" ला अपन आयोजन मा जरूर सुरता करहीं जेकर लाभ "छन्द के छ" के साधक मन ला भविष्य मा जरूर मिलही। हर साधक के सुखद भविष्य के कामना सहित…..

 

*अरुण कुमार निगम*


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