Friday 3 December 2021

छत्तीसगढ़ी में पढ़े - व्यंग्य काखर संग बिहाव करबे?

 छत्तीसगढ़ी में पढ़े - व्यंग्य 

काखर संग बिहाव करबे?

दुर्गा प्रसाद पारकर

चिन्ता ले चतुराई घटे दुख ले घटे शरीर, पाप पुण्य ले लक्ष्मी घटे कह गये दास कबीर ह राम परसाद उपर उतर गे हे, तभे तो धन्धा के चिन्ता म रहेर रेगड़ा हो गे हे। वधु चाहिए, टूरा के रंग साफ, ऊंचाई-चार फूट पांच इंच, काम शिक्षा विभाग, वेतन चार अंको में, इच्छुक मनखे ये पता म संपर्क करें - राम परसाद मिलनसार, वर वधू भवन, अंगूठा बाजार, दामपुर। के विज्ञापन ह हजारों रुपिया के चुना लगा दे हे। विज्ञापन ल पढ़ के डाँक्टर ह अपन टूरी के बिहाव बर राम परसाद ले भेंट करीस। अंधरा का मांगे दू आंखी कस राम परसाद ल डाँक्टर ह मिलगे। कोनो न कोनो किसम ले ये संबंध ल जोड़ के दू जुवार के रोटी जुगाड़ करना रीहिसे। वर तनी ले परसाद त वधु तनी ले पंचामरीत। दाहिज के समझौता के बाद दोनों तनी ले राम परसाद ह अपन कमिशन ल निथार लीस। घोड़ी म चढ़ के दुल्हा डउका ह जनकपुर बराती संग गीस। बेटा बिहाव हरे मन भर के खरचा करीस दुल्हा राजा के ददा ह। बरात ल देख के लड़की पक्ष वाले मन दंग रहिगे। माईलोगन मन म खुसर-फुसुर होय ल धर लीस- डाँक्टर ह बने दमांद पाय हे दई, बड़हर हे, पढ़े लिखे हे अउ नौकरी म हे। येती डाँक्टर ह अपन नेवतहार अउ बराती मन बर बफर सिस्टम ले पार्टी के आयोजन करे रिहीसे। पार्टी के बखत डाँक्टर के दमांद-बेटी, राजा रानी खुरसी म बइठे टुकुर-टुकुर देखत राहय। जिनगी के सुख-दुख कस झालर संग बराती मन बुगबुगावत राहय। जतका खरचा म नेवतहार मन समान ल लाल कागज म लपेट के लाने राहय ओखर अवेजी म दू पइसा आगर पेट म भर-भर के जावत राहय।

      पार्टी के एक कोंटा म दुलहा के संगवारी मन खावत-खावत ही-ही भकभक करत रिहीस। अबे दुकलहा चपरासी ह कतेक बड़हर ससुरार पाय हे। दूसर ह कथे-दुकलहा के ससुर ह झेलही। जूठा प्लेट ल मढ़ा के तीसर ह कथे- छोड़ न यार ये तो दुकलहा चपरासी के बेवकूफी हरे। अरे भाई जतका जड़ चद्दर ओतके गोड़ ल लमाना चाही नही ते अइसन फुटानी ह खजवा के घाव करई हरे। दुकलहा के बाप ल घलो अपन जोड़ के समाधी बनाना चाही। अभी तो बने लागथे बाबू, जब नर्स भउजी ह दुकलहा के घंटी नइ बजा देही ते मँय मोर मुंछ ल मुडवा  देंहू। चौथा ह कथे- सुनो यार जनम, बिहाव अउ मरन ह ब्रम्हा के रेख हरे। नौकरी वाले बाई किस्मत वाले ल मिलथे। कुटहा बन के खीर खाय म का एतराज हे अउ येला तुमन तो जानतेच हव के दुहानु गाय के लात मिट्ठा। महूं ह दुकलहा के सटका ल अइसने ससुराल खोजे बर कहूं। रामचरण कथे- दुकलहा के बिहाव ल तो राम परसाद ल लगाय हे रे। ये सब बात ल डाँक्टर के संगवारी ह सुन परीस। डाँक्टर ल जा के कथे- तोर दमांद तो घंटी बजइया चपरासी हरे। ये गोठ ह जहर कस चारों कोती बगर गे। डाँक्टर के पारा गरम हो गे। बेटी बिदा नइ करंव कहि के डाँक्टर ह ताव देखाय बर धर लीस। ओतका म सावित्री कथे- नही पापा मय जेखर संग सात भांवर घुमे हंव ओला पति मान चुके हंव। एकाद भांवर कम रहीतिस ते भले देखे जातिस। अब तो पति ह पति होथे वोह चपरासी होय चाहे व्याख्याता।

    बेटी बिदा करे के बाद डाँक्टर ह रातो रात कार म बइठ के सोज्झे राम परसाद के घर जा के बगिया गे। अरे दोगला बईमान, तँय मोला दगा दे देच रे। मोर बेटी ल चपरासी के संग लगा दे, आघु ले काबर नइ बताय ये बात ल। राम परसाद खैनी ल पुरक के कथे- तँय ये सब पुछेस कहां डाँक्टर साहेब, तेमा बतातेंव। धकर-लकर तो तुंही ल होय रिहीसे। मँय तो व्याख्याता होही काहत रेहेंव। राम परसाद ल अब तो जीनगी  भर मुरगा के जघा म मुनगा ल चुचरे ल पर जही। ये कांड के बाद शहर म मुंह देखाय के लइक नइ रही गे। राम परसाद ह।

        राम परसाद ह रोजी-रोटी के खोज म एक शहर ले दूसर शहर पलायन करीस। इही समे पंचायत राज के सोर चलत राहय। राम परसाद नवा ढंग ले अपन धन्धा के शुरुआत करीस। गांव-गांव जा के कुंवारी लड़की मन ल पंच, सरपंच, जनपद सदस्य अउ जिला पंचायत के सदस्य बर उचका-उचका के चुनाव लड़वाए बर भीड़गे। उंखर चुनाव म अपन तनी ले धन लगइस। राम परसाद अपन रणनीति म प्रदेश म बारा आना सफल होगे। अब जम्मो नेता मन राम परसाद ल राम चाचा जिन्दाबाद कहिके नारा लगाय ल धर लीस। येमा राम परसाद के राजनैतिक पकड़ मजबूत होगे। राम परसाद ह जउन शहर ले मार खा के आय राहय ऊही मन ओखर अखंड भक्त हो गे। अब तो पांचो अंगरी घी म। काला खाय ते काला बचाय।

    महिना भर बाद गजट म विज्ञापन पढ़े बर मिलीस वर चाहिए, वधु योग्यता अनुसार संपर्क राम परसाद मिलनसार, दलाल कालोनी चुहकनपुर। ल पढ़ के बिहाव के लइक बाढे टूरा मन के भीड़ बाढ़गे। राम परसाद ह पोस्टर टांग के आफिस जमा के बइठ गे। अउ सबके एक के बाद एक साक्षात्कार लेवन लागे। सब टूरा मन अपन योग्यता प्रमाण पत्र धर के पहुंचे राहय। एक झन मास्टर ह अपन बिहाव के प्रस्ताव ले के राम परसाद के आफिस म ओइलिस। मास्टर के बात ल सुन के राम परसाद कथे- देख भई तोला कइसन वधु चाही? एक ठन फोटू देखा के कथे- ए नोनी ह नींदे कोड़े बर जानथे, भात साग रांधे बर जानथे, मछरी-अंडा नइ खाय फेर अपन परिवार के सुख के खातिर रांध-पोरस सकथे। गोरी हे, चाल चलन बने हे। दूसर फोटू ल देखा के कथे- ए नोनी ह आठवीं पढ़े हे नवा-नवा पंच बने हे। गोठियाए-बताय बर नइ आय तभो ले अपन देवर ल कहवा के पंच बने हे। तीसर फोटो ल देखा के कथे- ये नोनी ह सरपंच बने हे चौथी फेल हे ते का होइस बीस पंच के उपर सरपंच रीहि, योजना उपर खेलही, जइसे जवाहर रोजगार योजना, आवास योजना, निराश्रित पेंशन योजना। येखर पहिली नोनी के बाप ह सरपंच रीहिसे। फेर असो महिला आरक्षित के नाव ले के नोनी के करम ह जागिसे। येसो के पंचायती म गंज अकन अधिकार मिलही जउन भी येखर संग बिहाव करही ओहा गंज सुख पाही पंच मन ल ठेंगवा देखाही। तीसर फोटू ल देखा के कथे- ये नोनी ह जनपद सदस्य हे थोकिन चंट बानी के हे, एखर कमई कम हे फेर इज्जत जादा हे। येखर संग बिहाव करबे ते ओखर फाइल ल धर के सइकिल म बइठार के ब्लाक आफिस जाय ल परही। पांचवा फोटू ल देखा के कथे- येहा जिला पंचायत के अध्यक्ष हे निरक्षर हे ते का भईस, कलेक्टर के गोपनीय रिपोर्ट लिखही। राज्य मंत्री के दरजा मिले हे, लाल बत्ती के कार, बंगला, फोन, सबो के सुख। फेर येखर सन बिहाव करही ओखर बर एक ठन शर्त हे ओला मुड़ गड़ा के रेहे ल परही। राजनैतिक लड़की मन सन बिहाव करबे ते उंखर दाई ददा ल दहिज दे के उंखर सुरक्षा बर बांड भरे ल लागही। अब अपन अवकात ल देख के बता मास्टर काखर संग बिहाव करबे? अभी नइ बता सकत हवस ते काली तोर दाई-ददा ल पुछ के बताबे। मास्टर बिचारा बर-बिहाव म राजनीतिकरण ल देख के दुखी होगे अउ अपन फैसला ल सुनइस- मोला अइसन घरवाली चाही राम चाचा जऊन ह घर-दुवार, खेती खार के काम बूता ल जानय मोला पहिली फोटू पसंद हे, मँय ओखर संग बिहाव करिहंव। नेता मन सन बिहाव करके मोला न तो मुड़गड़ा बनना हे, न तो रजिस्टर धरना हे, न मोला फर्जी काम करवा के देश के पइसा ल खाना हे। हम दुनों परानी आम आदमी रही के देश सेवा करबों।


दुर्गा प्रसाद पारकर

No comments:

Post a Comment