*विमर्श के विषय - छत्तीसगढ़ी भाषा : पाठ्यक्रम जरूरी / माध्यम जरूरी / के दुनों जरूरी🌹*
भाषा चाहे कोई भी रहय भाषा के व्याकरण ह ओकर देह आय काव्य, रस, दोहा, छंद, अलंकार आदि ओकर आत्मा आय पाठ्यक्रम ह हर पाठ के विषय वस्तु ल दर्शाथे अउ ओला नामांकित करथे जईसे देह के अंग प्रतिअंग के नाव होथे ओकर अर्थ अउ महत्व होथे जेकर सारगर्भित अध्ययन करे म सुलभता होथे ओकरे सेतिर भाषा मा पाठ्यक्रम होना जरूरी हे.
हमर भारतीय संविधान म हिंदी ल राजभाषा के दर्जा दय गे हे येकर सँग म इहु प्रावधान देहे गिस कि अंग्रेजी भाषा मे भी केंद्र सरकार अपन कामकाज कर सकत हे,
शुरू म संविधान लागू होइस तेन समय सन 1950 म ये समय सीमा ह 15 साल तक रहिस मतलब अंग्रेजी के प्रयोग सरकारी कामकाज बर सन 1965 तक होतिस लेकिन बाद म संविधान संशोधन के द्वारा ये अवधि ल अनिश्चित काल तक बढ़ा दिन जेकर गहरा प्रभाव *माध्यम* म पड़िस.
हमन जानथन कि आज के समय भाषा के माध्यम होना कतका जरूरी हे बढ़त युग म सब रफ़्तार से बढ़ना चाहत हे अधिकांश मनखे मन प्राथमिक शिक्षा से लेके पद तक म अँग्रेजी माध्यम अउ आंग्लज्ञानी आंग्लभाषी खोजथे ताकि ओकर ओहदा बढ़य.
अउ इही अंग्रेजी सोच के कारण हमर महतारी भाषा छत्तीसगढ़ी ल बिसरा देथे अउ अब के भावी पीढ़ी के लइका मन तो छत्तीसगढ़ी गोठियाय म घलो हिचकिचाथे, कईझिन मन तो छत्तीसगढ़ी बोले नई जानन कहिथे अइसना मनखे मन ल *का बताव ज्ञान के तुतारी देखाव* कहुक मन लागथे.
साहित्य सृजन करे अउ अध्ययन करे ब पाठ्यक्रम अउ माध्यम दुनों ही बिक्कट जरूरी हे काबर कि साहित्य ह राज्य अउ राष्ट्र के आईना होथे जेमा हमन अपन असली छवि देख सकन. अउ अतका ताकत रहय ये आईना म जेमा छत्तीसगढ़ी बोली-भाखा ल बिसराने वाले पीढ़ी मन अपन स्वरूप ल देख के पानी-पानी हो जावय.....✍🏻
*सुनीता कुर्रे*
*आँकडीह (मस्तूरी)*
*मो न- 8435928307*
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