Friday 31 December 2021

ब्यंग === का के बधाई ===

 ब्यंग                          

          === का के बधाई ===


              हमर पंचाग मा कते दिन तिथि मा नवा साल लगथे। एकर जानकारी भले झन रहय। फेर अंगरेजी पंचाग के जनवरी ला नवा साल मान के उत्ता धुर्रा बधाई अउ शुभकामना के संदेश ले अखबार से लेके वाट्सअप अउ फेशबुक पटा जाय रथे। साल बदले के खुशी चाहे सरकार बदले के खुशी हमर असन ला फरक नइ परय। खूंटी के कलेंडर बदल के लगथे कि जिनगी मा भारी फेर बदल होगे।  बडे बिहनिया मयॅ हर किंजरे बर निकले रेहेंव। बस इही लगे लाग मा एक झन हर कथे---------भइया नवा साल के बधाई हो । मयॅ मनेमन सोंचेव मोर तो सबो उही हाल हे ।पाछू दिन ले आगू घलो बेहाल हे। तब का के बधाई। तभो ले जवाब मा कहि देंव---------तहूं ला बधाई हो। वो हर आगू बढगे। अउ मयॅ हर मनेमन गुनेंव कि साल बदले ले मनखे के सोच आदत आचरण ब्यौहार बदलतिस तब महूं कतेंव नवा साल आगे।

            नवा जुन्ना अउ आगू पीछू के गणित ला बइठारत रेहेंव।  नतिजा आइस तौ मयॅ चुकता फैल होगेंव। येकर सेती कि चार महिना पहिली के फिरतू अउ अंकालू के तारी नइ पटत हे। वो एकर सेती कि अंकालू के कुकरी वोकर बारी के थरहा ला चर दिस। मंगलू के जवान टूरा पारा के जवान टूरी उपर नियत लगा के आधा रात के भाॅड़ी कूदे ला छोड़त नइये, पानी के झगरा मा बइसाखिन अउ चइती के पइती आज ले नइ माड़े हे,चुनाव के दारू ला समलिया अकेला पी गे। तेकर अनख ला भइया लाल आज ले नइ भूले हे। खूंटी के कलेंडर अउ कुरसी के सरकार समय आथे तौ बदल जथे। फेर नीयत अउ बिचार नइ बदलय। गाॅव के कोटवार अउ थाना के हवलदार आपस मा सभझौता होय रथे कि, दू पइसा के जुगाड़ के रसता कहां ले निकल के कहां जाथे । पंचयती राज के एक ठन लेख लिखे के मन होथे फेर डर के मारे नइ लिख पाववॅ। डर येकर सेती कि आदमी डहर लिखवॅ कि महिला मन बर। आरक्षण के लहर गाॅव ले शुरू होय हवे। एकर सेती महिला सरपंच। भले काम काज गोठ बात कोष्टउॅहा लुगरा कस झाॅपी मा धराय रहय। अउ फेर काम तो बिचारा पति देव ला ही करना हे।

         तनखा लेवइया गुरूजी से लेके दलाली खवइया कोचिया मन पइसा के वहसी पना मा अतका लपेटाय हे कि, अपन धरम इमान ला पूस के घाॅम मा सेंके बर छानी मा मड़ा देय हें। देश मा गंभीर संकट, समाज पथभ्रष्ट हो गेहे। उद्योग अउ किसानी मा तालमेल नइये। शिक्षा अउ रोग उपचार गरीब मन बर सपना कस होवत हे। सरकारी योजना माने बिना ढक्कन के शीशी मा कागज के बोजना। अब तो महॅगाई के बजार मा बनी भूती के पइसा हर झोरा के एक टोकान ला नइ भरय। 

             पइसा पहुंच अउ पावर हर मनखे के पहिचान बन गेहे । राजनीति करबे त घोटाला करे के ट्यूसन पढ। नेता बनगे तब देश समाज ला होरा असन भूंजे के मंतर सीख। नवा साल मा एको ठन तो नवा होतिस। रहन सहन बदलगे। खानपान बदलगे। बोली मा बिदेशी मिला मिला के बोले के सभ्यता बनगे। संस्कृति अउ परम्परा के चेंदरी मा नकली सभ्यता ला पोंछा लगावत हन। हमर असन ला सरम अउ दुख दूनो होथे। सरम एकर सेती कि अपने पारे घेरा मा धंधा के कोंदा लेड़गा असन देखत भर हन। अउ दुख एकर सेती कि करतब के खुंटा मा इमान बॅधागे। अब तो घर मा मोर सुवारी मोर साथ देय मा किनकिनाथे। नइते महूं कहितेंव नवा साल सबले सुग्घर सबो बर सुग्घर कहिके। 

           तइहा के टिकली पइसा धरोहर हे, तोर अठन्नी चरन्नी के का मोल। चका चौंध के जमाना हे जेब मा रुपिया हे त रॅग रॅग के बोल। रहिगे तेकर जिनगी अउ नइये तेकर का मलाल। खटिया टोरइया बर खटोली मजाल। इंहा धन दौलत ले ही करम के रेख बदले जावत हे। अभागिन के भाॅग मा गुलाल भरने वाला कनों नइये। मजा लेय बर हे त सिधवा के डउकी सबके भउजी होथे। दान करे मा चोला नइ तरत हे । दान रपोटे मा तरत हे । हमर असन बर सबो नवा अउ सबो जुन्ना। मन मा कतको सवाल उठत रथे भइया हो फेर निदान अउ हल एको ठन के नइये। फेर वाह रे जिनगी जिंहा हल नइये उॅहा सवाल ही सवाल। बस जइसे तोर हाल ओइसने मोर हाल। तब का के बधाई अउ का के नवा साल ।


 राजकुमार चौधरी "रौना" 

टेड़ेसरा राजनादगाॅव🙏

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