Friday 3 December 2021

कउवा अउ पड़की **************

 कउवा अउ पड़की

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नदिया के तीर एक ठन पेड़ म कउवा अउ पड़की रहय।कउवा बड़ घमंडी अउ पड़की रहय ते सिधवा ।उकर दुनों के मितानी होगे।एक दिन के बात आय कउवा कथे मितान पड़की भूख के मारे मोर पोटा ऐंठत हे मेहा तोर पीला ल खाहु तभेच मोर भूख मिटाहि।

  पड़की सोच म परगे फेर कहिस :-मितान तै खाए बर तो खाबे फेर मोरो एक ठन बात हवय।तै हा पहिली अपन चोंच ल धो के आ जातेस।

   कउवा उड़ावत-उड़ावत नदियाँ कर गिस।नदियाँ के पानी म जइसने मुँहू धोय लागथे नदिया कथे तैहा चोंच ल मोर पानी म बोरबे त मोर पानी ह जूठा हो जाही तेकर ले तइहा कुम्हार तीर के करसा लाले अउ पानी डुम के अपन चोंच ल धो डार।

    कउवा उड़ावत-उड़ावत कुम्हार कर गिस अउ कहिन- भइया मोला करसा बना के देव।

 कुम्हार पूछिस करसा ल कइसे करहु कउवा भाई।

 कउवा कहिस-

    लेगबो करसा ,बोरबो चोंच,पिबो पानी

धोबोन चोंच,खाबो चिरई ,मटकाबो चोंच...

   कुम्हार कहिस ठीक हे भाई मैं करसा तो बना देहु फेर तँय माटी लान दे।

    कउवा माटी कर गिस अउ किहिस-

   "खनबो माटी बनाबो करसा,बोरबो चोंच,पिबो पानी

धोबोन चोंच,खाबो चिरई ,मटकाबो चोंच"

    माटी कइथे मोर कर माटी तो हवय फेर तय कोड़बे कइसे।

    कउवा उड़ावत-उड़ावत हरिणा कर गिस अउ कइथे-

 "लेगबो सींग, कोड़बो माटी,लेगबो करसा ,बोरबो चोंच,पिबो पानी

धोबोन चोंच,खाबो चिरई ,मटकाबो चोंच"...

      हरिणा कइथे भइया कउवा ये सबो तो बने हे फेर सींग ल उखानबे कइसे।

  कउवा हरिन के बात सुन कुकुर कर गिस अउ कइथे:-

     "लेगबो कुकुर,लुभाबो हरिना,तोड़बोन सींग, कोड़बो माटी,बनाबो करसा ,बोरबो चोंच,पिबो पानी

धोबोन चोंच,खाबो चिरई ,मटकाबो चोंच."

    कुकुर ह कहिस बात तो तय बने कहत हस फेर मोला ताकत बढ़ाये बर दूध पिये ल लागहि।

    कुकुर के बात सुन के कउवा नीलगाय तीर गिस।कउवा कहिस-

  "लेगबो दूध,पियाबो कुकुर,लुभाबो हरिना,तोड़बोन सींग, कोड़बो माटी,बनाबो करसा ,बोरबो चोंच,पिबो पानी

धोबोन चोंच,खाबो चिरई ,मटकाबो चोंच."

       नीलगाय कथे ये सब तो बने हे फेर दूध दे बर मोला कांदी लाग ही।

  कउवा कांदी के तीर पहुँचगे अउ कथे-

"लेगबो कांदी, खवाबो गाय, निकालबो दूध,पियाबो कुकुर,लुभाबो हरिना,तोड़बोन सींग, कोड़बो माटी,बनाबो करसा ,बोरबो चोंच,पिबो पानी

धोबोन चोंच,खाबो चिरई ,मटकाबो चोंच."

   कांदी किहिस बात तो बने आय फेर तय मोला लुबे कामे ।कउवा उड़ावत-उड़ावत लोहार कर गिस।अउ कहिथे भैया लोहार:-

" बनादे हँसिया ,लुबो कांदी, खवाबो गाय, निकालबो दूध,पियाबो कुकुर,लुभाबो हरिना,तोड़बोन सींग, कोड़बो माटी,बनाबो करसा ,बोरबो चोंच,पिबो पानी

धोबोन चोंच,खाबो चिरई ,मटकाबो चोंच."

    लोहार हँसिया बना देथे।कउवा जइसे हँसिया ल धर के उड़ाथे कउवा के चोंच ल जर जाथे।अउ कउवा के नाश हो जाथे।विश्वासघाती कउवा के नाश होय ले पड़की अउ उकर परिवार के जिनगी बाँच जाथे अउ हँसी खुशी ले उकर जिनगी चलथे।

              🙏

        छत्तीसगढ़ी लोककथा से साभार...

    द्रोणकुमार सार्वा

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