Friday 1 October 2021

व्यंग्य--गांधी के बाद ......... गांधी .......... हरिशंकर गजानन्द देवांगन




 

व्यंग्य--गांधी के बाद ......... गांधी .......... हरिशंकर गजानन्द देवांगन

                    गांधीजी के हरेक जयंती के मौका म जगा जगा बिसेस आयोजन होवय । एक बेर ओकर जयंती के अवसर म .... सरकार तनी ले गांधीजी के सुरता अऊ सनमान म बिसेस बइठका के आयोजन राखे गे रिहीस । सभा के जम्मो सदस्य मन गांधी के ड्रेस पहिरके बइसका म शामिल होही कहिके ..... अखबार मन म समाचार छपे लगिस । लोगन मनके मन म गांधी कइसन ला कहिथे तेला देखे के इच्छा बलवती हो गिस । हमर बबा जेहा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रिहीस तेला ..... सरकार कोती ले आयोजन देखे के नेवता मिलिस । हमर डोकरी दई के आँखी बने नइ दिखय तभो ले .. गांधी देखे बर वहू हा बड़ लुकलुकाये रहय । हमर बबा हा डोकरी दई ला समझावत रहय – तैं अंधरी कनवी काये करबे जाके .. ? ऊँकर गोठ बात ला घला नइ सुन सकस भैरी गतर ........ काबर फोकट जाये बर पुचपुचावत मटमटावत हस । डोकरी दई किथे – अई । मेंहा अभू के गांधी मनला जोर जोर से गोठियावत होही कहत रेहेंव हो .. ? यहू मन धिरलगहा गोठियाथे हो ......... । ओतके बेर मोर बेटा हा बबा अऊ बबा दई के बीच गोठ बात ला सुनत रहय । वहू हा गांधी देखे बर पदोये लगिस । बबा ला मिले नेवता म .. दू झिन के पास रहय । बबा हा .. डोकरी दई ला छोंड़के .. मोर बेटा ला गांधी देखाये बर लेगे । 

                     कार्यक्रम ले लहुँटके मोर बेटा हा .. पूरा वृतांत ला सिलसिलेवार बताये लगिस । ओहा कहत रहय - घर ले निकले के पहिली मेंहा सोंचे रेहेंव के सरकार डहर ले स्पेशल नेवता हे | लेगे बर गाड़ी आही । निकले के बेर पता लगिस के ..... घर ले आधा कोस धुरिहा .. हमन ला लेगे बर .... एक ठिन खटारा बस ठाढ़हे हे । पहुँचेन तब देखेन .. बस कोचकोच ले भराये रिहीस । गोड़ मढ़हाये के थेभा नइ रिहीस । डोकरी दई पूछिस – अई सरकार नइ जानत हे का .... के तूमन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आव ? तुँहर बर अलग गाड़ी नइ पठोतिस हो । बस म अतेक अकन भराये कचपिच कचपित बइठे जम्मो मनखे मन घला तुँहरेच संगवारी आय का तेमा ...... ? बबा हाँसिस अऊ बतइस - अरे हमर संगवारी मन तो कबके सरग सिधार चुके हे । रिहीस बात अलग गाड़ी पठोये के त हमन सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आन । कन्हो काम के तोप थोरेन आन .. जेमा हमर बर गाड़ी भेजही । रिहीस बात बस म भीड़ के , ओ भीड़ हा पइसा झोंक के जै बोलइया आय बई .....। येमन आज इहाँ पइसा झोंक के गांधी जी अमर रहे कहत रिहीन । काली पाकिस्तान म पइसा मिलही तहन .. मोहम्मद जिन्ना जिंदाबाद कहि दिही । 

                    डोकरी दई हा सुनके अचरज म परगे । ओहा सवाल पूछे लगिस – गांधी कइसे दिखत हे बेटा ? मोर मन हा गांधी के हाल सुने बर बियाकुल होवत हे । मोर बेटा केहे लगिस – तैंहा कहस के .... गांधी हा नानुक फरिया ला लंगोट बनाके लपेट के किंजरय । गांधी हा निचट दुब्बर पातर देंहें के रिहीस । ओकर हाँथ म बड़े जिनीस लउठी रहय अऊ ओहा ससताहा चश्मा पहिरे रहय । उहाँ सरी उलटा दिखिस । जेला देखते तिही ... भारी मोठ या .. । एक ले बढ़के एक .. बड़का बड़का पेट .....। नख ले सिर तक तोपाये नावा कीमती कपड़ा ........ । लउठी तो काकरो हाँथ म नइ रिहिस । चश्मा तो अइसे रहय .. जेला बाप पुरखा नइ देखे होबे ....... । 

                    डोकरी दई मुहुँ ला फारतिस तेकर पहिली बबा हा केहे लगिस – लइका जात का जानही वो ... मोला पूछ ...... । जेला देखे बर गे रेहेन तेमन गांधी थोरेन आय ओ ..... । येमन गांधी के वंशज अनुयायी अऊ सरनेमधारी आय । ओ समे गांधी हा देश के गरीबी देख , ऊँखर दुख दरद ला महसूस करत नानुक फरिया के लंगोट पहिरे । मोर बेटा पूछ पारिस – हमन जे रसता ले उहाँ तक गेन ते रसता म .. कतको झिन मनखे ला .. लंगोट पहिरके बूता काम करत देखे हन बबा । ओमन अमीर आय का बबा ? बबा किथे – नही बेटा एमन गरीबेच आदमी आय । बेटा पूछिस – त ओती ले जवइया गांधी मनला काबर नइ दिखिस ? नावा गांधी मन रसता म आँखी मूंद के गिन होही का ? या उप्पर ले टपकिन होही । बबा किथे – जे कीमती चश्मा लगाये रिहीन ना बेटा .. तेमा काकरो दुख अऊ दरद हा सिर्फ चुनाव के समे दिखथे या सिर्फ एक दूसर ला दोष देके बदनाम करे के बेर दिखथे । अभू न चुनाव हे .. न कन्हो ला बदनाम करे के उचित अवसर ...। रिहीस बात उप्पर ले टपके के ... । टपकइया मन कन्हो ला लंगोट पहिरे खाली पेट देखे के सिर्फ कल्पना करथे बेटा .... । ओमन ला सऊँहत देखे के सऊँक लागथे त , कन्हो अपने आदमी ला उइसने हालत के नाटक रचवाके , संग म फोटू खिंचाके प्रचार प्रसार करवाके , हमदर्दी देखा के लोगन ला भरमाथे बेटा । भारत म व्याप्त गरीबी भुखमरी के बावजूद , नख से सिर तक कपड़ा पहिरे के बात ला नानुक लइका ला का बतावँव बेटा । दागी देंहें अऊ बाढ़हे पेट ला लुकाये बर अऊ कायेच करहीं बपरा मन ....... ।   

                   डोकरी दई किथे – अई .. त कम से कम गांधी के लउठी ला तो धरतिन या ... तब तो पता चलतिस के कति असली गांधी आय ? बबा किथे – लउठी धरके काये करही ओ ? इंकर तिर तलवार ले जादा धार वाला मुहुँ हाबे । जेहा जब पाये तब लहाराके चोर से डाकू तक के असानी ले बचाव कर डरथे । डोकरी दई पूछत रहय – अई ! हम नइ जानत रेहे हन के काकरो मुहुँ म धार घला होथे तेला .. । त तूमन ला कन्हो खाये बर पूछिन निही हो ? बबा किथे – हमर बर बाँचिस कहाँ ? हमर नाव ले खवइया मनके पेट म अतेक जगा हे के ओमन चाही त पूरा देश ला हजम कर सकत हे । डोकरी दई हा सन खाके पटवा म दतगे । डोकरी दई पूछथे – एक्को झिन असली गांधी सहींच म नइ मिलीस हो ? बबा बताये लगिस – असली गांधी तो कब के मर चुके हे वो ..... । मोर लइका हा फेर पुट ले मारिस – तैंहा सुतगे रेहे बबा । जम्मो झिन .... गांधी आज भी जिंदा हे अऊ आगे भी जिंदा रइहि .... अइसे घेरी बेरी कहत रिहीन । बबा किथे – गांधी मरगे कहि .. त येमन ला कोन उहाँ बइठन दिही बेटा । डोकरी दई किहीस – त कन्हो बिरोध नइ करतिन हो ... ? बबा किथे – कोन बिरोध करही या । पक्ष अऊ बिपक्ष दुनों म उही मन हे जेमन गांधी बने के नाटक अऊ इतिहास दुनों रचत हे । 

                    हमर डोकरी दई किथे – गांधी मर चुके हे तेला महू जानत हँव । फेर गांधी के बाद कन्हो ना कन्हो .... गांधी बनके ओकर बाना ला उचाये होही सोंचत रेहेंव । कन्हो ना कन्हो ओकर रसता म ... रेंगत होही कहत रेहेंव हो ...... । बबा किथे – गांधी के बाद या तो केवल गांधी हे .......... या शून्य हे । गांधी के चर्चा तको सिर्फ सरकारी कागज म फलत फूलत हे  ......... ।  रिहीस बात रसता के ....... ओकर रसता म कोन रेंगही ओ ........ ? सहींच म ओकर रसता म रेंगइया बर खुरसी निये । ओकर रसता म रेंगत हन कहवइया मन , लबारी मरइया अऊ भरमाये के कोशिस करइया , ड्रेस छाप खुरसी लोलुप गांधी आय । येमन ओकर रसता म रेंगत हन ओकर बिचार के पालन करत हन अऊ जनता के दुख दूर करत हन कहिके , चिचिया चिचिया के जब बखान करथे तब , अइसे लागथे के चुनाव तिर म आगे हे ...... । तोर मोर समस्या उचाये बर भले ऊँकर मुहुँ नइ उले बाई ........  फेर अपन आप ला बचाये अऊ दूसर ला फँसाये बर हकन के चिचियाथे ........ ।

                   रात गहरावत रहय । बबा हा लँभा साँस भरत कहत रहय - कन्हो गांधी के नाव के खाल पहिरे के कोसिस म लगे हे , त कन्हो बिचार के खाल .......। ओकर खाल ला अपन देंहें म फ़िट कराये बर एती वोती नापा देवावत किंजरत हे । कास ! एकर पहिली अपन कद के नाप करवा देतिन । तब पता लग जतिस के ओकर कद म गांधी के खाल बिलकुलेच फिट नइ होवत हे । तब गांधी के बाद  ....... सिर्फ गांधी ........... वहू बिलकुल असली ....... , जनता के बीच छँटा के निकल आतिस । गांधी देखे के साध अऊ आस म जियत ...... जनता के सपना पूरा हो जतिस । 

हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन , छुरा .

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