Wednesday 20 October 2021

हमर जमाना मा.....* अशोक जायसवाल

 . *हमर जमाना मा.....*

अशोक जायसवाल

                          हमर जमाना मा... कहिके सब मनखे अपन अतित ल सुरता करत रोमाँचित हो जाथे | युवा वर्ग भविष्य ल सुरता करके प्रफुल्लित होथे | लइका मन तो वर्तमान मा जियत रइथे ते पाया के सदा खुश रइथे | आज विज्ञान के युग आय , सबो मनखे के पास ज्यादा से ज्यादा भौतिक सुख सुविधा हावय | तभो ले खिन्न पना अउ एकाकी पन हावय |

                 हमर समय म मनोरंजन के अइसना साधन नइ रहिसे | सुवा, कर्मा, पंथी, नाचा पेखन देख के समय पहावत रहेन | कोनो गाँव म परी वाले नाच होवत हे सुनाई परत त सइकिल  म जाके रात -रात भर नाचा देखन | देवारी के पहिली नोनी मन घरो घर अउ दुकान म घलो सुवा नाचे ल जावय , फेर अब कमतिया गेहे | देवारी के बाद हमु मन राउत नाचे ल जावन, अउ परी संग म सिटी बजा बजा के ददरिया गावन  तहाँ ले दोहा पारतेन | देवारी म गौरी गौरा पूजा ल उत्साह अउ सौहार्द पूर्वक मनावत रहेन, फेर आज के बेरा म तो छोटे बड़े सब मंद मउहा पीके डंगफाँद मचाथे | भाईचारा, अपनापन हा धीरे धीरे नँदावत जात हे |

                   जइसे बेरा करवट लिस तइसे विज्ञान ह अपन रूप बदलत  गिस |नाचा पेखन के जगा विडियो, टी वी आगे वो कर बाद मोबाइल | मोबाइल ले तो मनखे मानो एक कुरिया म धँधागे | मोबाइल धरे मनखे ल बाजु म बइठे मनखे है तको नइ चिन्हय| जइसे विज्ञान ह नवा नवा संसाधन जुटाइस तइसे रोजी रोजगार घलो बाढ़ीस  हे | पहिली तो काम धंधा हा कमतिच  रहिसे हे | किराना दुकान म काम म लगे बर सिफारिश ले के जाय बर लगय  | रोजी रोजगार नइ मिले ले बेरोजगारी के दंश झेलत कतको झन आत्महत्या घलो कर लिन | फेर अभी के समय म अइसना नइ हे, काम ज्यादा हे लेकिन कमइया नइ मिलत हे| 

                                      तइहा जमाना हा समय के चद्दर ओढ़त नवा रूप धर लेहे | छंद के छ परिवार हा साहित्य साधना में उत्कृष्ट योगदान देवत हे | पहिली तो हमन साहित्य के जानकारी बर साहित्यकार मन के पिछलग्गू राहन, अपन डायरी ल धर के सुधरवाय बर आगु पीछु घुमत राहन | काव्य गोष्ठी जायके पहिली दरी उठाय बिछाय के काम करतेन तब एको ठन कविता बोलन देतीच | फेर आज जमाना बदल गेहे , तइहा के बात बइहा लेगे, अब इहाँ सबो साहित्यकार छोटे बड़े एक मंच म आगे | सबो ल सही मंच उचित सम्मान मिलत हे| अब समय हे अपन आप ल निखारें के, लगन अउ मेहनत करेके | तब हमु मन कहिबो "हमर जमाना मा....... |


    अशोक जायसवाल

धुरंधर वार्ड भाटापारा छ. ग.

      साधक - सत्र 13

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