Thursday 14 October 2021

नागपंचमी हमर संस्कृति के हिस्सा ताय।



नागपंचमी हमर संस्कृति के हिस्सा ताय।


नागपंचमी सावन महिना के शुक्ल पंचमी मा बड़ धूमधाम ले मनाय जाथे।हमर हिंदु धरम मा ये दिन नाग पूजा के बड़ महत्व हावै।अइसे मान्यता हरे ये दिन नाग के पूजा करे ले मनवाँछित फल मिलथे,धन संपत्ति पाय के योग बनथे,अउ कहूँ साक्षात दरशन होय ले अवइया दिन ला शुभकारी अउ फलकारी माने गे हे।अइसे भी माने जाथे नाग के पूजा करे ले साँप काटे के भय हा तको मन ले दूरिहा जथे। नागपंचमी के तिहार गाँव मा चतुर्थी के दिन ले शुरू हो जथे।मनखे मन बिहनिया ले नहा धोय के बने साफ सुथरा कपड़ा पहिन घर के मुहाटी मा नाग देव के चित्र बना फूल माला अगरबत्ती जल,कटोरी मा दूध चढ़ा के दूध ल नाग के फोटो मा चुहाथे।कतको झन मनखे मन खेत खार मा बिला  नइते भिंभोरा मा माटी के चुकिया मा दूध भरके मढ़ाथे अउ अगरबत्ती जला फूल पान चढ़ा नागदेवता से बिनती करथे हे भगवान कभू अहित मत करबे अउ कभू अबेरहा भेंट हमर तुँहर झन होवय कहिके नाग देव के आशीष लेथे।नानपन मा प्रायमरी स्कूल मा पढ़त रेहेन नागपंचमी के दिन नाग के फोटो स्लेट मा बना के स्कूल लेगन।फूल पान धरके जान अउ स्कूल मा सबो लइका मन सोर गुरुजी मन विधि विधान से पूजा कराय। गुरुजी मन बताय कोनों भी जीव के हतिया करना पाप होथे,धरती मा ये जीव ह खेती किसानी मा बड़ महत्व रखथे।खेत खार मा हमर फसल के रक्षक हरे,कीट पतंगा,चूहा जेन हा फसल ला नुकसान पहुँचाथे वोकर ले येहा बचाथे। नाग पूजा के पीछू बहुते पौराणिक कथा कहिनी हे।हमर सियान मन नाग ला भगवान भोले जी के गहना मानथे,क्षीर सागर मा भगवान विष्णु जी के आराम करे के सैय्या मानथे,अउ इही हर शेषनाग बनके धरती के भार ल तको बोहे हे कहिथे।तेकरे सेती धरती मा काही अनिष्ट विपदा झन आवय कहिके परंपरा ल निर्वाह करत आज भी नाग देव के पूजा करथे।

*लइका सियान नाग ला दूध चढ़ावत,*

*पान फूल चढ़ा सपेरा बीन बजावत।*

*ढम्मक ढम्मक ढोल बजा सब नाचत गावत,*

*भिड़त हवै बाँके से बाँका कुश्ती मा पेंच लड़ावत।*

*नागपंचमी मा झम्मक झम्मक*

*उछाह मनावत।*

एक कहिनी हे जेमे एक किसान के तीन बेटा अउ एक बेटी रिथे।एक दिन अचानक खेत मा हल जोतत किसान के हल ले नाग के पिलवा मन के मृत्यु हो जथे।ये देख के नाग माता ह बड़ आग बबूला हो जथे,अउ बदला लेय खातिर किसान के घर रात मा चल देथे। किसान अउ ओकर परिवार सुते रहिथे,सुते हालत मा नाग माता ह आके ओमन ला डस देथे। किसान के नोनी ह जागत रीथे नागमाता वोला डस नइ पावय, किसान के परिवार मा नोनी ल छोड़ सबो झन के मौत हो जथे।ये देख नोनी ह बहुते आकुल हो जथे।नोनी ह नानपन ले नागदेवता के पुजेरिन रिहिन।

वोहा दिन रात नाग देव के पूजा करे बर धर लिन।फेर नाग माता के बदला पूरा नइ होय राहय, फेर रात मा किसान के बेटी ल डसे बर आथे।उहाँ जाके देखथे नोनी के अपन प्रति भक्ति भाव ला,देख के अचंभा हो जथे।अउ खुश होके नोनी ल वरदान देथे किसान परिवार के जम्मो झन ला जीवन के दान देके नागमाता अपन ठउँर मा आ जथे। तब ले नागपंचमी के तिहार किसान मजदूर, सियान अउ स्कूल के नान नान बाबू नोनी मन बड़ धूमधाम से ये तिहार ला मनाथे।अउ नागपंचमी के दिन सपेरा मन हा गाँव गली मा घूमत नागदेवता के तको साक्षात दरशन करा अपन रोजी रोटी तको कमाथे।ये दिन गाँव गाँव मा बड़ उछाह लोगन मन कुश्ती,कबड्डी के खेल करवाथे। नागपंचमी हा हमर संसकिरति अउ संकल्प ला दुहराथे अउ सीख देथे कि कोनों भी निरीह प्राणी ल मारना नइ चाही।काबर कि इही सब जीव मन धरती मा पर्यावरण अउ फसल के रक्षक हरे।इही सब जीव मन हा मिलके वातावरण के संतुलन ला बनाय रखथे।पुरखा मन ले चले आत नागपंचमी के पूजा हा इही सीख तो देथे।


विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव(धरसीवाँ)

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