Thursday 14 October 2021

भूत-विजेन्द्र वर्मा


 

भूत-विजेन्द्र वर्मा

भूत कहने से बीता हुआ कल या भूत भयभीत करने वाला नाम है जिसे हम सब सुनकर एक पल के लिए डर जाते हैं।किसी किसी को तो इस विषय पर चर्चा ही सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बीती को याद कर वर्तमान को छोड़ कर जीना भी भूतकाल है।हम सभी के जीवन में कई बार ऐसा पल आता है,किसी प्रियजन का अकस्मात इस संसार से विदा हो जाता है। मनुष्य आया है तो जाना तो पड़ेगा ये बात तो सभी जानते हैं।पर किसी की अल्पायु में चले जाना उस व्यक्ति के घर वालों व परिवार वालों के लिए पीड़ादायक और असहनीय होता है। मनुष्य दुखी व परेशान होकर मन और बुद्धि पर नियंत्रण खो देता है ।वर्तमान नीरस और भविष्य शुन्य लगने लगता है, भूतकाल की वो स्मृतियाँ पीछा करते अपने आगोश में लेने को मानों तैयार खड़ी हुई हो।

इसीलिए तो मन बुद्धि और शरीर के शुद्धिकरण के लिए हमारे पूर्वजों ने रीति-रिवाज बनाये हैं,संस्कार,सभ्यता का पाठ पढ़ा कर इन्हीं संस्कारों से रीति-रिवाजों में डूबकर भूत को भगाने में,ताकि हम सफल हो सकें।भूत को याद करना समस्या को और उजागर करना है,बीती घटनाओं की पीड़ादायक यादें  मन और बुद्धि को अंधकार मय कर शरीर को समस्याओं का मंदिर बना लेता है,और हम सब उसी में उलझ कर रह जाते हैं।बीती दुख भरी बातें हमेशा मन और शरीर को खोखला कर व्यक्ति को मानसिक रूप से कमजोर कर वर्तमान जीवन को अंधकारमय, अविश्वास,असफलता,

अराजकता,अपमान और तनाव से सारी शक्तियोँ का हास कर भूत को शरीर में आने का निमंत्रण देता है।

आइये जीवन को सुखी और आनंददायक बनाने के लिए भूत को छोड़ भविष्य की चिंता करें। अतीत की स्मृतियों को जरूर याद करे,पर यादों को अपने ऊपर हावी न होने दे। क्योंकि जिस शरीर व घर में भूत का वास होता है वहाँ से सभी दूर भागते हैं।

भूत से डरें नहीं,भूत के डर को भगाएँ।

अपने जीवन को खुशहाल,सुखमय बनाएँ।

✍️

विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव(धरसीवाँ)

No comments:

Post a Comment