Saturday 23 October 2021

पांचवी बोर्ड अउ आन गाँव मा परीक्षा देवई*

 *पांचवी बोर्ड अउ आन गाँव मा परीक्षा देवई*

हीरालाल गुरुजी समय

          महात्मा गाँधी हा अजादी पाछू बुनियादी शिक्षा उपर जादा धियान देय के बिचार देय रहिन। जिहाँ लइका ला पढ़ई के संगे संग अपन जिनगी ला, परिवार ला चलाय के ज्ञान इस्कूल मा घलाव मिले। हमर पाहरो मा सरकारी इस्कूल तीन चार गाँव मा एक ठन रहय। प्राथमिक मा एक नइते दू झन गुरुजी।बड़े गाँव मा इस्कूल रहय ता अतराब के गाँव के लइका मन पढ़ेबर जावय। मिडिल इस्कूल बर सात आठ गाँव, के मन सकलावँय।एखर ले सात आठ गाँव के मनखे मन एक दूसर ला जानय। लइकामन घलाव अपन जहुँरिया ला जानय जेमनला जिनगी भर नइ भुलावय। एक दूसर ला अटके बिरजे मा इही हा सहयोग देवय। शहर मा घलाव कम इस्कूल रहय।

          एक ठन अउ कि हमर पाहरो मा पांचवी के बोर्ड परीक्षा होवय जेखर सेंटर आन गाँव के इस्कूल मा रहय।परीक्षा देय बर चार दिन उहाँ के इस्कूल मा जाना रहय नइते उहाँ रहि के परीक्षा देवाना परय। लइका ला परीक्षा मा संघेरना गुरुजी के जिम्मेदारी रहय। हमन पाँचवी के परीक्षा ला आन गाँव के इस्कूल मा देवाएन अउ उही गाँव मा तीन रात रुके रहेन। पाँचवी मा हमर इस्कूल ले तीन गाँव के लइका रहेन जेमा आठ झन नोनी मन घलाव रहिन। ओ गाँव के तीन चार घर ला अइसनेच तीन चार इस्कूल वाला मन बर बेवस्था करे रहय। पहिली दिन परीक्षा देवाय बर जाय के पहिली अपन अँगरखा बिछौना के झोरा ला उँहा छोड़ के परीक्षा देवाएन।रतिहा के जेवन के बेवस्था कोन करिस तेला नइ जानन, हमन खायेन पीयेन तहाँ दूसर दिन के परीक्षा बर गुरुजी हा उहें पढ़ायबर भिड़गे। एक दू घंटा पढ़े पाछू सुतेन।बिहनिया फेर चरबज्जी ले उठा के पढ़े बर बइठार दिस।अइसने तीनो रतिहा बिहनिया होइस अउ चौथा दिन लहुटेन। हमर इस्कूल के सुशील हा ओ बच्छर केन्द्र मा पहला नंबर आय रहिस। गुरुजी घलाव हमर संग तीन रात ओ गाँव मा रुकिन। अब ओ जमाना नइ हे गाँव गाँव, पारा पारा इस्कूल, परीक्षा बर दाई ददा जानय। सब कर साधन हे।अब तो बोर्ड परीक्षा घलाव नइ होवत हे।

        हमर पाहरो मा अतराब के सबो सरकारी इस्कूल माटी के रहय, जेन ला हर शनिच्चर के गोबर मा लीपना रहय। एखर जिम्मेदारी सब पढ़इया के रहय। इस्कूल बिहनिया लगय ता पहिली व्यायाम, खेल होवय पाछू लीपई। बाबू लइका मन गोबर अउ पानी लावन अउ नोनी लइका मन बाहरी धर के लीपँय। सुनेबर आवय कि कतको गाँव मा इस्कूल के नाव मा खेत खार घलो रहय। जेमा सातवी आठवी पढ़इया मन ला नींदे अउ लुवे बर घलाव गुरुजी मन लेगँय अउ  सिखोवँय। पाछू खेत के होय धान ला इस्कूल के खरचा मा बउरय। हमर पाहरो मा इस्कूल मा सांस्कृतिक कार्यक्रम, पन्द्रा अगस्त, छब्बीस जनवरी बर दस बारा दिन आगर ले गाना बजाना, मुहखरा भाषण, कविता, गीत के तियारी चलय। आज घलाव चलथे फेर सरुप बदलगे हवय।डांस क्लास मा सिखे लइका मन ला भाग लेवाथें।शहर मन मा प्राईवेट इस्कूल मन मा एखर बर अलग गुरुजी राखथँय अउ पइसा माँगथें। तब मैं लिखथँव


*आजकाल के लइका मन ला कोन भला समझाही।*

*मोबाइल धर पढ़त लिखत हे अकल कहाँ ले पाही।।*


हीरालाल गुरुजी समय

छुरा,

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