Thursday 28 October 2021

हीरालाल गुरुजी समय छुरा, गरियाबंद

 हमन कब बेंचाबो-


       इस्कूल के घंटी बाजगे, सबो लइका मन प्रार्थना करे बर खड़े होगे।आज सुजल हा सबले पाछू मा खड़ा होइस। प्रार्थना पाछू सबो लइका अपन अफन कक्छा मा चल दिन।गुरुजी थोकिन मा हाजिरी लेय बर कक्छा मा आइस अउ हाजिरी लेइस। हाजिरी लेय पाछू पढ़ाहूँ कहिके खड़ा होवत रहिस कि सुजल हा खड़ा होगे अउ गुरुजी ला पूछे लगिस... गुरुजी हमन कब बेंचाबो। लइका के अलकरहा सवाल ला सुनके गुरुजी घलाव अकबकागे। कहिस... कहीं भांग धथुरा खा के आय हस का रे... बइहा असन सवाल पूछथस...। सुजल कहिस... नइ गुरुजी.. अभी तिहार बार मा बजार मा बेपारी मन अपन नवा जुन्ना जिनिस ला बेचथँय ओला तो महूँ जानथँव फेर.... गुरुजी उद्दे(तुरते)कहिस... फेर का रे...? सुजल कहिस.... काली हमर टीबी मा बतावत रहिस कि हमर देस के किरकेट खेलइया मन बेचाइस हे अउ उँखर टीम ला बड़का बड़का कंपनी वाले मन बिसाय हवय..... ता हमरो कबड्डी, खोखो टीम हा अउ हमन कब बेंचाबो। सुजल के गोठ ला सुनके गुरुजी हाँस डरिस अउ कहिस.... बेटा अभी तुँहर बेचाय के पारी नइ आय हवय। थोकिन बड़का बाढ़हू तब बेचाय के पारी आही। अभी तुँहर दाई ददा मन बेचावत हवय। गुरुजी के गोठ ला सुनके सबो लइका सुकुड़दुम होगे। सुजल फेर कहिस... सिरतोन गुरुजी .. हमर दाई ददा मन बेचागे हवय...उँनला कोन बिसाय हवय। गुरुजी कहिस... सिरतोन तो आय, चुनाव के बेरा मा तुँहर दाई ददा मन दारु, कुकरी, बोकरा, पइसा, बिछिया,पायल, टीबी, मोबाइल, छत्ता, गमछा, अउ अइसने किसम के जिनिस पायबर लालच मा बेचा जाथे अउ अपन वोट ला उही ला दे देथे। नेता अउ पार्टी हा ओला बिसाथे।

     ‌‌‌‌‌‌‌  सुजल फेर पूछिस... ओखर पाछू काय होथे गुरुजी। गुरुजी कहिस.... जइसे किरकेट के टीम अउ खेलाड़ी ला जौन कम्पनी बिसाय रहिथे ओ हा ओकर कंपनी के परचार करथे। कंपनी के बनाय जिनिस ला बेचेबर अउ विज्ञापन बर आगू रहिथे। ओखर नाव के अंगरखा पहिरथे।ओखर देय ला खाथे। ओहा जेती लेगथे ओती जाथे। अपन मन के कुछू नइ कर सकय। ओइसने जइसे जीते के पाछू नेता के सरकार बनथे ता ओ हा इही जनता ला अपन पार्टी के बताके बहुमत पाय के रउरी पीटथे, उनला गमछा पंछा पहिरा के अपन पार्टी के सदस्य बना के प्रचार करवाथे। पाछू जनता बर बनाय जिनिस ला उही सरकार मा बइठे नेता मन बेचथे। सुजल फेर पूछिस....गुरुजी सरकार अउ नेता मन काला बेंचथे अउ काबर। गुरुजी कहिस.... काला काला नइ बेचय रे.... जंगल, पहाड़, खदान, नदिया, पानी, समुंदर, कारखाना, रेल गाड़ी, हवाई अड्डा, संचार साधन, बिजली, कोइला, बैंक, भूत, वर्तमान, भविष..... जतका जनता के सुख सुविधा बर प्रकृति अउ पहिली के सरकार हा बनाय रहिथे ओला, जतका ओखर आकब मा आथे सबो ला बेंच सकत हे। किसान, बनिहार, डाक्टर, इंजीनियर, सब ला बड़का बड़का कंपनी मन बिसा लेथे, फेर काबर बेचथे ओला झन पूछव.... सरकार करा एखर बर अब्बड़ अकन जुवाप रहिथे। देश के विकास, आर्थिक उन्नति, रोजगार,  कारखाना मन बीमार होवत होवत हे, बंद करे बर परही, सस्ता जिनिस मिलही....। सुजल अपन चेथी ला खजवात गुरुजी ला फेर पूछिस... गुरुजी, हमन बजार जाथन ता कड़हा कोचरा, सरहा घुनहा जिनिस ला नइ बिसावन, ता ये कंपनी अउ करोड़पति मन डूबत  कारखाना, घाटा होवत रेल, हवाई अड्डा, खदान, पहाड़ ला कइसे बिसावत होही। गुरुजी फेर हाँस डरिस... कहिस... तोर मेर अइसने सवाल कहाँ ले आथे रे.... अतका तो हमर सरकार ला विपक्ष वाला मन नइ पूछय। बेटा, ये सब सरकार के नजरबंद खेल होथे। बेचाय जनता ला देखाथे बताथे आन, अउ करथे आन। एमा सब भ्रष्टचार अउ कमीशन होथय। ये सब तुमन बड़े बाढ़हू ता खुदे जान डारहू। अंडा देवय कुकरी अउ बेंच खावय रखवार।

        सुजल कहिस.... गुरुजी मन घलो बेचाहू का गुरुजी। हव बेटा... गुरुजी मन अभी सरकार के मन के मुताबिक देय बूता ला करत हे तब तक नइ बेचाय। जौन दिन सरकार ला लागही कि वो बूता मन मसीन मा आनलाइन हो जाही अउ एमा रुपया कम खरचा आही ता गुरुजी मन घलाव बेंचाही। कतको कंपनी मन सरकारी इस्कूल मा गुरुजी भेजे रहिस अउ अभू तियार हे। सरकार के कहत भर ले हवय।अब हमन गुरुजी भर्ती नइ करन।कंपनी अपन गुरुजी राखहीँ अउ पढ़ई कराही।सुजल फेर पूछिस... गुरुजी! ता देस के चारो मुड़का कार्यपालिका, न्यायपालिका, व्यवस्थापिका, अउ पत्रकारिता मन घलो बेचा गे हवय। गुरुजी कहिस.... अभी तीन ठन के तो जनाकारी महू ला नइ हवय फेर चउथा हा आधा आधा हवय। आधा मन मा कब्जा बड़े बड़े कंपनी मन के हावय अउ आधा मन बेचाय के तियारी मा हवय। अवइया बेरा बताही कि हमर देस मा राजनीतिक पार्टी मन ला जब बड़क बड़का कंपनी मन बिसाहीं तब देस के काय होही ओमन कतका मा बेंचाही। देस के रक्षा करइया मन ला बेंचही जौन दिन हमर काय होही।नियाव करइया मन कंपनी के होही तब काय होही। सुजल कहि पारिस... अउ काय होही गुरुजी, देस पहिली असन फेर गुलाम हो जाही। हम लइका मन बाँचबो।

     ‌गुरुजी सुजल के गोठ सुनके कहिस... बेटा अइसने बेचावत रही ता लइका मन घलाव नइ बाँचव। बड़का बड़का कंपनी मन किसान, बनिहार, डाक्टर, इंजीनियर, गुरुजी, पुलिस, वैज्ञानिक, पटवारी, तहसीलदार, कलेक्टर नेता मंत्री बनाय बर लइका मांगही। विदेश मा एखर ट्रेनिंग होही अउ हो सकत हे एखर बर पहिली दाई ददा बिसाय जाही। कंपनी मन बोली लगाही। कलेक्टर लइका जनम देवइया दाई ददा बर मनखे चाही। ओखर बर कतका उदिम होही जौन ला भविष्य बताही। अतका काहत रहिस कि एक्की छुट्टी के घंटी बाजगे। गुरुजी कक्छा ले चल दिस। फेर सुजल अभू ले गुनत हावय।हमन कब बेंचाबो।


हीरालाल गुरुजी समय

छुरा, गरियाबंद

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