Friday 8 October 2021

छत्तीसगढी ब्यंग------------राजकुमार चौधरी"रौना"

 व्यंग्य-


छत्तीसगढी ब्यंग------------राजकुमार चौधरी"रौना"

==="कुल मिलाके मरना हे"===


          वो जुग ला देख जब मनखे सिकार करय अउ ओला भूंज भांज के खावय जीयय। जिंकर तिर विकास के कोनो साधन सुविधा नइ रिहिस। मरियादा के चेतना जागे ले जंगल के डारा पाना मा तन ला ढाॅकय। कपडा कामे बनही कइसे बनही कोन बनाही काकरो चेत नइ रिहिस। काल चक्र के चकरी मा कुदत फाॅदत कलजुग के चबूतरा मा समाए हावन।उपर वाले हर मनखे के मूड़ी मा कोन किसम के भेजा भेजत हे जेमा नवा नवा सोंच खोज आविस्कार  ले नवा नवा गढत रथे। इही कलजुगी काल चक्र के भीतर एक ठन अउ युग के पीकी फूटगे हे ।जेला हम इलेक्ट्रानिक डिजिटल युग कहि सकथन। अइसे कोनो घर नइ बांचे हे जिंकर घर इलेक्ट्रानिक इलेक्ट्रिकल के समान नइ होही। जेन गाॅव मा बिजली नइ पहुचे हे एकर सुख सुविधा ले वंचित होय के दुख ला आन लाइन नइ कर सकत हे। भौतिक सुख सुविधा के प्रभाव अतका हे कि काम काज बटन दबाय अउ रिमोट चपके ले हो जावत हे। वासिंग मशीन बर्तन माॅजे के मशीन अउ कूकर मिक्सी के सुविधा भोगी महिला मन झाड़ू मा बटन खोजत हे। सुखियार देंह ला बचाय बर रॅधनी खोली मा चप्पल पहिर के खाना बनाये के रिवाज घलो झलकत रथे। सुविधा भोगी के अमीरी हर तो दिखथे फेर बजार ले घर पैदल आवत हफरासी आ जथे। बिजली के कूपित भाव ले पावर दू घंटा बंद होय ले कतको झन फड़फड़ाए लगथे। 

         वो चीन जेकर समान भारत मा किलो के भाव ले बेंचात हे। ओकर गुण दून आगर हे।भले चरदिनिया खटाय। तारीफ तो करे ला परही। तभे तो सबो सरहा सरहा चीज ला चीन ले मॅगाथन। घरो घर ओकर समान घड़ी टार्च मोबाईल लाईट लइका खेलौना झालर लाईट होली के रॅग देवारी के फटाका मोटर मशीन से लेके गोड़ बर चाइनिज चप्पल घलो चीन के।  हम गाॅव देहात के रहने वाला हरन। एक झन शूट बूट वाले शहरी ला पूछ पारेव----------कस जी हमर देश मा कुछू नइ बने का----?    वो कथे----------बनथे न जी, इंहा भ्रष्ट नेता अउ भ्रष्ट अधिकारी बनथे ।अच्छा तकनीक ला कमीशन के चक्कर मा बेंच खाथे बोर देथे। स्वदेशी के नारा लगात लगात गला फॅस जथे तब योग वाले बबा तिर जाके जड़ी बूटी मा निदान खोजत रथे। हाईब्रीड के सोखर्रा स्वाद मा मन ला तसल्ली देथे फल फ्रूट खाथन कहिके। चीनी रसायन ले रात भर मा केरा पाक जथे। भले ओकर सुवाद अउ प्रभाव कइसनो रहय। देश के सरहद मा चीन दादागिरी करथे पाकिस्तान ला भड़का के पॅदोली देत रथे तब पेट पिरहा सहीं चिचियावत रही कि ओ चीनी समान अउ उत्पाद के बहिष्कार करो कहिके। बैपारी मन के भरे गोदाम तोर हमर केहे ले सरोय निहीं।स्वदेशी ला आगे करना हे त चीन ले अच्छा अउ सस्ता बना ।ओकर दुकान अइसने बंद हो जही।

            मूरखपना के गोठ करे मा कोनो कम नइ करे। फेर अखबार के खबर ले अइसने जीव आधा हो जथे ।पलास्टिक के गोभी पलास्टिक के चाॅउर अंडा सून के भगवान सुरता आथे। बिना रसायन खातू के अब भाजी नइ उपजे ।धान गहूंके बात छोड़। जहर सिर मा जावय चाहे शरीर मे। फेर एक दिन तो मरना ही हे। दारू बिड़ी तम्बाखू सबो के उपर चेतावनी लिखाय रथे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हे फेर कोन चेत करथे। सबो के इही कहना हे। मरना हे त खा पी के मरो। अब के जुग मा पसरे सुख सुविधा भोग के नइ मरेन तहू का काम के मनखे जनम। पहिली के मनखे सौ दू सौ साल ले जीयय। अब औसत घट के साठ सत्तर के हे। आगू चलके चालिस तीस रहि जाही। फेर मरना तो हे। हमर देश के श्रध्दालू मन बोल बम बोल बम कहथ हे ।बइरी बिदेशी परोसी मन अणु बम अउ परमाणु बम कहत हे। अइसे कोनो दसा मा विनास महा विनास अउ सर्वनास तो होना ही हे। बाॅचे के रसता मा खइरपा लगे दिखथे।ओकरे सेती दुकूल गावत रथे ---काहां जाबे रे बइरी आगु तोर  काल खड़े हे। एती ले होय चाहे ओती ले कुल मिला के मरना तो हे ।


राजकुमार चौधरी"रौना"

टेड़ेसरा राजनादगाॅव🙏

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