Wednesday 20 October 2021

धान मिंजई बखत कोठार मा उलानबाँटी के मजा* हीरालाल गुरुजी समय

 धान मिंजई बखत कोठार मा उलानबाँटी के मजा*

हीरालाल गुरुजी समय

         हमर जमाना के गोठ होथे ता गाँव गंवई, खेती खार, बारी बखरी(कोला बारी), कुँआ बउली, नरवा ढोड़गा, माटी के खपरा वाला घर, फर्रस पथरा ला रच के बनाय पटाव वाला घर के फोटू मन आँखी मा झूलथे। चौमासा के चिखला वाला गली मा लुगरा टाँगे अउ कछोरा भिर के खेत जावत दाई माई जौन मुड़ी मा बासी धरे रेंगत दिखय, गली ले बइला गाड़ी, भँइसा गाड़ी मा ओहो, तोतो हाँकत किसान के अवाज। आज उही गाँव मा जाबे ता गली मा ओ पाहरो के देखे एको ठन क्रियाकलाप अब नवा पाहरो मा नइ देखेबर मिलत हे।

          कोला बारी मा कुँआ अउ ओमा लगे टेड़ा जेमा पाछू मा बइठ के उपर नीचे होय मा रहिचुली के मजा ले लेवन। गरमी मा रतिहा बिन पँखा के अँगना मा सुते अउ डोकरी दई के अछरा के हवा मा नींद कतका बेरा पर जावय ता पता नइ चलय। भरे तरिया ला ए पार ले ओ पार छू छुवाउल खेलत हाँसी ठठ्ठा मा नहाक देवन। आज शहर ते शहर गाँव के लइका मन एखर मजा ले दुरिहावत हे। काबर कि गाँव गाँव मा बोरिंग, घर घर मा नल लगे ले अब लइका तरिया जायबर अनाकानी करथे।

          मोला तो सबले जादा मजा धान मिंजई बखत आवय। हमर पाहरो मा बीएसपी इस्कूल मा चालीस दिन के दशरहा देवारी अउ इतवार संघेर के आठ-दस दिन के शीतकालीन छुट्टी देवय। मिंजई के बूता हा जादा शीतकालीन छुट्टी मा होवय। हमर पाहरो मा धान मिंजई हा दँउरी अउ बेलन मा होवत रहिस। जब गाँव मा रहेंव तभो अउ इस्कूल मा भर्ती होय पाछू घलो मिंजई मा संघरँव। मोला शीतकालीन छुट्टी मा मिंजई बखत गाँव भेजय। संझा संझा पेर डारय अउ दू ठन बेलन गाड़ी चले। आगू बेलन मा कका अउ पाछू मा बबा बइठय।हमर डोकरा बबा ला बीड़ी पीये के चुलुक लगे ता मोला बेलन मा बइला हाँके बर बइठा देवय। जब बबा हा बेलन हाँकत रहय तब बेलन के पाछू पाछू उलानबांटी खेलन। पैरा हा गद्दा बरोबर रहय, कइसनो उलन ले लागे के डर न छोलाय के फिकर। बइला मन रेंगत रेंगत गोबर देवय ता ओला उठा के फेंके के बूता घलो हमरे रहय। कभू कभू दूसर बियारा मा दउँरी चलत रहय ता उहाँ घलाव उलानबांटी खेले बर चल देवन।गाँव मा अरोसी परोसी के जहुँरिया लइका मन संगवारी रहय।  एक पइत कोड़ियाय पाछू खाय के बेरा हो जावय। डोकरी दई हा नइते काकी हा कोठर मा जेवन पानी धरके आवय। सबो झन कोठार मा एक तीर मा खूँटा गड़ा के उपर मा पैरा छा के बनाय झाला मा नइते बइला गाड़ी के खाल्हे कंडील के अंजोर मा भात खावन। खाय पीये पाछू फेर बेलन चालू होवय। अरोस परोस के सबो कोठार मा इहीच बूता चलय।कभू कभू कोड़ियाय बर एक दूसर के मदद घलो करय। अधरतिया के पहिली बइला ला ढील के उही झाला मा नइते बइला गाड़ी के खाल्हे सुतेबर तियारी करन। पहिली पैरा जठावन उपर मा कथरी गोदरी। गद्दा बरोबर बन जावय। सुते पाछू चद्दर अउ कमरा ला ओढ़हन। कतको जाड़ शीत रहय पछीना छूट जावय।

           बिहनिया बबा हा लाल चहा कोठार मा बनावय नइते डोकरी दई हा घर ले लावय तब मोला उठावय। ओखर पहिली कका,बबा मन कब के उठ के बेलन हाँकत रहय ता मोला पतेच नइ रहय। मुंह धोके चहा पीये पाछू फेर बिहनिया के कसरत मा उलानबांटी शुरु हो जावय। मिंजाय पाछू पैरा हटाय अउ ओला पेरावट मा लेगत ले आज के योगा, कसरत दउँड़ भाग सब हो जावय। पाछू नहाय बर जावँव, आवत ले अँगाकर रोटी घीव नइते चटनी संग आ जावय। बबा, कका के दतौन मुखारी सब कोठार मा होवय। रोटी खाय पाछू धान ला सकेल के कोठार के एक तीर रास बनावय। बहारय बटोरय अउ उखर जाय रहय ता काकी हा गोबर मा लीपय। ओमा काँवर काँवर पानी डोहारे के बूता कका अउ मोर रहय। ए बूता हा आठ दिन ले आगर चलय।मोर शीतकालीन छुट्टी इही उलानबांटी के मजा लेवई मा बीतय।

       आज ना सुर मा भारा डोहरइया दिखय, न खरही रचाय दिखय, न बेलन दउँरी के हँकइया। नवा जमाना हे सब बूता हार्वेस्टर, थ्रेसर मा होवत हे।अब तो नवा टाइल्स वाला घर मा कोठी घलाव नइ बनात हवय। राउत ला हाथा देवाय बर जगा नइ हे। गाय बइला हा गरु होवत हे।एक बखत अइसे आही कि धान के कोठी अउ गरवा कोठा जौन गाँव घर मा होही ओला नवा पाहरो के लइका मन ला देखाय बर सरकार हा योजना निकालही।


हीरालाल गुरुजी समय

छुरा, गरियाबंद

No comments:

Post a Comment