Thursday 14 October 2021

मुखारी-विजेंद्र वर्मा


 मुखारी-विजेंद्र वर्मा


मुखारी शब्द हा कोनों नवा शब्द नोहय।हमर सियान मन जब नहाय धोय बर तरिया नदियाँ नइते बाँधा जाय त घर ले मुखारी ल चाबत निकलय। घर मा मुखारी नइ राहय त आजू बाजू पास पड़ोस मा मुखारी माँगे के तको प्रचलन रिहिस हे। मुखारी कहे से मुख ला साफ अउ स्वस्थ रखे के क्रिया आय। अउ ये क्रिया ला एक जिनिस माने पेड़ के टहनी ला तोड़ के वोला दाँत मा चाब चाब के कुची बनाके दाँत के सफई करँय।जेला हमन दतुवन तको काहन।फेर आज के समे मा मुखारी ला आजकाल के लइका मन नइ जानय। मुखारी हा दाँत भर ला सफ्फा नइ करय,बल्कि ये हा शरीर के कतको बीमारी ल आय से रोकय। मंजन अउ टूथपेस्ट जब उपयोग मा आइस त कतको बीमारी ल तको अपन साथ मा लाइस हे।टूथपेस्ट मा हानिकारक केमिकल मिले रहिथे,जेकर ले दाँत के साथे साथ शरीर बर तको नुकसान देय होथे।गाँव मा सियान मन काहय दतुवन ले बड़का कउँनो टूथपेस्ट नइ हो सकय।दतुवन ला चबा चबा के ओकर रस ल घुटकबे त शरीर के आँत अउ खून के शुद्धिकरण तको होथे।येकर रस ह शरीर बर हमेशा फायेदमंद ही होथेच।शरीर के फोड़ा फुंसी,दाँत के पीरा सबो छू मंतर हो जथे।गाँव मा आसपास बंभरी,नीम,करंज,बेर,कउँहा, चिरचिरा के कोमल टहनी ला दतुवन माने मुखारी के उपयोग करथे,काबर खेत खार के मेड़, तरिया पार मा बड़ आसानी से मिल जथे।इही ला अगर शहरी मनखे उपयोग करथे ते पइसा देके खरीदे बर पड़थे।अउ शहर मा तो कतको झन बर ये हा रोजगार तको बन गेहे।ग्रामीण क्षेत्र ले दतुवन ला तोड़ के लाथे अउ शहर मा बेचथे। लोगन मन के जागरूक होय अउ येकर फायदा ला जाने के कारण येकर माँग दिनों दिन बाँढ़त हे। आयुर्वेद मा तो दतुवन के उपयोग ला कफ दोश नाशक अउ उदर रोग के समस्या ले निजात पाय के औषधि माने गेहे।

*नीम बँभरी बेर के,महिमा जानव आज।*

*घींसे बर अब तो तुमन,काबर मरथौ लाज।।*

नीम के मुखारी मा तो बैक्टीरिया रोधी गुण भरपूर होथे।जेकर ले दाँत हा चमकदार, शरीर स्वस्थ,मुँह के दुर्गंध अउ मुँह के छाला जल्दी ठीक करथे।दाँत मजबूती के संगे संग पाचन संस्थान ल तको मजबूती देथे। बँभरी के मुखारी ह दाँत मसूड़ा ल मजबूती अउ स्मरण शक्ति ला बढ़ाय के काम करथे।

करंज के मुखारी मा तेल जइसे पदार्थ निकलथे जेन हा लार मा मिलके मसूड़ा अउ दाँत ल स्वस्थ रखे के साथ जीभ मा कीटाणु के संक्रमण के तको सफाया करथे।ओइसने बेर के मुखारी घीसे ले दाँत साफ होते अउ अवाज ल साफ करथे। ओइसने कउहाँ, चिरचिरा,जामुन,जाम के मुखारी ह हमर मन बर बड़ फायदेमंद हवै।

*घींस मुखारी लान के,बना स्वस्थ जी दाँत।*

*चबा चबा रस लील ले, शुद्धि होय तब आँत।।*

मुखारी के महिमा अगम हे, महिला मन हा जब उपवास रखथे,तब शुद्धि अउ पवित्रता के नाँव के कारण ओ दिन ब्रश अउ टूथपेस्ट के त्याग करथे,ब्रश ला जूठा समझ इही मुखारी मा अपन मुख के शुद्धि कर धरम करम निभावत मुखारी के महत्ता ला बताथे।मुख अउ शरीर के शुद्धि बर ये मुखारी हा दवई के काम करथे।तेकरे सेती आज दिनों दिन येकर माँग बाँढ़त जात हे।तो अब हमन चाही कि अपन आसपास खाली जगा मा अइसन पेड़ ला भारी मात्रा मा लगावन अउ येकर फायदा ला लेवन।

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विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव(धरसीवाँ)


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