Friday 8 October 2021

व्यंग्य-हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

 व्यंग्य-हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .


चेतावनी 

                     अबड़ दिन म गाँव गेंव ... हमर गाँव अऊ उहाँ के बासिंदा मनला देखके , अबड़ दुख लागिस । हमर गाँव के लइकामन , बिड़ी सिगरेट , मँद मऊहा , भाँग गाँजा म बिगरत रहय । गाँव अऊ गाँव के  .... लोग लइका ….. सियान जम्मो झिन , बरबादी के खँड़ म खड़े रहय । गाँव के मनखे मनला सुधारे के प्रण करेंव । सँझाती बेरा गाँव के चौपाल म , सियान जवान जम्मो झिन सकलाके पियत खावत माते रहय , उही तिर अमरगेंव अऊ ये सब पदार्थ के अवगुन ला बतावत , एकर उपयोग ले होवइया नकसान के , चेतावनी देंव । गाँव के मन किथे - हमन येकर अतेक अवगुन ला नइ जानत रेहे हन बाबू , तेकर सेती , येकर इस्तेमाल करत रेहेन । फेर कन्हो हमन ला अतेक दिन म चेतइस घला निही के , ये सबो खराब चीज आय । में बतायेंव – बेंचइया ला तो केवल अपन फायदा ले मतलब हे , ओ थोरेन बताही । फेर समझना तो , हमन अऊ तूमन ला हे के , कते बने आय अऊ कते गिनहा । वइसे जतेक अकन बरबाद करइया समान बेचाथे तेकर खोखा म या सीसी म , एकर उपयोग ले होवइया नकसान के बारे म चेतावनी जरूर रहिथे । भविष्य ला बर्बाद करइया .... जम्मो जिनीस के खोखा , खड्डा , बोतल अऊ रेपर मंगाके देखायेंव , जम्मो म इही लिखाये रहय के , एकर सेवन करना या इस्तेमाल करना हानिकारक हे । गाँव के मन मुहुँ ला फार दीन । मोर बात जम्मो के समझ म आगे । जम्मो झिन प्रण करके , अइसन पदार्थ ले किनारा कर लिन ।  

                    बछर नहाकगे । जुन्ना पुरखौती घर के साफ सफई के बहाना , अपन गाँव के प्रगति देखे के सऊँख म , परिवार सुद्धा फेर अमरगेंव अपन गाँव । फेर ये पइत , पहिली ले कतको जादा , मोर गाँव के दुर्दशा दिखत रहय । में सोंचत रेहेंव ..... चारों मुड़ा म मोर गाँव के प्रसिद्धि के खभर होही , इहाँ उलटा होगे हे , गाँव के भारी दुर्दशा ........ ? मोला समझ नइ अइस । संझाती चौपाल म , अपन बात राखे के सोंचेंव ...... सांझकुन मरे रोवइया नइ अइन लीम चौरा म .... । दूसर दिन , गाँव के मनला , सकेलें के उदिम करेंव । गाँव के मन सकलइन जरूर फेर , आतेच साठ एक दूसर के ऊपर , आरोप प्रत्यारोप लगावत अस लड़िन के , बिन गोठ बात के , संसद कस , बइठका उसलगे । एक दूसर ला फुट्टे आँखी नइ सुहावत रहय । गाँव म चारों कोती झगरा माते रहय । झगरा के कारन समझे बर , अपन कका तिर अमरगेंव । कका बतइस – अभू गाँव म चौपाल नइ लगे बाबू , फकत बइसका होथे । गाँव के मनखे मन , शराब बिड़ी सिगरेट के नसा ला छोंड़ , दूसर नशा म , जबले बुड़े हे , तबले गाँव के , अइसन हालत होगे बाबू .........। हमर गाँव येकर ले कतको बने तो तभे रिहीस जब , ओमन दारू , गाँजा भाँग के नसा म , बुड़े रहंय । तोर बात मान के , लइकामन ओला तो छोंड़ दिन फेर ......।

                    में कुछू कहितेंव या पूछतेंव तेकर पहिली , कका फेर केहे लगिस – मोर मन म एक ठिन नानुक सवाल हे बाबू ...... जइसे बरबाद करइया समान के खोखा या रेपर म , ओकर उपयोग ले होवइया नकसान के चेतावनी लिखाये रहिथे तइसने , नकसान देवइया या नकसान हो सकइया जम्मो चीज म अइसने चेतावनी लिखाये रहिथे का .......? में बतायेंव – जरूर लिखाये रहिथे कका , हरेक समान के रेपर म .. एकर उपयोग करे म अइसन नकसान हो सकत हे अइसे लिखाये रहिथे ... अऊ तो अऊ जौन रसता म रेंगथन न कका , तहू म हमन ला नकसान झिन होवय कहिके , धीरे चलव , सावधान आगे अँधा मोड़ हे .......... , आगे संकीर्ण पुलिया हे ........ , आगे ब्रेकर हे ..... अइसे बड़े बड़े बोर्ड म लिखाये रहिथे । कका फेर पचारिस – सरकार के चेतावानी देके नियम , जम्मो बर लागू हे के , कुछ मनला छूट घला हे ? में बतायेंव – कन्हो ला छूट निये कका , अपन चीज के खामी अऊ ओकर ले होवइया नकसान ला , जनता ला बतायेच ला परथे ......... ।

                     कका रोवासी होवत पूछथे - त राजनीतिक पार्टी के प्रचार प्रसार अऊ विज्ञापन म , काबर नइ लिखाय रहय के , जे हमर पार्टी ला वोट दिही , ते अपन बरबादी बर खुदे जुम्मेवार रइहि । अपन बात ला बताना छोंड़ , अपन रेपर , खोखा अऊ बोतल म , दूसर के कमी खामी अऊ अवगुन ला काबर बताथें ? तैं कोशिस करते बाबू , एक बेर यहू मन , अपन विज्ञापन म , अपन पार्टी ला , सत्ता म लाने ले , भविष्य म , होवइया नकसान ला , जनता ला बता देतिन त , हमर गाँव के लइकामन अइसन दल के दलदल (राजनीति) म , नइ बुड़तीन तब , हमर गाँव के अइसन बरबादी नइ होतिस । कका ला निचट अनपढ़ गँवार समझत रेहेंव , ओकर प्रश्न अऊ बात ले मोर आँखी खुलगे । में जानत हँव , सिर्फ इँकरें विज्ञापन म लबारी उप्पर लबारी रहिथे , अऊ येकर असल खोजे के कोशिस खइत्ता हे , इँकर रेपर के तरी रेपर अऊ ओकर तरी अऊ रेपर , गोंदली कस फोकला , निकलत जथे फेर इँकर असलियत जान सकना संभव निये .... अपन गाँव ला सुधारे के संकल्प बर पछतावत घर बइठके , मने मन गुनत रोवत हँव .......  काश .. में गाँव के लइकामन ला , भाँग गाँजा बिड़ी सिगरेट अऊ दारू के नशा त्यागे बर नइ कहितेंव ते , कम से कम राजनीति के नशा म , ओमन नइ परतिन अऊ तब मोर गाँव म चौपाल जरूर लगतिस ..... भाई हा भाई ला प्यार करतिस ..... बाप बेटा के सम्बंध नइ बिगड़तिस ..... गाँव के हरेक मनखे हा या तो काकरो बर बेटा होतिस ... काकरो देवर .... काकरो ममा .... काकरो भाँचा .... काकरो भाई त काकरो कका होतिस ..... कोई काकरो दुश्मन नइ होतिस ... त मोर गाँव .... बरबाद नइ होतिस ....... । इँकर विज्ञापन म कब चेतावनी लिखाही ..... जे दिन पूछे लइक हो जहूँ जरूर पूछहूँ ...... । 

  हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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