Friday 8 October 2021

व्यंग्य--हरिशंकर गजानंद प्रसद देवांगन छुरा .

व्यंग्य--हरिशंकर गजानंद प्रसद देवांगन छुरा .


फसल 

                    कोन कइसन फसल लगाथे अऊ काकर फसल हा कतका उत्पादन आमदनी अऊ खुशी देथे तेकर प्रदर्शनी लगे रहय । अपन अपन प्रोडक्ट ला देखावत जम्मो बड़का बड़का देश के राजनेता मन अपन अपन देश के बड़का बड़का वैज्ञानिक मन संग खुद स्टाल म ठड़ा होके ... जगोये के तरीका ला जिज्ञासु मनला बतावत रहय । अवसर रहय रायपुर म लगे विश्व फसल एक्सपो के । 

                    अमेरिका के स्टाल हा ओकर औकात कस बहुतेच बड़का रहय । उहाँ के प्रथम नागरिक हा खुदे ठड़ा होके अपन फसल के उत्पादन के बारे म जनता ला कम्प्यूटर के माध्यम ले बतावत रहय । छत्तीसगढ़िया मनखे मन पहिली बेर जानिन के रूपिया के घला पेड़ होथे । मन म सबले अधिक उत्सुकता इही बात के रिहिस के येहा जामथे कइसे ? फसल उपजाये के जबरदस्त तरीका के अगाज सुन छत्तीसगढ़िया के मुहुँ उले के उले रहिगे । येला उहाँ के शासनाध्यक्ष खुदे बतावत रहय के एक देश ला दूसर परोसी देश के भय देखाके अपन साधारन अप्रचलित अऊ बिलकुलेच बेकार हथियार ला ससता म बेंचके ओकर रक्षा के आश्वासन दे दव अऊ ये बात के प्रचार प्रसार अतेक करव के दूसर देश हा पहिली देश तिर जमा हथियार के नाव सुन डेर्रा जाये । तब परोसी देश हा कुछ दिन म ओकर ले उन्नत हथियार पाये बर हाथ गोड़ मारे लगय अऊ ओकरे तिर हांथ लमाये । तब अपन थोकिन उन्नत फेर जुन्नाये अऊ चलन ले बाहिर होवइया हथियार ला बहिर निकालव अऊ अपन मन मुताबिक कीमत म दूसर देश ला बरो देवव । अतका म पहिली देश के मन मा अतेक भय पइदा हो जथे त ओहा फेर हमरे शरण म पर जथे अऊ ओकर ले उन्नत अऊ नावा हथियार ला कोई भी किम्मत म बिसाये बर तैयार हो जथे । छल के बल म बैपार चल निकलथे । गऊकिन जी ! जेकर पाव तिही तिर पइसा के अतेक पेड़ जाम जथे के ... फसल ला टोर सकना मुश्किल हो जथे । इही पेड़ ले गिरे पइसा ला उही दुनों देश के युद्ध म मारे के सैनिक के परिवार या उहां के विकलांग सिपाही मनके कल्याण म खरचा करके नाव घला कमा डरथन । पइसा के अइसन फसल के तरीका सुन चिरपोटी पताल अऊ चेंच भाजी उपजइया छत्तीसगढ़िया के दिमाग चकरागे । 

                    चीन के स्टाल घला ओकर जनसंख्या कस बिशाल रिहिस । ओकरो तिर एक ले बढ़के एक सुंदर सुंदर प्रोडक्ट रिहीस । दुनिया भरके इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद ले जादा आकर्षक अऊ ओकर ले कतको ससता । भीड़ बढ़ते जावत रिहिस । बिसाये के होड़ घला मातगे । कतको झिन चीन के फसल ला बिसा डरिन फेर चीन हा उपजाये के तरीका ला कन्हो ला नइ बतइस । घर पहुंचे के पहिली कतको के समान या तो टूटगे या खराब होगे । छत्तीसगढ़िया मन समान के शिकायत करत मेसेज करिन तब चीनी मन बतइन के हमन नकली माल के फसल उपजाथन जेहा अपन उपयोग बर नइ होय सिर्फ तुंहर कस गरीब देश म खपाये बर आय । इही फसल के सहारा म हमर देश के उन्नति दिन दूनी रात चौगुनी होवत जात हे । जनता तिर मुड़ी धरके पछताये के अलावा कुछ नइ बांचिस । 

                    जापान फ्रांस रूस अरब सब अपन अपन स्टाल म भितरे भितर खुश खुश दिखत कलेचुप माछी खेदत बइठे रहय । कोनो ला हाँक पारके बलाये घला निही । अइसे भी कोनो छत्तीसगढ़िया ला अइसन उन्नत देश के फसल देखे के इच्छा घला सिरा चुके रिहिस । 

                   इंग्लैंड के महारानी हा अपन शान के रूख धरके ठड़े रहय । ओहा इहाँ के जनता मनला बतावत रहय के हमर राज म कभू सूरज नइ बुढ़य । हमन नफरत फसल के बीजा ला कतको देस म अइसे बगराके आ चुके हाबन के ओमन अभू तक ओकर आगी म जरत लेसावत भुंजावत आपस म मरत कुटत हे अऊ इही हमर शान आय । हमर फसल के सेती कतको देश हमर तरी म झुके बर मजबूर हे । हमर फसल अतेक घना होथे के धरती भर के अपराधी भगोड़ा मन कब अऊ कति तिर हमर देश म आके लुका जथे तेला कोई नइ जान सके ।  

                    भारत के स्टाल म सिर्फ शांति बगरे रहय । अतेक बाटुर होय के बावजूद अतेक शांति समझ नइ अइस । तिर म गिन तब लोगन ला पता चलिस के येमन शांति भाईचारा अऊ प्रेम के फसल लगाथे जेमा सुकून अऊ आत्मसंतोष नाव के फल प्राप्त होथे । ये फल मन बहुतेच करू आय फेर इही ला खाके इहां के मनखे मन खुश रहय । अपन प्रेजेंटेशन देखाके हमर देस के वैज्ञानिक मन घला खुश रहय । 

                    आखिरी म पाकिस्तान के स्टाल लगे रहय । जेमा जनता जाना नइ चाहत रहय फेर आयोजक मन के आग्रह म जाके देखिन त पता चलिस के , आतंक के फसल म ... जेहाद के सिंचाई ... कट्टरता के खाद अऊ मक्कारी के कीटनाशक छिंड़कके अपन लहलहावत फसल ला , कालर ऊँच करत उहां के मुखिया खुदे देखावत रहय । ओकर फसल म बंदूक गोली अऊ बम बारूद के फल लगे रहय । फसल ले नफरत के दुर्गंध के हावा अतेक चलत रहय के नाक दे नइ जावत रिहिस । फेर एक बात ये रिहिस के पाकिस्तानी अऊ ओकर सपोर्ट करइया कतको झिन ला इही दुर्गंध म अतेक आक्सीजन मिलय के .... येमन येकरे बल म खुरसी म चइघ जाये । 

                    एक्सपो सिरागे । अपन अपन स्टाल समेटके सबो झन अपन अपन देश चल दिन । छत्तीसगढ़िया ला पहिली बेर पता चलिस के उरिद मूँग चना अऊ धान के अलावा अऊ कतको अकन चीज हे दुनिया में .. जेला उपजाके किसान हा मालमाल हो सकत हे .. अपन अऊ अपन देश ला खुशहाल बना सकत हे । फेर अनपढ़ गँवइँहा छत्तीसगढ़िया के अतेक समझ कहाँ ? ओहा दुनिया म सिर्फ पेट के भूख ला जानय तेकर सेती नाँगर के मूँठ ला हांथ म धरके पानी गिरे के आस म आकाश ला ताकत ... खेत जोते के तैयारी म लगगे । 

 हरिशंकर गजानंद प्रसद देवांगन छुरा .

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