Wednesday 20 October 2021

हमर जमाना कस-केवरा यदु "मीरा "

 हमर जमाना कस-केवरा यदु "मीरा "


हमर जमाना कस अब कुछु नइ होवय पहली नवरात में दुर्गा  नइ पधारत रिहिन।

वो जमाना में दस दिन ले रामलीला  होवय पहिली रोज रिहर्सल में  जावंय बाबू जी कका बड़े पिताजी।

बाबूजी राम बने कका लक्ष्मण बड़े पिता जी रावण फूफा जी परसुराम।

कका के महापरसाद हा सीता बने 

साते बजे जगा पोगरा ड़रें बोरा बिछा के दस के बजत ले रामलीला चले।

पहिली दिन राम जनम होवय 

दूसर दिन छोटे लइकन देखावंय थोकिन बड़े होय गुरूगृह देखा दंय 

सीता स्वयंबर में बहुत मजा आवय फूफा खड़ाऊ पहिने राहय तेला कूदइ के मारे रिसिया के पांव ल पटक पटक के खड़ाऊ ला टोर ड़रें ।

अतका भड़के राम  बर क्यों  तोड़ा धनुष को  कहिके।

राम कुछु नइ काहय बस मुड़ी निहार के पांव परे मेरे हाथों  से ही टूटा कहके।

फेर लक्ष्मण हा बने घुंसिया के काहय धनुष  पुराना है हाथ लगाते टूट गया ।

का पूछत हस लाल आँखी देखावय परसुराम हा।


अइसने होवत सीता हरण होवय बन बन खोजे तब बाबूजी बिलाप करे पेड़ पौधा ल पूछे सुसक सुसक रोवय त मोर बाबूजी रोवत हे कहिके मँहू रोवंव।

सबो नर नारी मन दुख मा रोवंयं।

बाद में युद्ध चले त सबो ल मारत जाय त खुस होवन ताली बजावन।

एक दिन लक्ष्मण ला शक्ति बाण लगे फेर विलाप चले मैं बहुते रोवंव कका मर कहिके काबर।बाबूजी फेर रोवत राहय तब हनुमान जी हा संजीवनी लाने बर जाय तब लक्ष्मण जिंदा होय तब खुसी के ठिकाना नइ राहय।

रावण मर जाय तेकर बाद आखरी अब्बड़ चढ़ोतरी होवय धान के ।ओ जमाना में माइक घलो नइ राहय तभो जोर जोर से बोल के अपन पाठ ल सुनावंय ।

घर में बाबूजी रोज पढ़े उही उही ला पंदरा दिन पहिली ले सुन के मोरो याद  हो जावय ।अइसने रामलीला 

बहुत  दिन ले होइस  बाद मे  कहिन लेना जी अब तहूँ मन सीखो तब दूसर लइका मन सीखिन तीन दिन बर तीने दिन रामलीला होवय।


ओकर पाछू एके दिन होय ला धर लिस मोर बेटा राम बनिस छोटे हा राम  अऊ मंझला  हा लक्ष्मण काबर छोटे हा उंच पूर हावय रावण मारे के बाद आरती करंय सबो झिन अऊ चढ़ौत्री चढ़ावय।

अपन घर भीतर चौक पूर के घरो घर आरती करे बर बुलावंय राम लक्ष्मण बर नरियर राखे राहंय नही ते पइसा धरावंय पांव परें चरण ल धोके पियंय अतका श्रद्धां भक्ति  राहय।

अब कहाँ पाबे रावण घलो नइ मारिन ये साल ।

कोनो साल फटाका ला भरके रावण बना देथें ।राम रावण बन के संवाद चलथे रावण ला बाण में आगी लगा के मार देथें ।

ओती  वहू रावण ल जला देथें फटाका भड़ाभड़ भुटगे।

जिकर लइका राम  लक्ष्मण बनथे उकरे घर आरती होथे बस।


मोबाइल के जमाना आगे  रोज रामायण देखत हें टी वी में रोज सिरियल देखत हन।

ओइसने गाँव म पहिली मड़ई होवय रइचुली लकड़ी वाला आवय रंग रंग  के खेलौना आवय किसम किसम के मिठई पेड़ा गुलाबजामुन बड़ा भजिया  बेचाय बर आवय सिर्फ मड़ई भर के दिन आवय तेकर सेती हमन ला अगोरा राहय कब मड़ई होही खई खजाना मिलही येती ले ओती संगवारी मन संग घूमबो कहिके खुश होवन।


रात होवय नाचा पार्टी आवय टीला वाला नाच काहत लागे ।

आजू बाजू के दस गाँव के आदमी सकलावंय।

कंबल चद्दर ओढ़ के देखन रात पहा जावय।

यहू साल अभी कुछ दिन पहिली नाचा होइस हे।

मँहू गेंव देखे बर सब कुछ  बदल गेहे नचइ कुदई हा।

अब तो माईलोगिन बने रथे तेमन माइक ला धर के गाना गाथें अऊ नाचथें पहिली बाजा वाला मन गावंयँ।

झलप तीर के नाच पार्टी हरे बने हे अभी भी हँसावत हें जोकर मन नजरिया माइक धर के आथे गावत गावत, ढंग बदल गेहे फेर छत्तीसगढ़ के संस्कृति ला बचाय तो हावयं।

अमेरिका में  रहिथे बेटी  रायपुर के तौन हा नाचा में  कोन कोन रहिथे उंकर नाम का रहिथे का कहिके पुकारथें कहिके पूछत राहय रायपुर के बेटी हा अपन संस्कृति ला उंहा बताय बर।

मँय कहेंव जोकर रहिथे दू  तीन  एक ला नजरिया  कहिथें ।

नारी पात्र ला दू से तीन परी रहिथें नाचने वाली बन के सभी।

पुरुष होते हैं ।

क्या करते हैं कहिस मँय केहेवँ कहानी पर आधारित नाटक करथें 

भाई भाई के झगरा ।

कभू दहेज उपर कभू माँ बाप उपर।


कभू सास बहू के झगरा हँसाना रोवाना उकंर काम हरे।

अब नाचा घलो  नंदावत हे।

पहिली छठ्ठी में दारू मंद नइ चले नाचा पार्टी बुलावंय बने घर के।मन बडहर मन बाकी मन हरिकीर्तन बुलायं रामायण आजो चलत हे।।

नाचा हा साल भरमें एक बार हो जथे नंदावत हाबे जमाना के संग सबो बदल गेहे।

सब कुछ अब सपना लागथे पहिली कतका मजा रिहिस लइका पन में ।



केवरा यदु "मीरा "

राजिम

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