Saturday 16 October 2021

भीख---हीरालाल गुरुजी "समय"

 भीख---हीरालाल गुरुजी "समय"

      अपन मोहाटी मा बइठे डोकरी दई हा गोहार पार के रोवत अपन नाती ला समझावत रहय।बेटा भीख मांगना बने नोहय। अभी तोर उमर पढ़े लिखे के हावय। हमन गरीब हवन ता बनीभूती करके कमा खा लेबो। भीख माँगना हा मरे जइसन होथय। फेर ओखर नाती हा फूटहा कटोरा ला धरे अपन डोकरी दई ला कुरियइ भीतरी ले काहत रहय... मोर उमर के कतको झिन अउ मोर ले जादा उमर के अडंबड़ अकन मन भीख मांगत हे ता महू भीख मांगेबर जाहूँ। मोला हमर ये हाल हा बने नइ लगत हे। तोर दुख ला देख नइ सकँव, बड़का बाढ़हूँ ता भले छोड़ देहूँ... डोकरी दई हा रोवत सुसकत मोहाटी मा छेंके बइठे ओला काहत रहय, मोर तो गोसइया अउ बेटा बहू मन पहिलीच छोड़ के सरग चल दिस।मँय तोला भीख मंगवाहूँ ता नरक मा घलाव मोला ठऊर नइ मिलही। घेरी बेरी समझावय फेर लइका रहय कि अपन जिद मा अड़े रहय अउ भीतर ले निकले के उदिम करे।

         ओतकेच बेरा ओती ले एक झन पुलिस वाला हा  आवत रहय।डोकरी दई ला रोवत देख रुक गइस अउ तीर मा जा के पूछिस...ए डोकरी काबर रोवत हस.. कोनों मरगे का ?कोनों कहीं ला चोरा लिस का ?.. डोकरी दई हा कहिस... साहेब अइना कुछू नइ होय हे...मँय अपन नाती ला पढ़ाना लिखाना चाहथँव फेर वोहा मोर गरीबी ला देख के भीख मांँगे बर जाहूँ कहिके निकले परत हे... तूमन थोकिन समझा देवव... पुलिस वाला हा लइका तीर जाके समझावत कहिस... बेटा तोर डोकरी दई बने काहत हे भीख मांगना हा बने नोहय, पढ़ लिख लेबे ता कोनोँ नउकरी मिल जाही... नइते मोर असन पुलिस वाला बन जाबे। लइका हा कहिस.. मँय पुलिस नइ बनव वहू मन तो भीखेच माँगथे, गाड़ी मोटर वाला, बजार हाट वाला, दुकान पानी वाला मन करा जाँच करत हन कहिके पइसा मांगथे।नइ देवय ता धमकाथे।पुलिस वाला हा लइका के गोठ ला सुनके सुटुर सुटुर चल दिस। ओखर जाय पाछू डोकरी दई फेर रोय लगिस।

              ओतकीच बेरा ओती ले उकील अउ डाक्टर हा फटफटी मा जावत रहिस, डोकरी दई के रोवई ला सुन वहू मन रुकगे। डोकरी दई तीर जाके पूछिन... कोनों बिहार हवय का? कोनों नोटिस मिले हवय का ?...  डोकरी दई वहूमन ला बताइस अउ लइका डहर अँगरी देखाइस। वहुमन समझावत कहिन... बेटा भीख मंगई हा बने नोहय पढ़ लिख ले उकील, डॉक्टर बन जाबे। तोर अउ डोकरी दई के सब दुख मेटा जाही। लइका कहिस.. मँय उकील डाक्टर नइ बनँव... वहू बनके भीख मांगेबर परथे, झूठ लबारी मारे बर परथे, सही ला जानके लबरा हइतारा ला मनखे ला पइसा खातिर बचाबर परथे। डाक्टर मन मरे मनखे ला जीयत बताके पइसा बनाथे... ऐखर ले भीख मँगई बने हरय। लइका के गोठ ला सुनके फटफटी चालू कर दूनोझन कलेचुप चल दिन। डोकरी दई फेर रोयबर धर लिस।

       तभे नारा लगावत दू ठन जीप धीर लगहा ओती ले निकलत रहिस। डोकरी दई ला देख के आगू वाला जीप हा रुकगे। एकझन बंगाली पयजामा पहिरे मोठडांट नेता असन मनखे उतरीस अउ डोकरी दई तीर जाय लगिस।पाछू वाला जीप हा रुकिस फेर नारा हा बंद नइ होय रहिस। डोकरी दई तीर जाके ओ नेता नारा बंद कराय बर हाथ उठाइस अउ डोकरी दई ला पूछे लगिस.. दाई तोर कोनों समस्या हे का ? कोनों अधिकारी, कर्मचारी, पुलिस, पटवारी कुछू कहे हे का ? मोला बता... अभी ओला देख लेहू। डोकरी दई ओखर गोठ ला सुनके कहिस... साहेब मोर समस्या मोर नाती हरय...अउ सबो बात ला बताइस। नेता हा लइका ला तीर मा बला के कहिस... बेटा तँय देस के भविष्य आवस.. तँय नइ पढ़बे ता देस आगू अइसे बढ़ही। पढ़लिख के आगू मा तोला ये देस ला संभालना हे, विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बनना हे। लइका कहिस ... मँय नेता मंत्री नइ बनव.. वहू ला भीख मांँगे बर परथे। नेता बने बर पार्टी ले भीख, विधायक सांसद बने बर टिकिट अउ जनता ले वोट के भीख, मंत्री बने बर मुख्यमंत्री अउ प्रधानमंत्री ले भीख, मुख्यमंत्री अउ प्रधानमंत्री बने पाछू दूसर देस, मल्टीनेसनल कंपनी, उद्योगपति अउ राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय विश्व बैंक ले भीख मांगथे। अधिकारी मन ला धमका के पइसा मंगवाथे।ओखर ले बने तो इहें भीख मांग लेहूँ। लइका के गोठ सुन नेता अपन चमचा मन ला गाड़ी चालू कराके चलो कहिके चलते बनिस। डोकरी दई फेर मूड़ी धर के रोय लगिस।

          ‌‌ओतकेच बेरा गरीबी जनगणना करत गुरुजी हा उँखर घर अमरिस। डोकरी दई ला रोवत देख वहू हा पूछ परिस। डोकरी दई के गोठ ला सुन के लइका ला अपन तीर बला के कहिस.... बेटा तँय तो बड़ समझदार लइका निकले जी। अपन डोकरी दई के सुख दुख के अभी ले हियाव करत हस। ए उमर मा अपन जिम्मेदारी ला समझ गेस। फेर सुन... तोला अब ए फिकर करे बर नइ लगय।मँय तोर डोकरी दई के नाव ला गरीबी रेखा मा अउ वृद्धा पेंसन मा जोड़ देवत हँव। तोला छात्रावास मा अउ इस्कूल मा भर्ती करा देवत हँव। तोला उहाँ खाय-पिये, पहिरे-ओढ़े, सुते-बइठे के सब जिनिस मिलही.... हाँ, तँय हर इतवार के अपन डोकरी दई मिले बर आ जबे।

             गुरुजी के गोठ ला सुनके लइका हाथ मा धरे कटोरा ला फेंक के गुरुजी के तीर मा आके ओखर पलगी करत कहिस...हव गुरुजी, मँय अब पढ़हूँ...अउ पढ् लिख के गुरुजी बनहूँ। मोर जहूँरिया भीख मंगइया लइका मन ला घलाव इस्कूल जाय बर समझाहूँ।



हीरालाल गुरुजी "समय"

छुरा, जिला गरियाबंद

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