*"हमर जमाना म"-गया प्रसाद साहू*
"रतनपुरिहा"
(भाग-३)
*जहां सुमति तहां सम्पत्ति नाना*
*जहां कुमति तहां बिपत्ति निधाना*
*ये संस्मरण म एक "संयुक्त परिवार" के सुख-दुख अउ सोरा आना सत्य घटना ला बतावत हौं- सन् १९७६ से १९७९ तक हमन मिडिल स्कूल म पढ़त रहेन, अंग्रेजी विषय के हमर गुरूजी श्रद्धेय रामखेलावन कश्यप जी ग्राम गिधौरी, थाना रतनपुर जिला बिलासपुर के रहैया रहिन | वो बखत ऊंकर संयुक्त परिवार म लगभग ६०-७० लोगन एक साथ रहत रहिन, तव ऊंकर परिवार के नान्हें-नान्हें लईकन ला घलो कोनो"रे-बे" नइ कहे सकत रहिन | जन बल, धन बल, बाहु बल, यश-कीर्ति बल के भंडार रहिसे | बड़े भिनसरहे ले लगभग १०-१५ बेटी-पतोहू मन रसोई बनाए बर जुट जावत रहिन,अउ देर रात तक भट्ठी जलते रहय | "परिवार म कोनो ज्यादा कमाने वाला, तव कोनो कम कमाने वाला रहिबेच करथैं,लेकिन जम्मो सदस्य बर सिर्फ एक समान भोजन के व्यवस्था रहिस, खान-पान, रहन-सहन, ओढ़ना-दसना बर किसी प्रकार भेदभाव नइ होवत रहिस*
*लगभग २०-३० लोगन खेती-किसानी के बूता करत रहिन,बाहिर के बनिहार के जरूरत ही नहीं,कई लोगन व्यापार-धंधा करत रहिन,कई लोगन बड़े-बड़े अधिकारी, कर्मचारी रहिन, कुछ लोगन गांव-बस्ती अउ रिश्ते-नाते के दुख-सुख म शामिल होवत रहिन,कुछ लोगन घर के बीमार सदस्य के इलाज अउ सेवा-जतन करत रहिन | अईसन मौका ही नइ आवत रहिसे-के फलाना के अनुपस्थिति म कोनो काम अटक जाही ! जम्मो मनखे अटूट सुमता-सलाह से रहत रहिन अउ मुखिया के इशारा म सब काम तत्काल कर डारत रहिन*
*मुखिया मुख सो चाहिए, खान-पान को एक*
*पाले-पोंसे सकल अंग,तुलसी सहित विवेक*
*गांव-बस्ती अउ ऐतराब भर ऊंकर सुमता-सलाह, ताकत, ऐश्वर्य सुख-समृद्धि के मान-बड़ाई होवत रहिसे*
*आज-कल बेटा के बिहाव होत्ते ही बहुरिया संग अलग रहे बर नाना प्रकार के विवाद अउ लड़ाई-झगड़ा सुरू हो जाथे !*
*खूब त्याग-तपस्या करे,दाई-ददा अब का हे तोर?*
*आईस रे मुड़ढक्की रोग,बाढ़े बेटा छीन लेईस तोर !!*
*अब के बहुरिया मन चार दिन घलो आत्मिक भाव से सास-ससुर ला जेवन रांध के नइ देहे सकैं*
*सास-ससुर ले अपन गोसईया ला छीने बर असंख्य प्रकार के तिकड़मबाजी अपनाथैं*
*ससुरार आते सांठ आजकल के बहुरिया मन मनमौजी खाना,मनमौजी पहिरना,मनमौजी कहीं भी जाना-आना,हर काम मनमानी ढंग से करना चाहथैं ! जबकि हमर जमाना म "बहुरिया" नहीं, "पतोहू" कहा्वत रहिन, मईके-ससुरे दुनो कुल के सैकड़ों-हजारों लोगन के अपेक्षा के पालन करते हुए इज्जत-मर्यादा अउ मान-सम्मान ला बचाए बर शत-प्रतिशत संकल्पित भाव से काम करत रहिन | तेकरे सेती कई सास-ससुर मन पतोहू ला बेटी ले जादा मान-सम्मान दे्वत रहिन | कतको पतोहू तो अत्तेक मर्यादित रहिन-"उम्मर भर गांव के बाज़ार-हाट ला नइ देखे रहिन ! यहां तक पारा-मुहल्ला के जेठ नता मन पतोहू के मुंह ला जिनगी भर सौहें नजर नइ देखत रहिन, उघरा मुड़ी करके न तो गली-खोर म रेंगत रहिन,न ही चौंरा-दुवारी म बईठत रहिन, वाह-वाह ! इतना मर्यादित अउ सुशीला बहू रहिन*
*खैर, समय परिवर्तन शील होथे | आजकल बेरोजगारी,मंहगाई, भौतिकवादी युग,भ़ोगवादी प्रवृत्ति, दिन-रात असंख्य प्रकार के वैज्ञानिक आविष्कार के फलस्वरूप असंख्य प्रकार के इच्छापूर्ति के प्रयास खातिर पतोहू मन घर से बाहिर निकलना सुरू कर देहिन*
*गांव-गांव में स्कूल,हर १०-२० कि.मी. में कालेज खुलते जावत हवंय,तेकरे सेती बेटी मन अब उच्च शिक्षा ग्रहण करत जा्वत हवंय,ये ह अब्बडे़च खुशी के बात आय,लेकिन "अभी के शिक्षा पद्धति म नैतिक शिक्षा के अभाव म युवक-युवती मन सिर्फ पढ़़त हवंय,कढ़त नइ हवंय !*
*आजकल के युवक-युवती मन किताबी डिग्री का हासिल कर लेथैं ? अपन घर, कुल-परिवार के रहन-बसन, तीज-त्योहार,परंपरा के विरोध करना सुरू कर देथैं ! दाई-ददा के त्याग-तपस्या,उम्मीद,विश्वास ला चकनाचुर करे म ज़रा भी संकोच नइ करैं, तऊन बदलाव ह बहुत दुखद होवत जाथे*
*आज सारी दुनिया विज्ञान, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र म आश्चर्यजनक तरक्की करत जाथे:- विज्ञान के आविष्कार से आज धरती ह आकाश ले ऊपर टंगा गे,आकाश ह धरती म आ गे ! समुंदर के गहराई ला नाप सकत हन ! नइ हे दूरिहा-चंदा,सुरूज,नौ ग्रह, दूरिहावत जाथे- मानवीय मूल्य अउ मानवता ! आधुनिकता अउ देखावटी के चकाचौंध म मनखे बौरावत जाथैं !*
*जैसे कौंवा-गिधवा नंदावत जाथैं,तईसने नता-गोत के अपनापन नंदावत जाथैं ! छल,प्रपंच, भ्रष्टाचार ह "सुगर बी.पी. बीमारी जैसे बाढ़ते जाथे !*
*चिकित्सा विज्ञान,कृषि विज्ञान म आश्चर्यजनक तरक्की होवत जाथे ! "हरित क्रांति,श्वेत क्रान्ति गे ! ये सब निश्चित रूप से महान उपलब्धि कहे जाही !*
*सदियों तक हमर भारत देश विश्व गुरू रहिस, भारतीय संस्कृति,सभ्यता,रहन-सहन, आचार-विचार ला पश्चिमी देश के लोगन बहुत श्रद्धाभाव से अपनावत जाथैं,लेकिन हमर भारतीय युवक-युवती मन पश्चिमी संस्कृति अपनावत जाथैं,ये अंधानुकरण ह हमर भारतीय संस्कृति बर अकथनीय घातक होवत जाथें !*
*"हमर जमाना म" दाई-ददा ह अपन बेटा-बेटी के बिहाव खूब जांच-पड़ताल करके,कुल-खुंट,कुंडली मिलान करके संबंध तय करत रहिन,दु कुल के संबंध केवल पति-पत्नी के मिलन बर नइ करत रहिन, बल्कि दू आत्मा के साथ दू कुल के संबंध ला कम से कम पांच-सात पीढ़ी ला एकसूत्र म जोड़े बर अउ धार्मिक रीति-रिवाज के पालन करे बर करत रहिन*
*आजकल हमर भारत देश के बड़े-बड़े शहर में युवक-युवती मन अपन दाई-ददा के इच्छा के विरुद्ध सिर्फ हाय-हलो करके "लिव रिलेशनशिप" के नाम से बिना बिहाव करे कई बच्छर तक रहना सुरू कर दिए हवंय ! जब मन भर जाथे,तब एक झटका म अलग-अलग हो जाथें ! ये पश्चिमी अंधानुकरण से हमर भारतीय संस्कृति,वैदिक रीति-रिवाज प्रथा,"विवाह संस्कार" खूब खतरा म पड़त जाथै !*
*"मोला तो अईसे अपार दुखद चिंता होवत हवय-आने वाला पचास साल बाद कोई दाई-ददा ला अपन बेटी-बेटा के बिहाव करे बर नइ मिलही !!! सब लड़की-लड़का अपन इच्छानुसार "लिव रिलेशनशिप" अपनावत जाहीं ! भारतीय वैदिक विवाह मरणासन्न हो जाही !!! अउ पैदा होने वाला अधिकांश संतान मन वर्णशंकर होवत जाही !!!*
*"हमर जमाना" के बात ला सुरता कर के अउ बदलते रहन-सहन, रीति-रिवाज, चाल-चलन के संबंध म आज लिखे बर मजबूर हो गए हौं-"गए बात गनगत के" अउ "तईहा के बात ला बईहा ले गे" !*
जै जोहार
(दिनांक-२२.१०.२०२१)
आपके अपनेच संगवारी
*गया प्रसाद साहू*
"रतनपुरिहा"
मुकाम व पोस्ट-करगी रोड कोटा जिला बिलासपुर (छ.ग.)
मो नं-९९२६९८४६०६
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