Friday 8 October 2021

छत्तीसगढी ब्यंग-राजकुमार चौधरी "रौना"

 छत्तीसगढी ब्यंग-राजकुमार चौधरी "रौना" 


====चेपटी अउ चुनाव===


          ठऊका सांझ होइस बने भॅइसा मुधियार अउ चेपटी बाई हर घरो घर पाॅत धरके खुसरत रिहिस। काकरो घर पेटी मा काकरो घर झोरा मा त काकरो घर खीसा मा एक दू ठन। फेर मनखे देखके चेपटी बाई सबो घर खुसरिस। सबो झन के सेवा बजाइस। काबर कि जब तक ये चेपटी बाई सेवा नइ बजाय एको झन कार्यकरता के मुंह ले अपन नेता जी अउ पारटी बर जिन्दाबाद के नारा घलो नइ निकलय। नेता जी के परचा भरे के दिन से लेके चुनाव परिणाम के आवत ले ये बिचारी गरीबिन चेपटी बाई काकरो मन ला नइ दुखावय। फेर जभे चुनाव आथे तभे एकर महिमा ला छोटे बड़े सबो समझ पाथे। बाकी बेरा मा तो एकर तिर मा बइठइया ला घलो घिनाय असन देखथे । अउ आदमी के नाम सॅग मंदू निहीते दरुवाहा घलो जुड़ जाथे। फेर ये तो चुनाव हरे ।आज के चुनाव मा जे हर ये चेपटी बाई ला अपन सॅग नइ रेंगाय ।ओ पारटी के डोंगा डगमगाये लगथे। चेपटी मन दू बहिनी होथे। एक झन ला देशी कथे अउ दूसर विदेशी। जेन ला अंगरेजी घलो कथन। जेकर किसम किसम के नाम अउ पता हे। पारटी अपन हैसियत के मुताबिक  कार्यकरता अउ मतदाता के सेउकाई बर एक झन ला जरूर राखथे। 

            अब मतदाता घलो हुसियार हो गेहे । ओ अइसे कि नेता मन अभी आगू पाछू होहीं ।एकर बाद पाॅच साल ले ईंकर छॅइहा नोहर रही। तेकर ले चेपटी बाई के बड़े बहिनी कोती नीयत लगा के रखथे। अउ नेता के चमचा उपर दबाव बना के रखथे कि विरोधी मन पच्चीस पेटी देशी के लाने हे। तॅय हर अंगरेजी के लान। तभे मतदाता मन पटही अउ हमर काम बनही। 

          हमर भारत देश प्रजातंत्र के देश हरे। परजा के माॅग ला राजा एके बेर पूरा करथे। अउ साल भर अपने दोंदर भरथे। चार पइसा के चेपटी ला जनता के हाथ मा थम्हाथे अउ पाॅच साल ले सत्ता के अउ कुरसी के नशा मा अपन मन झुमथे। क्षेत्र के बिकास उन्नति तरक्की के काम गोठ हर चुनाव के बाद बैनर पोष्टर साहीं झर बर जथे। विकास अउ उन्नति करथे तो सिरिफ नेता मन अउ थोरिक थोरिक ऊॅकर चमचा लेठुवा मन। 

           अब जनता जागत हे कि सूतत हे  एकर ले बिचारी चेपटी बाई ला कोनो सरोकार नइये। ओकर ले जतका बन परथे करथे। माल ओरिजनल रहय चाहे डुप्लीकेट , नशा के गोली मिले रहय चाहे नींद के। फेर अतका तो हे ।जनता नशा ला छोड़ के नींद ले जाग के अपन मताधिकार के सही उपयोग करहीं तौ ये चेपटी जनता के घर घर निहीं नेता मन के राखे सुवारी कस ऊॅखर नरी मा झुलही। तब हमर देश ला समाज ला सहीं सरकार मिल पाही।    दारू तंत्र ला हथियार बनाके प्रजातंत्र के निरमाण करइया मनखे देश समाज अउ जनता के हितैषी होइच नइ सके ये मोर पक्का दावा हे।


राजकुमार चौधरी "रौना" 

टेड़ेसरा राजनादगाॅव🙏

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