Tuesday 19 October 2021

हमर जमाना म लइका मन लइका रहिन//

 //हमर जमाना म लइका मन लइका रहिन//


मनखे के जिंनगी बचपना, जवानी अउ बुढ़ापा के रद्दा म रेंग के पूरा होथे । जिहां जवानी म मनखे अपन बर धन दोगानी बनाथे ऊंहें बचपना म अपन जिंनगी के नेह के भिथिया खड़ा करत संस्कार ल सिखथें । मनखे मन लइकापन म जउन संस्कार सीख गे त ओखर रंग फेर जिंनगी भर छूटय नहीं ।


आजकल परोसी के लइका का अपने लइका ल कोनो काम जोंगबे त करे ल नई करंय ।


मोला सुरता आवत हे हमर गांव के एकझन सियान के जेखर नाव रहिस श्री गेंदलाल मिश्रा । मैं 12-13 के रहे होहूं त ओ ह 70-72 साल के रहिस होही । हमर जमाना म हमर गांव नवागढ़ के गौटिया, किसान अउ बनिहार सबो झन नहाय-धोय बर तरिया जात रहिन । अइसे भी हमर गांव म छै आगर छै कोरी तरिया के बात रहिस । दू आगर दू कोरी तरिया तो आजो हे । तरिया म घंटो गोठ-बात करत मनखे एक-दूसर ले अपन सुख-दुख ल बांटय । एक प्रकार ले तरिया ह चौपाल बरोबर रहय ।

गेंदलाल बबा ह तरिया म जतका बेरा ले जाय रहितिस केवल घठोंदा के साफ-सफाई अउ व्यवस्था ल देखत रहितिस। घठौंदा म बगरे चिरी-कचरा, गुड़ाखू-कचरा, साबुन-निरमा के झिल्ली-पन्नी ल सकेलत रहितिस । सकेल के एक जगह मढ़ा के ओमा आगी लगातिस, जब घठौंदा एकदम साफ हो जातीस त ओखर जी जुड़ातिस । ए बुता ल करे के बाद ओ ह घठौंदा के पथरा मन ल देखतिस कोनो पथरा हालत-डोलत थोरे हे, कोनो पथरा पानी म डूबे थोरे हे । बस अतके बेरा, जब पथरा ल जमाना होतिस त हम लइकामन ल हूत करातीस । ओखर गोठ ल हमन हुकुम बरोबर मानतेन । सबो लइका जुरमिल के ओखर कहे अनुसार पथरा ल जमातेन, डूबे पथरा ल बाहिर निकालतेन । बिहनिया साढ़े पांच-छै बजे के गे-गे नौ बजे के आसपास घर आवन अउ खा-पी के स्कूल जावन । पढ़ई-लिखई अउ ट्यूशन के बोझा म लतकाए नई रहेन आजकाल कस, तभो मैं स्कूल के अपन कक्षा म पहली तीन स्थान आबे करत रहेंव ।


 गेंदलाल बबा के ए तरिया के काम आजतक सुरता आथे खास करके जब-जब ओ तरिया म कभू-कभार नहाय ल जाथंव । तरिया ओही हे फेर घाट-घठौंदा के बारा हाल हे ।


ओ जमाना के हम लइका मन स्कूल जाए के पहिली अउ स्कूल ले आए के बाद कस के खेलन-कूदन अउ कभू-कभार दाई ददा संग खेत खार तको जात रहेन, तभो ले पढ़ई म गदहा नई होएन । 


स्कूल म गुरुजी के मारो खावन अउ स्कूल के बहरोई-बटरोई तको करन, स्कूल म पीए बर पानी हमी मन भरन, शनिवार के स्कूल ल हमी मन लिपन अउ स्कूल के तखता ल भेंगरा म हमी मन पोतन तभो ले हमर जांगर नई टूटिस न हमर इज्जत गेइस जइसे आजकाल होवत हे । आज जब हम मास्टर बनगेन त अपन स्कूल के लइका मेरा एक गिलास पानी मंगाय म घला डर लगथे कोन जनी ए खभर पेपर म मत छप जावय, हमर ऊंपर कोनो कार्रवाई झन हो जय ।


आज लइका मन ल भाजी-पाला बना के रखे हें, पढ़ई-लिखई के बोझा म लदक डरे हें । अब के लइका मन लइका सही नई लगय हमर जमाना म लइका मन लइका रहिन ।

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