Friday 8 October 2021

व्यंग्य- नौकरी -हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा

व्यंग्य- नौकरी -हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा

                     लइका हा अपन ददा ला पूछत रहय - बाबू , आबकारी बिभाग म दारू बेंचे बर सेल्समेन के विज्ञापन निकले हे , महूँ भर देतेंव का ? ददा किथे - हमन जिनगी भर जे बूता नइ करे हन , तेंहा उइसने बूता म हाँव देबे , तोला फबही रे ? तोला अऊ कहीं बूता नइ मिलही तेमा ..... । लइका किथे - वा एमा का खराबी हे , सरकार कोती ले बेचे जाही , हमन सिर्फ कर्मचारी रहिबोन , फबे अऊ नइ फबे के काये बात हे  , लुकाके थोरेन बेचना हे , बेर उज्जर बेचना हे ।

                    रेमटू मारिस टप्पले – लुकाके बेंचते बाबू त तहूँ , आज मंत्री नइ होते ते , कम से कम बिधायक जरूर होते । सियान मुहूँ ला फार दिस – का ........... ? रेमटू बताये लगिस - सहीं कहत हँव कका , लुका के बेचइया मन पंच ले सरपंच , पार्षद ले महापौर अऊ बिधायक ले मंत्री अऊ सांसद बनगे । बेर उज्जर बेंचइया मन करजा म बुड़के बिदेश भगागे । सियान किथे - त असन म , दारू ला लुकाके बेचें के , प्रावधान बना देना चाही । रेमटू किथे - अइसन प्रावधान बन जही , त गाँव गाँव म मंत्री अऊ बिधायक के कतको दावेदार हो जही , ये धंधा म लगे जुन्ना मन ला , नंगत नकसान नइ हो जही कका ।  सियान किथे - तहूँ मन बनेच जानथव जी , फेर तूमन ला नौकरी कोन दिही ? लइका किथे - सरकार दिही बाबू , उही मन तो बिज्ञापन निकाले हे । ददा पूछिस - एकर पहिली शिक्षाकर्मी के , पुलिस के , पटवारी के अऊ कतको अकन पद के बिज्ञापन ला , कोनो दूसर मन निकाले रिहिस का ? रेमटू किथे - सरकारेच हा अइसन बिज्ञापन निकालथे कका । ददा पूछिस – त ओमा छत्तीसगढ़िया मन काबर सलेक्ट नइ होवय .. ? रेमटू किथे - पद के योग्य मनखे , नइ रहय तेकर सेती कका ..   । ददा फेर पचारिस - कायेच योग्यता मांगथे तेमा , तूमन बाहिर हो जथव ? रेमटू किथे - अरे कतको ...... जइसे , कती मंत्री या अधिकारी करा तोर चिन पहिचान अऊ निकटता हे ? तैं मूल छत्तीसगढ़िया तो नोहस ? होबे ते रिजेक्ट ....! अऊ मानलो रिजेक्ट नइ होना होवाना हे तब वजनदार थैली राखे ला परथे कका जी । सियान किथे – आबकारी विभाग हा घलोक अइसन मांगही तब .......? लइका किथे - वो नइ मांगय बाबू , अभू बेर उज्जर दारू बेंचइया के आवसकता हे । लुकाके थोरेन बेंचना हे । 

                     सियान ला , अपन बेटा के नौकरी मिले के आस जागगे । ओ किथे - भर बाबू जलदी , कम से कम कुछ तो काम बूता मिलही । खेती बारी म कोनो फायदा निये । जुन्ना सरकार हा जावत जावत नावा किसिम के मोबाइल बाँटत केहे रिहिस के कुछ दिन म येहा मनखे के पेट भरही । वाजिम म ... अगोरे घला नइ लागिस ... उहीच समे ... मोबाइल हा बँटइया के धोंध भर दिस अऊ कुछ समे पाछू ओकर बिरोध करइया के पेट भर दिस ... अऊ अभी तक भरतेच हे ... । हमर गाँव के घुरवा के पेट घला इही मोबाइल म भरागे ... फेर को जनी हमरो घुरवा के पाचन तंत्र म का हमागे हे ..... के ओकर लीवर खराब हे .... ओहा पचतेच नइये ... । केवल हमरे खोधरा पेट अतेक अकन मोबाइल पाके घला रीता के रीता हे .. । नौकरी मिल जतिस ते अऊ निही ते दू टेम के खाये के फिकर हा धुरिहातिस । फेर एक ठिन शंका मोरो मन मा हे । लइका पूछिस - का शंका ददा ?  ददा किथे - तूमन अभू तक कहींच नइ बेचें हव , दारू कइसे बेंचहू ? रेमटू किथे - तहूँ निच्चटेच आस कका , दारू ला कहूँ करा मढ़हा दे , अपने अपन बेंचा जही । सियान प्रतिप्रश्न करिस - ओतो ठीक हे बाबू फेर तूमन ला .... कहींच बेचें के अनुभौ घला निये ? फेर दुनिया के अऊ दूसर मनखे , जेमन अइसनेच बूता , पुरखौती ले करत हाबंय , तेमन ..... तूमन ला असानी ले दारू बेचन दिही ? रेमटू किथे – कका , तैं सही कहत हस , जेमन ला दूसर के भुँइया , दूसर ला बेचें के , अपन देश बेचें के , अपन जमीर अऊ ईमान बेंचे के अनुभौ हे , तिही मन , जादा सफल हो सकत हे । सियान पूछिस - त ओसन म कइसे करहू तूमन ? रेमटू किथे – पहिली हमर चयन तो होवन दे कका , तहन देखबोन । ददा किथे - फेर मोला तो अइसे लागथे के , तूमन ला इंटरव्यू म छाँट दिही ... तुम का जवाब देहू जब पूछे जाहि के .. अब तक तुमन का बेंचेंव ? लइका किथे - इंटरव्यू म नइ छाँटय गा , अरे कन्हो पूछ पारिस के काये अनुभौ हे , त कहि देबो , कतको घांव मंडी मा धान बेचें हन , अऊ कतको बेर हाट बजार म साग ... । 

                      रेमटू समझइस - इहीच करा तो फेल हो जथन गा । मंडी म धान बेचेंन , हमन ला का मिलिस ? बारी के साग म कतका आमदनी होइस पूछही , तब का इही कहिबोन .... जिनगी चलाये पुरतन घला , नइ होइस कभू । अइसन कहिबोन त हमन ला तुरते बाहिर कर दिही । लइका किथे - त काये कहना चाही ? रेमटू किथे - अरे .. हमन तो खालिस छत्तीसगढ़िया आवन । साबित घला नइ कर सकन के , हमन धरम बेचेन , ईमान बेचेन , इज्जत बेचेन , अऊ ये दुनिया म काये काये नइ बेचेन....... ये दारू मारू हमर बर काये तेमा....... । अइसन कहि देतेन ते , इंटरव्यू लेवइया साहेब तुरते खुश होके कहितिस – बस कर , तोर चयन होगे , जा नौकरी कर ...... । तोरे कस मनखे मन के आवसकता हे शासन ला । तुहीं मन सरकार के राजस्व ला बढ़हा सकत हव ।

                    फार्म भरे के पहिली लइका हा बेंचे के अभ्यास म लगगे । घर के , सरी बरतन भांड़ाँ , पलंग सुपेती , समान बेंचे के अभ्यास करे लागिस अऊ बिगन नौकरी लगे , सरकारी राजस्व म बढ़होत्तरी करे बर , संझा बिहाने दारू पिये लागिस । ओहा सोंचिस के , इंटरव्यू होही , तब बताहूँ के , “ महू ला बेंचे के अतका कस अनुभौ होगे हे अऊ सरकार के राजस्व बढ़हाये म मोरो अत्तेक योगदान हे “ , तहँले , मोरो नौकरी पक्का हो जही ..... । कतको बछर गुजरगे , अब दारू हा , लइका ला , पिये बर धर लिस । वो बेरोजगार लइका के , जवानी म बुढ़ापा के नौकरी लगगे अऊ इही नौकरी करत करत दुनिया ले बिदा होगे । ओकर नानुक  लइका हा सरकारी कृपा ले , अनुकम्पा मा , अपन बाबू के इही बूता ला आगू बढ़ोए के अगोरा करत हे ...........।  

                       हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा

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