हमर जमाना म- "घर लिपई"-डॉ बी नंदा जागृत
सबले पहिली एडमिन मन ल हिरदे ले धन्यवाद जेनमन सुग्घर सूग्घर विषय ल छांट निमार के लाथें ।
हमर जमाना के गोठ करे ल धरथव त मोला ये दे गीत के सुरता आथे-
"नान चुन रेहेव दाई घर लिपे ल सिखेव वो पोतनी म"
वो काहे कि पहीली गांव म जादा कच्चा घर रहाय त घर ल गोबर म लिपन ।
लिपत - लीपत पोतनी ल धरे - धरे कभू - कभु मेहर सोचव कि 'कभू घर लिपेके घलों प्रतियोगिता होतिस त कतका मजा आतिस मय तो सबले अव्वल अयिच जातेव' फेर कभू घर लीपेके प्रतियोगिता नई होइस अव मन के बात मन
म रहिगे।
येती तिहार- बार आइस के लिप्यी - पोत ई के बुता ह सुरु हो जाय। घर लिपयी घलो एक ठन कलाकारिच आय कोनो - कोनो मन गोबर म लीपे त कोनो - कोनो मन पेरा ल लेस के, ओला बुता के ओकर करिया राख ल पानी म मिला के लिपय ।
काकरो लीपे सोजे - सोज रहे त ककरो टेढ़गा - मेढ़गा हो जाय ।कोनो - कोनो तो तीन अंगुरिया चीनहारी बना के लीपय।
हमर डाहर पंडरी छुही , पिवरी छुहि अव लाल छुंही के खदान हवयसबे गजब दुरीहा- दुरिहा हावय फेर कोनो मन बईला गाड़ी म त कोनो रेगते - रेंगते छुहीं डोहारे ।
घर के पोतई पंडरी छुंहि म करके ,पाछु लाल छूही के किनारी बनान तहां फेर पीवरी छूहि म खुटिया न तेखर पाछू गोबर म जम्मो घर ल लीपन ।अंगना - दुआर ल घलो लीपन अव चाऊंर पिसान के चौक पुरन ।
अब के जमाना म चूना , डिस्टेंपर , पेंट त वाल पेपर आगे हे कोई तो ओकरो ले अच्छा कहिके एलिवेशन टाइल्स लगात हावय । जेकर गांठ म जोर हे तेहर भारी उन्नति कर डरीस हे ।फेर गोबर अऊ गरीब के नत्ता ह नई टूटे हे।
डॉ बी नंदा जागृत
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