Wednesday 9 September 2020

लघु कथा -दिलीप वर्मा रिस्ता

 लघु कथा -दिलीप वर्मा

रिस्ता 


यहा दे दइ सगा मन आवत हे। अरे रमेश! जातो तोर बाबू ह गुड़ी मेर तास खेलत होही।जा बला के लाबे,सगा आये हे कहिबे। नोनी के दाई कहिस। 

हव दाई। 

भौजी! भइया कहाँ हे।ये सगा मन नोनी ल देखे बर आये हे।  

हव बाबू! ये दे रमेश ल भेजे हँव बलाये बर। 

ले कुरिया म बइठव। 

बाबू गो! घर म सगा आय हे चल तोला बलावत हे। रमेश कहिस। 

ले चल। रमेसर कहिस। 

जय जोहार सगा मन ला। कतेक बेर के आये हव आप मन।रमेसर ह सगा मन ले कहिस। 

अभिचे आये हावन।सगा मन कहीन। 

त, कोन लइका हरे जेखर बर नोनी ल देखे आय हव।

येखरे बर ताय।सगा मन लइका कोती इसारा कर के कहिस। 

काय काम करथस जी।रमेसर ह लड़का ल पूछिस। 

प्राथमिक शाला म शिक्षा कर्मी हँव। लड़का कहिस। 

के साल होगे।रमेसर पूछिस। 

पाँच साल। लड़का कहिस

अच्छा! 

ये सुन तो ओ! नोनी ल चाय पानी धरा के भेज।रमेसर ह नोनी के दाई ल आवाज दिस। 

नोनी नास्ता ले के आइस। लड़का देखिस त देखते रहिगे। बहुत सुंदर रूप रंग, कद काठी। 

सगा कहिस। काय पढ़त हस बेटी अउ तोर काय नाम हे। 

कालेज के दूसरा साल करत हँव।मोर नाम रोशनी हे। नोनी कहिस अउ चल दिस। 

सगा मन कहिस हमला लड़की पसंद हे।आप मन बतावव।रमेसर ल कहिस।

ले न एको दिन महुँ ह घर द्वार देखे बर आ जहूँ। 

अइसे, आपमन के लइका के झन हे अउ जमीन कतका हे। रमेसर कहिस। 

मोर दू लड़का हे।छोटे ह कालेज करत हे। जमीन पाँच इक्कड़ हे।सगा कहिस। 

ले ठीक हे सगा एकोदिन आवत हँव।रमेसर कहिस अउ सगा मन ला बिदा दिस। 

इही लड़का हरे? बने दिखत हे।नोनी के दाई खुश हो के कहिस। 

अरे! बने दिखे ले काँही नइ होवय।शिक्षाकर्मी हे उहू ह पाँचे साल होय हे।ओ दिन पटवारी ह आये रहिस। अब तहीं बता मोर लइका अइसन घर जाए के लइक हे? अरे मोर बेटी जेन घर जाही ओ घर ला जगजग ले अँजोर कर दिही।अउ तँय ह अइसन ल बने हे कहिथस। 

मोर बेटी गुनवनतीन हे।येला कोनो डॉक्टर या इंजीनयर घर भेजहूँ। 

अतेक काय हड़बड़ी हे। अभी पढ़न दे।रमेसर कहिस। 


आज दस साल होगे रसता देखत….


दिलीप कुमार वर्मा

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