Monday 28 September 2020

छत्तीसगढ़ी अउ आत्मकथा

 छत्तीसगढ़ी अउ आत्मकथा 

      राजा रानी , गरीब बाम्हन , चिरई चुरगुन अउ बहुत अकन कथा कहत , सुनत , पढ़त , लिखत रहिथन फेर अपन कहानी अपन जुबानी कहना लिखना जब होथे त ओला आत्म कथा  कहिथें । गद्य साहित्य के नवा विधा आय , त मोर नज़र मं अभी तक  छत्तीसगढ़ी मं कोकरो आत्मकथा नई आए हे , गुनी मानी मन  सही बात बताये सकहीं । 

    डॉ . हरिवंश राय बच्चन के अनुसार " आत्मकथा लेखन की वह विधा है जिसमें लेखक ईमानदारी के साथ आत्म निरीक्षण करता हुआ अपने देश काल परिवेश से सामंजस्य अथवा संघर्ष के द्वारा अपने को विकसित और स्थापित करता है । " 

    इंकर लिखे आत्मकथा क्या भूलूं क्या याद करूं , नीड़ का निर्माण फिर , बसेरे से दूर अउ दशद्वार से सोपान तक ल पढ़ के जाने बर मिलथे के आत्मकथा सिर्फ अपन जीवन के कहानी नोहय बल्कि जेन समाज मं जेन परिस्थिति मं रहिथे ओ सब के लेखा जोखा घलाय आय । 

   ओशो कहिथें आत्मकथा " मैं " के विस्तार आय । 

आत्मकथा दू तरह के पाये जाथे पहिली जेमा लेखक स्वकेन्द्रित होथे ,अपने बारे मं लिखथे त अइसन लेखन हर अपने च बड़ाई करत दीखते एकर से साहित्य या समाज या पाठक ल कोनो प्रेरणा नई मिलय ...। बकलम खुद लेखक मोहन राकेश अउ रसीदी टिकट लेखिका अमृता प्रीतम के आत्मकथा पढ़ के पाठक जानथे के अपन कमी , कमजोरी ल बिना लाग लपेट के लिखना घलाय हर आत्मकथा के एक रूप आय जेहर बहुत कठिन होथे । 

  दूसर तरह के आत्मकथा होथे जेमा लेखक अपन कथा जनम , लइकाई  , पढ़ाई असन घटना जेन हर आदमी के जीवन मं घटथे ओकर उपर जादा ध्यान न दे के ओ समय के सामाजिक , राजनैतिक , धार्मिक स्थिति के वर्णन उपर जादा ध्यान देते , अइसन आत्मकथा हर साहित्य के भंडार भरथे , पाठक बर रोचक उपयोगी जानकारी देवइया होथे । महात्मा गांधी के आत्मकथा " सत्य के प्रयोग " अउ पंडित जवाहर लाल नेहरू के " मेरी कहानी " उत्तम आत्मकथा माने जाथे । 

आत्मकथा के तत्व होथें वर्णन के विषय वस्तु , देशकाल , चरित्र चित्रण , उद्देश्य , भाषा शैली । 

सहज रूप मं कहिन त स्वकेन्द्रित होते हुए भी अपन मुंह अपन बड़ाई से बंचते हुये , नितांत व्यक्तिगत मानवीय भावना के भी  तटस्थ वर्णन  , खुद के प्रति ईमानदार रहते हुए ओ समय के सामाजिक  , राजनैतिक , धार्मिक , शैक्षिक  साहित्यिक संगति - विसंगति के निष्पक्ष चर्चा । 

नांव भले आत्मकथा हे फेर जीवन मं शामिल मनसे- तनसे , घटना - दुर्घटना , लाभ - हानि , जस - अपजस के सोला आना सही सही वर्णन , विश्लेषण हर आत्मकथा के मोल बढ़ा देथे । 

  आत्मकथा लिखना बहुत कठिन होथे काबर के मनसे अपन मन के अंधियारी कोठरी मं खुदे जाए बर तियार नई होवय त पाठक ल कइसे जाए दिही ? 

  सरला शर्मा

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