Monday 14 September 2020

लघु-कथा*अरुण कुमार निगम

 *लघु-कथा*अरुण कुमार निगम


ये विधा के नाम के पहिली शब्द *लघु* के आशय *नान्हें आकार नोहय। लघु के मतलब आय गागर मा सागर* । दूसर शब्द *कथा - एकर मतलब आय कथा-तत्व*


कम से कम फेर सटीक शब्द मा कोनो अइसन बात जेमा कथा-तत्व घलो शामिल हो, लघु-कथा कहे जाथे। 


*कथा-तत्व* -  कथा-कहइया अउ कथा-सुनइया दुनों के रुचि होही अउ एक अंतरसंबंध स्थापित होही उहाँ कथा-तत्व के उपस्थिति रही। 


लघु-कथा गद्य के सबसे ज्यादा कठिन विधा आय। ये समझ लव कि सोन नदी के रेती मा सोना के दाना खोजना हे। लघु कथा लिखे बर माइक्रो-स्कोप असन आँखी चाही। जउन चीज खुल्ला आँखी हर नइ देख सके वोकर बड़े चित्र बनाना पड़थे।


कई झन कोनो घटना के सम्पूर्ण विवरण ला लघु कथा समझे के भूल कर डारथें। कोनो मन रिपोर्ट ला लघु कथा समझे के भोरहा मा रहिथें। कोनो मन अपन शब्द-सामर्थ्य के प्रदर्शन मा विद्वता झाड़े लगथें अउ कोनो मन बोध कथा या हितोपदेश ला लघु कथा समझे के नादानी करथें। 


लघु कथा मा लेखक के भाषण नइ लेखक के माइक्रोस्कोपिक नजर चाही। लेखक के विद्वता नइ लेखक के चतुराई चाही। क्षणिक अउ सामयिक घटना आधारित लघु कथा के जिनगी, अखबार असन होथे। पढ़िस अउ फेंक दिस। *लघु कथा ला दीर्घ जीवी होना चाही*


लघु कथा मा *एक ले ज्यादा घटना ला शामिल नइ करना चाही*। विषय वस्तु *चलताऊ* नइ होना चाही। *नवापन* होना चाही। कोनो बात अधूरा नइ होना चाही फेर हर बात बहुत कुछ सोचे बर मजबूर करने वाली होना चाही। लघु कथा के अंत कलात्मक होना चाही। एक प्रश्न के संग लघु कथा समाप्त करके पाठक के विवेक ऊपर छोड़ देना चाही। प्रश्न घलो अइसन होना चाहिए कि पाठक ओकर उत्तर खोजे बर मजबूर हो जाये। विचारोत्तेजक प्रश्न रही त पाठक के अंतस ला आंदोलित करके रही। लघु कथा मा कभू अपन विचार या निर्णय नइ  थोपना चाही। 


लघु-कथा मा अनावश्यक विस्तार या वर्णन नइ होना चाही। एमा पात्र के संख्या घलो सीमित होना चाही नइ तो पात्र मन के नाम मा दू डाँड़ खतम हो जाही। 


*शीर्षक*, लघु कथा के महत्वपूर्ण हिस्सा होथे। अवलटप्पू छाप या चलताऊ शीर्षक लघुकथा ल बोझिल बना देथे। 


लघु कथा मा भाषा चयन बर लेखक ला भाषा वैज्ञानिक असन ज्ञान रखना जरूरी होथे। लघु कथा लेखन मा  शिल्प, शैली, शब्द संयोजन अउ भाव सम्प्रेषण के मामला मा बहुत सतर्क रहना पड़थे। 


श्रेष्ठ लघुकथा मा बिना कुछ कहे, बहुत कुछ कह दिए जाथे। अनावश्यक कथन या विवरण के प्रयोग नइ होना चाही अउ कोनो अइसन कथन घलो नइ छूटना चाही जेला कहना एकदम जरूरी रहिस। कोनो हिस्सा पहेली असन नइ लगना चाही। लघुकथाकार मन अधिकतम 300 शब्द के लघुकथा ला अच्छा मानथें। 


लघु कथा विवरणात्मक, संवादात्मक या मिंझरा (विवरणात्मक अउ संवादात्मक) होथे। 


इही  सब बात एक लघु कथा के अंग, गुणधर्म, लक्षण, प्रकार होथे। मोर समझ अउ अनुभव के हिसाब से सरल भाषा मा लघुकथा के जानकारी प्रस्तुत करे  हँव। हो सकथे लघु कथा लिखे के इच्छुक सदस्य मन बर उपयोगी साबित हो। पिछला 3 दिन के अभ्यास मा अपन प्रस्तुति ला उपरोक्त पैमाना मा आप खुद जाँच के निर्णय ले सकथव कि आपके प्रस्तुति लघुकथा आय कि नोहय।


*अरुण कुमार निगम*

6 comments:

  1. लघुकथा लिखे के सुघ्घर जानकारी ए गद्य ला पढ़के मिलत हावै,अतका सुघ्घर ढंग ले सरल भाषा मा समझाये हौ गुरुदेव आपमन🙏🙏
    नमन हे आपमन ला,ए पीढ़ी अउ आने वाला पीढ़ी एखरले लाभ लेही

    ReplyDelete
  2. गज़ब सुग्घर जानकारी गुरुदेव

    ReplyDelete
  3. सादर नमन गुरुदेव जी

    ReplyDelete
  4. सादर नमन गुरुदेव
    अपन लिखे एकाठन लघु कथा भेजव न गुरुदेव,तब थोरिक समझ आही।🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  5. गुरूदेव सादर प्रणाम बहुते सुघ्घर

    ReplyDelete
  6. लघुकथा लिखे के सुग्घर जानकारी नमन आपके लेखनी ला

    ReplyDelete