Friday 18 September 2020

नान्हे कहिनी-मुड़ी मा पागा (हीरा गुरुजी समय)

 नान्हे कहिनी-मुड़ी मा पागा (हीरा गुरुजी समय)


     गाँव के चार पारा मा अबादी पारा के दस बारा घर मा नल नइ लगे रहिस।बोरिंग ले टेंड़ टेंड़ के ओमन पानी भरय।एसो सरपंच चुनई बखत इन दस बारा घर के मनखे मन नल नइ लगाहू ता चुनई मा वोट नइ देवन कहिके अरजी देके पोस्टर लगा दिन। तहसीलदार हा आ के मना बुझा के वोट देय बर राजी कर डरिस। चुनई होय के  तीन महिना बीते पाछू सरपंच हा बोरिंग मा मोटर लगा के टंकी बइठार दिस। सबो घर खुशी छागे अउ थोकिन रुपया बरार के टंकी के खाल्हे ला पलस्तर करा डरिन।सरपंच हा मोटर ला चालू करे बर बिसेसर के मुड़ी मा पागा बांध दिस। तारा कुची ला उही ला सौप दिस। मोटर चालू करे के बेरा घलो तय कर दिस।दू तीन महिना सब बने चलिस ताहन सब आलसी होगे।हाथ मा कुची (चाबी)होय ले बेरा कुबेरा पानी भरेबर लगिन। कोनों दस बजे ता कोनों बारा बजे पानी भरे बर कुची मांगय।बिसेसर कुछु कही अनाकनी करे तब झगरा बर  उम्हिया जाय।बिसेसर के परोसी संतोष हा नौ बजे सुत के उठतिस अउ कुची मांग के पानी भरे बर रोज झगरा करय। एक दिन बिसेसर हा सरपंच ला बला के अपन मुड़ी के पागा ला सतोष के मुड़ी उपर राख दिस। दूसर दिन बिहनिया सब पानी भराइया माइलोगिन मन नल चालू नइ होय ले बिसेसर ला चाँव चाँव करे लगिन। बिसेसर कहिस..मोर मुड़ी के पागा ला उतार दे हँव। कुची ला संतोष धरे हे।सब माइलोगिन मन सुकुड़दुम होगे। संतोष तो नौ बजे उठही तब रांधे खाय अउ बूता जाय बर बेरा हो जाही।सबो झन उँखर मोहाटी ले हाँक पारय फेर वो उठबे नइ करय। एक घंटा होगे, कामबूता जवइया आधा झन बिन पानी घर लहुट गे। आदत ले लचार संतोष आजो नौ बजे उठिस।ओला सुरता नइ रहिस कि कुची ला उही राखे हे। कपाट ला खोलिस ता जुच्छा हँउला बाल्टी धरे माइलोगिन अउ लइका मन के किसम किसम के गारी बखाना ओखर कान मा सुनाय लगिस। तब ओला सुध आइस कि कुची तो मोर कर हावय।आज ओला मुड़ी मा पागा बांधे के अउ ओखर भार सहे के एहसास होइस। तुरते बिसेसर घर जाके कुची ला देवत माफी मांगत कहिस, भैया मोर मुड़ी के पागा ला उतार दे अउ मोला माफी दे दे।


हीरालाल साहू "समय"

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