Wednesday 2 September 2020

शब्द-शक्ति-अरुण कुमार निगम

 शब्द-शक्ति-अरुण कुमार निगम


हर शब्द के एक खास अर्थ होथे, भाव होथे। कोनो वाक्य ला समझे बर अर्थ अउ भाव ला समझना जरूरी होथे। अर्थ अउ भाव मा शब्द के शक्ति होथे। 


*शब्द-शक्ति के तीन प्रकार होथे*

अभिधा, लक्षणा अउ व्यंजना


*अभिधा* -

जइसन शब्द के अर्थ अउ भाव होथे, वइसने जब समझे जाथे, वो अभिधा कहे जाथे।

उदाहरण - 

अभिधा - मँय छत्तीसगढ़िया अँव जी


ये वाक्य मा पता चलत हे कि कोनो अपन परिचय बतावत हे। अपन आप ला "छत्तीसगढ़ के रहवइया" बतावत हे। 


माने वाक्य के हर शब्द के उही अर्थ आय जइसे शब्दकोश मा लिखे मिलथे।


*लक्षणा* 

शब्द के अर्थ कुछु अउ होथे फेर आने अर्थ निकलथे अउ भाव बदल जाथे। 

उदाहरण - 

लक्षणा - मोर राजा दुलरुवा बेटा

मोर, दुलरुवा अउ बेटा...ये तीन शब्द के उही अर्थ हे जइसे शब्दकोश मा लिखे हे फेर *राजा* शब्द के अर्थ बदलगे। राजा के अर्थ होथे कोनो राज या देश के मुखिया, मालिक फेर ये वाक्य मा राजा के कुछु अउ अर्थ निकलत हे। बाप बर ओकर दुलरुवा बेटा राजा ले कम नइ रहे (सही मा वो राजा नोहय)


*व्यंजना* 

जब शब्द के अर्थ अउ भाव अलग-अलग मनखे बर अलग अलग होथे, उहाँ शब्द-शक्ति व्यंजना कहे जाथे। 


उदाहरण - 

व्यंजना - धरती म आए बिना दाना पानी पाबे कहाँ रे


ये वाक्य के साधारण अर्थ निकलथे कि चिरई-चिरगुन मन कतको अगास मा उड़ान भर लेवैं, दाना-पानी चुगे बर धरती मा आना पड़ही। विशेष अर्थ अइसन मनखे मन बर हे जउन मन भौतिक सुख सुविधा के फेर मा घर-दुवार, रिश्ता-नाता ला बिसरा के आने शहर या देश मा चल देथें। भौतिक सुख अपार मिलथे बंगला, गाड़ी, नाम, प्रसिद्धि, रुपिया-पइसा फेर *आत्मिक-सुख* इही हर मनखे के जिनगी बर असली दाना पानी आय, तभे मिलथे जब वो अपन घर-दुवार, रिश्ता नाता के बीच मा आथे। ये वाक्य मा धरती अउ दाना-पानी के प्रयोग व्यंजना कहे जाही। 


व्यंजना के एक सरल उदाहरण अउ देखव - 


*बिहिनिया के आठ बज गे*


ये वाक्य साधारण अर्थ मा समय बतावत हे। कारखाना के कर्मचारी बर ये वाक्य के अर्थ होही - ड्यूटी जाए के बेरा होगे, 8 बजगे।

विद्यार्थी बर इस्कुल जाए के अर्थ निकलथे।

गृहणी बर घर के कामकाज करे के बेरा होगे। लोकल ट्रेन मा अपडाउन करइया मन बर ट्रेन पकड़े बर ग़ल ले निकले के टाइम होगे। आकाशवाणी बर - *बिहिनिया के आठ बज गे* अब आप फलाना फलाना से समाचार सुनव।

एक वाक्य के अर्थ अउ भाव अलग अलग मनखे बर अलग अलग हो उहाँ व्यंजना शब्द शक्ति होथे।


*अरुण कुमार निगम*

3 comments:

  1. अद्धभुत रचना है गुरुदेव

    ReplyDelete
  2. बेहतरीन गुरूदेव सादर प्रणाम

    ReplyDelete
  3. बढ़िया जानकारी गुरुजी

    ReplyDelete