Friday 25 September 2020

काकर सहीं हे*-चोवा राम वर्मा बादल

 *काकर सहीं हे*-चोवा राम वर्मा बादल

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(कहानी)


अपन दाई-ददा के एके झन संतान ,नरेश ह जब ले गलत संगती म परिस तब ले निचट दरूहा होगे रहिस।अपन घर ल नरक बरोबर बना डरे हे।रात दिन झगरा-लड़ई म, कलर कइया म कोनो ल खाये अंग नइ लागय।

     वोकर बाई बेचारी रमेसरी, जेन ह बने घर ले आये हे के जिनगी ह दुख म बूड़गे हे। एक-दू दिन आड़ नइ परय,मार-पीट म अउ संसो-फिकर म सुखाके काँटा होगे हे।

   नरेश ह आजो रतिहा कसके पी के लड़भड़- लइया करत घर आये हे।आइस तहाँ ले परछी म हाथ-गोड़ लमाके बइठत अपन बेटी मोतिम ल कहिस--ये टूरी एक गिलास पानी लान।

हव बाबू कहिके मोतिम ह जेन पढ़े-लिखे बर बइठे रहिसे, अपन कापी-किताब ल सकेले ल धरलिस।

अरे मर जहूँ त पानी लाके देबे तैं टूरी।बड़ा पढ़हंतीन बने हस--काहत नरेश ह उठिस अउ तड़ाक ले एक चटकन मोतिम ल दे दिस।

बेचारी ह कल्लाके रोये ल धरलिस।

बेटी ल रोवत सुनके रमेसरी ह अइस अउ चुप करावत अपन गोंसइया ल कहिस--आजो पी-खाके आये हस अउ फोकट के मार-पीट चालू कर देच।पानी देये म दू मिनट देरी होगे त का होगे?जादा  पियासे रहे त खुदे हेर के पी लेते।

अतका ल सुनके नरेश ह मनमाड़े जँजीयावत कहिस--हाँ-हाँ पी के आये हँव। तोर भिखमंगा ददा के पइसा म पी के नइ आये हँव।

     अपन ददा ल भिखमंगा काहत सुनके रमेसरी ह भन्नावत कहिस--मोर ददा भिखमंगा नइये। भिखमंगा तो तैं हस।वोकर पहिराये जम्मों गहना-गुरिया ल बेंच बेंच के पी खा डरे तेन ह शरम नइ लागय? एक ठन चिरहा ओनहा बर तरसत रहिथौं।बेटी ह एक ठन कापी-पेन

बर लुलवावत रहिथे। लाँघन-भूँखन जीयत हन तेकर चेत नइये। गोठियाथच त लाज घलो नइ लागय?

मोला शरम नइ लागय काहत हस रे निशरमी।तोर जीभ ल अभी सुरर देहूँ --काहत नरेश उठिस अउ बपरी ल दू-चार थपरा दे दिस।

बहू ल मारत देख के अस्सी साल के सियनहा रामलाल ह छोंड़ावत कहिस--अरे बेटा काबर अइसन अतियाचार करथस गा।निरपराधिन ल काबर फोकट के मारत हस।छोंड़ एला। बने तो कहिस हे।का गलती कइ परिस?

देख ददा तैं हट जा।आज एकर जीव ल मैं लेके रइहूँ काहत नरेश ह हटकारिस त बेचारा सियनहा ह थरथराके गिरगे।

नशा चढ़े राक्षस नरेश के मन नइ माढ़िस त रमेसरी के चूँदी ल धरके गिरा दिस अउ लात मुटका म मारे ल धरलिस।

नोनी मोतिम अउ रमेसरी बोमफार के रोये ल धरलिन।

 जर-बुखार म खटिया धरे नरेश के दाई सियनहिन सुकवारो ह कइसनो करके उठिच अउ छोंड़ावत कहिस--तोर हाथ-पाँव जोरत हँव बेटा झन मार पीट कर गा।

चुप रा डोकरी।तैं मरत तक नइ अच।तोरे चढ़ाये म ये ह अतका चढ़गे हे। नशा म पगलाये नरेश ह कहिस।वोला का तमीज हे।महतारी -बाप जेन मन ल भगवान सरूप कहे गेहे तिंकर ले कइसन बरताव करना चाही।

हाँ डोकरी कहिले अउ कुछु गारी दे ले।तोला बियाये के सेती पथरा बिया ले रहितेंव तेन बने रहिसे। रोवत रोवत सुकवारो कहिस।

       हल्ला-गुल्ला अउ रोवई -धोवई ल सुनके हम पारा -परोसी मन सकलागेंन।कुछ झन नरेश ल डाँटिन फटकारिन ,कुछ झन वोला समझाइन-बुझाइन तहाँ ले वो कुरिया म जाके सुतगे।

परोसिन काकी ह रमेसरी ल धीर धराके चुप करइस ।वोकर पीठ अउ बाखा म जेन-जेन जगा ल दुष्ट नरेश ह मारे राहय तेमा माटी तेल लगाके अपन घर ले दरद माढ़े के गोली ला के खवाइस। तेकर पाछू लेवन खावव -पीवव अउ चुपचाप सुत जवव कहिके हमन लहुटगेंन।

     अइसन म भला काकर मुँह म कौंरा जाही। सबो झन सात धार आँसू बोहावत परछी म बइठे रहिन। एकाध घंटा पाछू  सियनहिन ह अपन बहू ल कहिस--जा बेटी वोला खाना खाये बर उठा दे।नशा फाटगे होही त एको कौंरा खा लेही।

हव दाई काहत अउ आँसू ल अँचरा म पोंछत रमेसरी ह कुरिया म गेइस त ओकर चेत हरागे।

  नरेश ह कतका बेर मेयार म फाँसी ले ले राहय। वो हतभागिन ह बोमफार के कल्लई असन रोये ल धरलिस।

 का होगे सोंच के सियान, सियनहिन अउ नोनी ह कुरिया म गिन त देख के अकबका गे। सुकवारो ह गश खाके गिरगे फेर सबो कोई जोर-जोर से रोये ल धरलिन।

  फेर का होगे सोंचके हम पारा-परोस के मन तुरते जुरियागेंन। घटना ल देख के सब सन्न होगेन। सरपंच ,कोतवाल अउ गाँव के सियान मन ल बलाये गिस।

  नरेश के फाँसी लगाये के खबर दसे मिनट म पूरा गाँव म फइलगे। खमाखम लोगन सकलागें। सौ मुँह ,सौ प्रकार के बात होये ल धरलिस।बाहिर निकलेंव त चौरा म बइठे चार झन गोठियावत राहँय।

नरेश ह बहुत बड़े गलती कर दिस। अपन मरिस ते मरिस ,संग म अपन दाई-दाई, बाई अउ बेटी ल जीते जी मार डरिस।एक झन कहिस।

मरिस त बने होगे।मुक्ति तो मिलिस।सबके जिनगी ल नरक बना दे रहिस।बाँचे हे ते मन पेज-पसिया पी के कइसनो करके जी जहीं। दूसरा ह कहिस।

 मैं तो सुने हँव नरेश ह अपन बाई के दुख म फाँसी ले लिस। तिसरइया ह काहत राहय।

नहीं जी।हम जानत हन ।अइसन बात नोहय।नरेश ह दारू के नशा म अपन मसमोटी म मरगे।चौथा मनखे ह कहिस।

उँकर गोठ ल सुनके मैं गुने ल धरलेंव --काकर गलत हे ।काकर सहीं हे ?


चोवा राम वर्मा 'बादल '

हथबंद,छत्तीसगढ़

2 comments:

  1. बहुत सुंदर आलेख गुरुदेव जी

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  2. बहुत सुग्घर आलेख सर जी

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