Tuesday 8 September 2020

लघुकथा अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य-पोखन लाल जायसवाल

 *लघुकथा अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य-पोखन लाल जायसवाल

       साहित्य के गद्य विधा म जिनगी ले जुड़े कोनो किस्सा-कहिनी अउ घटना ल साहित्य के शुरुआतेच ले नाटक, एकांकी, कहानी,  उपन्यास म सरलग लिखे जात हे। समय के संग जिनगी के भागमभाग अउ दौड़-धूप के चलत आदमी जगा अध्ययन-अध्यापन बर समय कमतियाय धर ले हे। अइसन म लम्बा लम्बा कहानी पढ़े बर पाठक म रुचि नइ मिले ले, कुछ लेखक मन घलुक अपन रचना ल छोटे रूप म अउ प्रभावी लिखे धरे हे। मँजाय अउ स्थापित लेखक मन मूल विधा म कोनो समझौता करे नइ हे। फेर कविता म जइसे *नई कविता*  गीत म *नवगीत* ह लीक ले हट के समाज के विसंगति, सामयिक राजनीतिक, धार्मिक घटना मन ऊपर सशक्त वार करे के ताकत रखथे। आज के बात ल नवा ढंग ले सामाजिक चेतना अउ जागरण के उदीम करथे। वइसने कहानी उपन्यास के परम्परा ले अलगे विसंगति मन ऊपर भरपूर प्रहार करे गद्य साहित्य म लघुकथा लिखे के चलन बाढ़े हावय। अइसे बात नइ हे कि कहानी अउ उपन्यास ए करे म सफल नइ हे। हे। *क्रिकेट म टेस्ट मैच के अपन आनंद अउ रोमाच अलगे हे, फेर वनडे मैच के बाद अब टी-20 मैच के माँग अउ चलन समय के माँग बनगिस।*  इही ढंग ले समय के माँग पूरा करे लेखन के स्वरूप बदले हे। नान्हें (छोटी) कहानी अउ लघुकथा दूनो म फरक हवय। छोटे कहानी के मतलब हे कहानी के जादा लम्बा नइ होना ए, अउ कहानी के सबो तत्व ओमा हवय। कहानी अपन आप म सुखद अंत वाला अउ पूरा होथे। एखर भाषा शैली म मिठास रहिथे। लघुकथा के भाषा शैली तेज प्रवाह के संग तीखा (धारदार) होथे। एखर अंत ताना मारे सरीख झकझोरत कोनो संदेश छोड़थे। एखर अंत ले नवा कथा के शुरुआत घला हो सकथे। कहानी म लेखक उपस्थित रहि सकथे अउ अपन विचार ल समोवत कहानी ल विस्तार दे सकथे। लघुकथा म लेखक उपस्थित नइ हो सकै।लघुकथाकार मेर कथा कहे के बेरा अपन गोठ बात कहे के कोनो मौका नइ रहै। कहानी फ्लैशबैक ले लम्बा करे जा सकथे।

एक सीमित समय के घटना ल ही लघुकथा म पिरोना होथे, कहे के मतलब लघुकथा क्षणिक घटना के वृत्तांत होथे। *चट मँगनी पट बिहाव*  बरोबर तुरते के घटना ऊपर लिखे कहानी जे अपन अंत ले समाज बर कोनो प्रश्न खड़ा करय, एक पंच मारय, पाठक ल सोचे बर मजबूर करय। लम्बा समय ले घटत घटना मन बर लघुकथा उपयुक्त नइ माने जाय। हाँ! अतका जरूर हे कहानी म यथार्थ अउ कल्पना दूनो के मिश्रण मिलथे। कहानीकार कोनो घटना ले प्रेरित हो अपन कल्पना ले विस्तार करत समाज ल संदेश दे कहानी ल गढ़थे। फेर लघुकथा समाज के विसंगति पूर्ण यथार्थ ल कथा म मनगंढ़त गढ़े जा सकथे, फेर विस्तार बर कल्पना के कोनो जगा नइ होय। 

      छत्तीसगढ़ी साहित्य सरलग पोठ होवत जात हे। आज साहित्य के जम्मो विधा म सृजन के बारिकी के जानकारी मिले ले नवा लिखइया मन ल नवा रस्ता मिलत हे। जउन मन पूरा उत्साह अउ ऊर्जा ले लेखन ल गति प्रदान करत हवै। एखर प्रमाण *लोकाक्षर* ले  जुड़े नवा-नवा साहित्य साधक के लेखन ह देवत हे। लोकाक्षर ले गद्य के आने आने विधा ल जाने अउ समझे के अवसर मिलत हे। लोकाक्षर  छत्तीसगढ़ी गद्य विधा बर मील के पत्थर साबित होही। जउन किसम ले *छंद के छ परिवार, अपन सँस्थापक आदरणीय अरुण कुमार निगम जी के अगुवाई म*  छत्तीसगढ़ी काव्य बर एक आन्दोलन बन उभरिस अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य ल छंद रचना ले पोठ करे के दिशा म सरलग लगे हे। वइसने छत्तीसगढ़ी गद्य बर *छत्तीसगढ़ी-लोकाक्षर* कोनो दिन एक आन्दोलन बन जही त चकित होय के बात नइ रही। छत्तीसगढ़ी म कतका लघुकथा लिखे गे हे, मोर जानबा म नइ हे। मोर जानबा म कमी के पाछू अध्ययन अध्यापन बर किताब खरीदे म  मोर आर्थिक कमजोरी रहिस। फेर अतका कहि सकथौं कि छत्तीसगढ़ी लघुकथा के दिन अब जल्दी बहुरही। मोला ए म कोनो संदेह नइ हे।


*पोखन लाल जायसवाल*

पलारी बलौदाबाजार

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