Tuesday 15 September 2020

छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी भाषा म अन्तर्सम्बन्ध

 छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी भाषा म अन्तर्सम्बन्ध


कोनो भी दू ठन भाषा के अंतर सम्बंध ल जाने बर दूनों के  जनम , तत्कालीन सामाजिक , सांस्कृतिक , राजनैतिक परिस्थिति डहर भी ध्यान देना जरूरी हो जाथे तभे शब्द विन्यास , वाक्य विन्यास ल जाने मं सुविधा होथे काबर के जे कालखंड मं जौन भाषा के जन्म होथे ओहर अपन पहिली के भाषा से प्रभावित तो होथे फेर नवा रस्ता भी खोजत चलथे , ये नवा रस्ता मं जुन्ना भाषा के शब्द अउ वाक्य संग लोकोक्ति , मुहावरा  मन भी नवजात भाषा के संगे संग नवा रस्ता मं चले लगथें , धीरे धीरे कुछ मन पिछुवा जाथें त कुछ मन नवा भाषा मं दूध मं पानी असन मिल जाथें । 

   खड़ी बोली हर जब हिंदी के स्वरूप धरत रहिस त अवधी अउ बृज भाषा के कई ठन शब्द के उपयोग लेखक मन करत रहिन शुरुआती हिंदी के रचना मन ल पढ़े ले एकर प्रमाण मिल जाथे । 

छत्तीसगढ़ी के व्याकरण हिंदी व्याकरण ले पहिली हीरा लाल काव्योपाध्याय जी लिख देहे रहिन फेर अंग्रेज मन के देश छोड़े अउ भारत ल आजादी मिले के एवज मं देश ल सन्देश देहे बर , एक भाषा देहे बर गुनी मानी मनसे मन हिंदी ल प्रश्रय दिहीन ते पाय के हिंदी संविधान के पन्ना मं संघ के राजभाषा के रूप  मं बिराजिस । छत्तीसगढ़ी साहित्य रचना ए समय थोरकुन पिछुआ गिस त का होगे , छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद तो छतीसगढ़ी साहित्य प्रचुर मात्रा मं लिखे जावत हे , हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी के अंतर सम्बंध ल जाने , समझे के इही हर उपयुक्त समय आय तभे छत्तीसगढ़ी भाषा पोट्ठ होही । हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी दूनों मं तो वचन तीन ठन ही होथे ...

मैं , हम दूनों , हम सबो झन । हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी वाक्य विन्यास मं लिंग निर्धारण जरूर अलग हे हिंदी मं पुल्लिंग ....मैं जाता हूं । स्त्रीलिंग ...मैं जाती हूं । छत्तीसगढ़ी मं मैं जाथौं उभयलिंगी वाक्य आय । मराठी ...मला किताब दे । बंगला मं आमाके बई  दाओ । उभयलिंगी वाक्य आय । अंतर सम्बंध के चर्चा करत समय एहू डहर ध्यान देहे बर परही । 

  सरला शर्मा

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