Friday 18 September 2020

अजादी आगे-चोवाराम वर्मा बादल

 अजादी आगे-चोवाराम वर्मा बादल

                        (कहानी)


देश ल आजाद होये दस बछर होगे रहिस। नवा सुरुज के अँजोर म कतको गाँव-शहर म सुख के फूल रिगबिग रिगबिग फूलगे।

नवा-नवा रद्दा गढ़ागे,नवा सोंच के आँधी म अंधविश्वास उड़ागे फेर नदिया के खँड़ म बसे छोटे से साठ-सत्तर कुरिया के गाँव खपरी म वोकर छँइहा तक नइ परिस। न स्कूल, न सड़क ,न बिजली ,न अस्पताल।सरकार के कोनो आरो नहीं।

        अइयास अउ जल्लाद गौंटिया के दबदबा म गाँव के आत्मा रोवत राहय।  बाँड़ा ह उहाँ के थाना अउ कछेरी। अउ   अगुवा कालूराम के का कहना? निचट राक्षस मनखे। गौंटिया के पालतू -- वोकर एक इशारा म कुछ भी करे बर तइयार।

         एक दिन संझाकुन गौंटिया ह अपन बइठका के कुर्सी म बइठे ,मरदनिया सो मालिश करावत गली म अवइया-जवइया ल देखत राहय। कालूराम तको बइठे राहय। अचानक गौंटिया ह कहिस--अरे कालू खोर म निकलके देख तो--कोन हरे वो ह? पुतरी कस बने सजे-धजे हे। आँखी म झूलगे वो तो।

    हव मालिक काहत कालू ह लकर- धकर खोर कोती निकलिच अउ लहूट के आके बताइस--वो ह भजनहा के बहू आय मालिक।अपन मितानिन घर गे रहिस होही।कमली नाम हे वोकर।

   अच्छा इहू ह भजन-उजन गाये ल सीखे हे का जी? एको रतिहा हमरो बाँड़ा म रौनक बगरा देतिच। ठहाका लगावत गौंटिया कहिस।

कइसे जी मरदनिया सहीं काहत हवँ न?

 मरदनिया ह अउ जोर-जोर ले  गोड़ ल चपकत कहिस--वो ह नइ गावय दाऊ। भजनहा ह अपन बहू ल रानी बेटी कस रखथे। कहूँ बनी भूती म घलो नइ भेजय।वोकर गोंसइया समे ह काम बूता म जाथे।

  गौंटिया ह फेर जोर से ठहाका लगावत कहिस- ठीक हे वो ह रानी बरोबर हे त का हम राजा बरोबर नइ अन का? कहूँ जाय चाहे झन जाय इहाँ बाँड़ा म बूता करे  वोला आये ल परही। कइसे कालूराम का विचार हे?

  वोला ये गाँव म नइ रहना हे का मालिक । वो तो वो वोकर ददा तको ल बाँड़ा म बनी करे आये ल परही।

अपन टेम्पा ल उठावत कालू राम कहिस- मैं अभिच्चे जात हवँ ।काली बिहिनिया बर वोला बूता जोंग के आवत हँव।

    अतका कहिके वो भजनहा घर आगे।सँकरी ल खटखटावत कहिस-दरवाजा ल खोल तो जी भजनहा।

हव-हव खोलत हवँ ग, आवत हवँ ग कहिके भजनहा ह दरवाजा ल खोलिच त उहाँ कालूराम ल टेम्पा धरे खड़े देख के सकपकागे।वो पूछिस-कइसे आये हस ग? का काम हे तेला बता?

    बताहूँ ,बताहूँ पहिली बइठन तो दे काहत कालूराम सीधा अँगना म पहुँचगे अउ खटिया म बइठत कहिस-- काली तोर बहू ल बिहिनिया गौंटिया घर झारे बहारे बर बनी म भेज देबे।चार काठा बनी मिलही।

  चार काठा बनी मिलय चाहे दस काठा ।हमर बाई ह बनी नइ जाय।घरे के काम बूता ले फुरसत नइये। समे ह कुरिया ले निकलत कहिस।

  अच्छा गौंटिया घर काम परिस त बनी म नइ जाय काहत हस। आगू-पाछू काय होही तेला बने सोंच ले।कालू ह धमकी देवत कहिस।

हाँ अगुवा जी सोंच ले हन ।जादा होही त हमर जीव जाही न फेर मोर बहू उहाँ बनी म नइ जाय। ले अब तैं जा।भजनहा कहिस।

 कालूराम ह हाथ-गोड़ पटकत लहुटगे।गौंटिया ह वोला अगोरत राहय।देखिस तहाँ ले पूछिस- त काली वो आवत हे न अगुवा?

नहीं मालिक वोकर ससुर अउ गोंसइया दुनों झन मना कर दिन।

अच्छा उँकर अतका हिम्मत।हमर कहना ल नइ मानिन।अब तो बने मजा चखाये ल परही। जा तो वोकर परोसी दुखवा ल बलाके लाबे।

कालूराम ह तुरते बलाये ल चल दिस।

   ये घटना ल घटे आठ दिन पाछू गाँव म कोतवाल ह हाँका पारिस-आज रतिहा आठ बजे बाँड़ा म बलाव हे।घरोघर सकलाना हे।जेन नइ आही तेला सौ रुपिया डाँड़ परही।

रतिहा बाँड़ा म खचाखच मनखे सकलागें।एक तो गौंटिया के डर दूसर डाँड़ के डर म कोनो नइ छूटे हें।

 गौंटिया ह अपन कर्कश अवाज म कहिस-आज के बलाव ल दुखवा ह बलवाय हे।का बात हे तेला उही बताही । ले रे दुखवा बता का बात हे?

 मैं ह कई बेर अपन बारी म भजनहा के बहू कमली ल अमली पेड़ तरी टोनही बरत देखे हँव। छै महीना पहिली जेन मोर नाती मरिसे वो ह वोकरे चुहके आय।अभी मोर नतनिन खटिया धरे हे।उहू ल चुहकत हे।हमला बँचा लव।एकरे सेती पनचइत बलाय हवँ।हाथ जोरे खड़ा होके दुखवा कहिस।

 कालूराम टेम्पा धरे खड़ा होके बोलिस-महूँ ह उत्ती खार म दू-चार पइत टोनही बरत देखे हँव।आज पता चलत हे वो ह भजनहा के बहू आय।एकर तो बने निंयाव होना चाही।वोला डाँड़ नहकाये जाय।

   नहीं नहीं अगुवा जी मोर बहू ह गंगा जइसे पबरित हे।वो ह टोनही नइये। भजनहा ह हाथ जोरत कहिस।

 मोर बाई ह टोनही नइये।दुखवा ह लबारी मारत हे।वोकर नाती ह जर बुखार म मरे रहिसे।समे ह थोकुन गुसियाके कहिस।

   अरे टूरा तैं चुप राह नहीं ते तोर जीभ ल इँचवा देहूँ।हमर आगू म भरे पनचइत म ऊँचा आवाज म बात करथच।गौंटिया ह धमकावत कहिस।

अतका ल सुनके वोकर सीखोये पढ़ोये दू -चार मन हाँव-हाँव करत समे ल मारे पीटे बर डँटगें।भजनहा ह सबके हाथ-पाँव जोरिस त छोंड़ीन ।

गौंटिया फेर कहिस-गाँव वाले मन बतावव का करना हे ते?

अउ का करना हे मालिक।होत बिहिनिया

डाँड़ नहकाना हे।कई झन चिल्लाके कहिन।

  हाँ तो अब फैसला होगे।बड़े बिहनिया इही गुड़ी म हमर गाँव के बइगा बुधारू ह डाँड़ नहकवाही ।ले तो बइगा बता तो डाँड़ नहकवाये बर काय करे बर परही।रावण कस ठहाका लगावत गौंटिया कहिस।

 जेला डाँड़ नहकवाना होथे वोकर मूँड़ ल मूँड़के, नाक म बंदन चुपरके,बिन वस्त्र के भभकत आगी ले, ये पार ले वो पार नहकाये जाथे।जेन टोनही रहिथे वोकर शरीर जगा जगा ले जर जथे अउ जेन नइ राहय वो साबुत नहक जथे। टोनही निकलथे तेला खैरा बोकरा संग जिंदा गड़िया दे जाथे।बुधारू बइगा ह कहिस।

हाँ अइसनेच करबो।

 कालू तैं दू चार आदमी धरके जा तो,भजनहा के घर ताला लगाके आहू। वो टोनही भागे झन पावय।गौटिया कहिस।

कालूराम ह हव कहिके उठत राहय ओइसने रुकौ-रुकौ ----एक ठन अउ नियाव बाँचे हे काहत गोटानी धरे धर्मिन सियनहिन गौटनिन दाई ह गौटिया के बाई संग आवत दिखिस।

वो मन कभू अइसन पनचइत के बीच म नइ आये रहिन।उन ल देखके सब ल साँप सूँघ दिस।एकदम सन्नाटा छागे।

गौंटिया ह चिल्लावत कहिस-अरे तुमन कहाँ आवत हव।सोजबाय घर भीतर जावव।माई लोगिन के इहाँ का काम?    

काम हावय बेटा तोर पुरखा मन ये गाँव ल बसाये रहिन।इहाँ के सब झन ल अपने संतान सहीं मानयँ।फेर तैं तो मोर कोंख ले कइसे रावण कस पैदा होगे हस।अब तोर अतियाचार सहावत नइये। सियनहिन गौंटनिन ह कहिस।

वो ह फेर गाँव वाले मन ल कहिस--सुनव! मैं अउ ये मोर बहू तको टोनही हन।हमूँ मन बिहनिया डाँड़ नहाकबो।

सुनके सब सन्न होगें।गोंटिया कहिस--येकर बात म झन आवव।ये पगली होगे हे।

मैं पगली नइ अँव रे बेटा तैं ह  धन के नशा म पगलागे हस। छोटे आँखी के होगे हस।अरे पापी काकर काकर इज्जत लेबे ।

 अउ दुखवा ह मोर आगू म अपन बेटा के मूँड़ म हाथ राखके बतावव--का वो ह सिरतो म कमली ल टोनही बरत देखे हे, धन तोर अउ पापी कालू के सिखोये पढ़ोये म दोष लगावत हे? खड़ा हो तो ग दुखवा काहत सियनहिन गौंटनिन ह दुखवा के तीर म चलदिस।

   सत के ताव ह जब जनइच त दुखवा ह काँपत कहिस-मैं ह वोला टोनही बरत कभू नइ देखे अँव दाई। गोंटिया अउ कालू ह मोला जान से मारे के धमकी दे के कहवाये हें।

पूरा पनचइत सन्न होगे।गौंटिया, कालू अउ  बुधारू बइगा के कारी पछीना छूटे ल धरलिस।

सियनहिन गौंटनिन कहिस-मूरख गाँव वाले हो।देश अजाद होगे फेर तुमन कब अजाद होहू।पढ़व-लिखव,अंधविश्वास ल छोड़व।अउ मोर बेटा ये ते का होगे--अइसन राक्षस के गुलामी झन करव।

पूरा पनचइत सन्न हे। धर्मिन गौंटनिन दाई चुपे नइ होवत ये।वो कहिस--चल ग भजनहा गाड़ी फाँद के मोला ,बहू अउ कमली ल थाना लेग। ये पापी मन बर रिपोट करहूँ।सब ल हथकड़ी पहिनीवाहूँ।

अतका ल सुनिन तहाँ ले सब छिमा कर दे दाई, छिमा कर दे दाई काहत गोहराये ल धरलिन। गौंटिया ,कालू ,दुखवा अउ बइगा सियनहिन दाई के गोड़ तरी दण्डाशरन  गिरगें।

सुरुज देंवता उत्ती ले झाँके ल धरलिच।गाँव म अजादी आगे।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबन्द, छत्तीसगढ़

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