Monday 28 September 2020

आत्मकथा--विमर्श*


*आत्मकथा--विमर्श*


 जेन ह सबके हित करय ओला साहित्य कहे गे हे। साहित्य म खुद के (लेखक के) अउ आन के (पाठक के) हित समाये  रहिथे।

   लेखक के हित के मतलब ओला मिलने वाला आत्मिक सुख अउ कभू-कभू कुछ धन के संग मिलने वाला मान सम्मान ले हे।साहित्य ले लेखक ल स्वयं आत्म दर्शन करे के अवसर मिलथे। ये ह साहित्य के महिमा आय कि एक फकीर ल समाज में वो मान- सम्मान मिल जाथे जेन कोनो राजा, महाराजा अउ धनकुबेर  ल नइ मिल सकय। असली मान सम्मान ल भला कोन पइसा म खरीद सकथे?

    साहित्य ह पाठक के तको हित करथे। जब  कोनो सहृदय पाठक साहित्य के रसपान करथे त वोला  अलौकिक आनंद के अनुभव होथे। नवाँ-नवाँ, सुंदर-सुंदर, शुभ-शुभ विचार वोकर मन भीतर जनम लेथे। वोकर जिनगी म कहूँ कमी-बेसी हे त सुधार करे के प्रेरणा मिलथे। कतको साहित्य पाठक के हिरदे म घपटे धुंध ला हटाके निर्मल कर देथे।   ये साहित्य के कई रूप हे जेमा *आत्मकथा* ह  तको एक ठन आय।


*आत्मकथा काला कहे जाथे* ----

ये सृष्टि म दूये कथा हो सकथे--- एक तो *आत्मकथा*( खुद के कथा) अउ दूसर  *पर के(आन के) कथा* ।

  जब कोनो मनखे ह  अपन जीवन कहानी ल जेमा घर-परिवार, जिनगी म पाये सुख-दुख, मान -अपमान, सफलता -असफलता ,  संघर्ष ल समाजिक भलाई के भावना ले बताथे या लिखथे त उही ह *आत्मकथा* कहलाथे। 

  कुल मिलाके जब मनखे ह समाजिक भलाई के इच्छा ले अपन जीवन के खट्टा-मीठा अनुभव ल बताथे या लिखथे त वोला आत्मकथा कहे जाथे।


*आत्मकथा के रूप*  -- मोटी-मोटा आत्मकथा के *दू रूप*  होथे।

 *1कमजोर आत्मकथा* कमजोर आत्मकथा वोला कहि सकथन जेमा - आत्म कथाकार ह अपन गुण या उपलब्धि मन के बढ़-चढ़कर के वर्णन करे हे।अपन अवगुण ल घलो कुतर्क के मुखौटा पहिनाके सुंदर देखाये हे। पीतल म सोन के पालिश चढ़ाके चोबीस कैरेट के सोन ठहराये हे।

  अइसन *आत्मश्लाघा* वाले आत्मकथा पाठक के आनंद म बाधा बन जथे। अइसन आत्मकथा *व्यक्ति निष्ठ* हो जथे।मतलब लेखक के सत्य ह (व्यक्त विचार ह) ,संसार के सत्य ले मेल नइ करय।

   कुछ आत्म कथाकार मन अपन कमजोरी ल नइ बताके जान-बूझके, तोप के, गुणे के वर्णन कर देथें।उहू का काम के ? संसार म कोनो बिन अवगुण के नइ हो सकय। चंदा म तको दाग हे। 

      कोनो आत्म कथाकार ह अगर  सहानुभूति बटोरे बर अपन असफलता, संघर्ष अउ बुराई ल आत्मकथा म भर डरे हे त उहू *कमजोर आत्मकथा* हो जथे।


*2 सजोर आत्मकथा*--- 

 जेन आत्मकथा म *संतुलित रूप म सफलता-असफलता, संघर्ष संग आन ले पाये सहयोग आदि के निर्भिक अउ निरपेक्ष भाव ले(नीर-क्षीर विवेक ले)  वर्णन होथे तेला सजोर आत्मकथा कहे जाथे।* 

 मोर हिसाब ले ककरो *आत्मा के कथा* ह सजोर आत्मकथा बनथे काबर के आत्मा ह कभू झूठ-लबारी नइ मारय। वोकरे अनुभव ह असली अनुभव होथे ।

      अइसन आत्मकथा ह *वस्तुनिष्ठ होथे*। मतलब संसार के अन्य मनखे मन के अनुभव ले ,अटल सत्य ले मेल खाथे। 

*आत्मकथा के प्रकार*--


विद्वान मन आत्मकथा के  तीन मुख्य प्रकार बताथें--

1राजनैतिक आत्मकथा

2धार्मिक आत्मकथा

3 साहित्यिक आत्मकथा


*आत्मकथा के इतिहास*--

 जइसेअन्य साहित्यिक विधा मन पहिली वाचिक रूप म रहिन हें ओइसने आत्मकथा ह तको वाचिक रूप म आइस होगी ।

  जेन दिन कोनो पुरखा ह पहिली बार ये काहत कि मोर चूँदी ह फोकट घाम न नइ पाके ये जी या महूँ ह घाट- घाट के पानी पिये हँव कहिके या नाती नतुरा मन ल अपने जिनगी के किस्सा बनाके, अपन अनुभव ल सुनाइस होही उही ह पहिली आत्मकथा आय।

लिखित रूप में आत्मकथा ह जादा पुराना नोहय।  येला हमर देश के अनुसार हम दू ढंग ले समझ सकथन।

*संस्कृत साहित्य म आत्मकथा*---

आत्मकथा के आधुनिक परिभाषा के अनुसार संस्कृत साहित्य म आत्मकथा नइये फेर शुरुआती चिनहा जरूर हे।

 *6वीं सदी के महाकवि भट्टि के भट्टिकाव्य(रावण बध) म*।

*7वीं सदी के महाकवि बाणभटृ ह अपन महाकाव्य हर्ष चरितम अउ कादम्बरी म अपन बचपन,देशाटन अउ शिक्षा के बारे म थोर-बहुत लिखे हे।*

*7वीं सदी के संस्कृत कवि माघ ह अपन कृति शिशुपाल बध म अपन कुल के परिचय लिखे हे।*


*8वीं सदी के महाकवि भवभूति ह अपन रचना महावीर चरित के प्रस्तावना म अपन परिचय लिखे हे--दादा के नाम- भट्ट गोपाल,पिता-नीलकंठ, माता-जातुकर्णी।*

*12सदी के कवि श्रीहर्ष ह अपन कृति नैषध चरित के सबो सर्ग के अंत म अपन नाम श्रीहर्ष ,पिता के नाम-श्री हरि, माता के नाम-भामल्ल देवी लिखे हे।*

कुल मिला के संस्कृत साहित्य म आत्मकथा ह अइसने छुटपुट बीज रूप म हाबय।

*हिंदी साहित्य म आत्मकथा*-----

हिंदी साहित्य म आत्मकथा बहुतायत ले पाये जाथे।


*हिंदी के प्रथम आत्मकथा श्री बनारसी दास जैन के सन् 1641 म लिखे 'अर्द्धकथा' जेन ल 'संकाय कथानक ' तको कहे जाथे हर आय। ये ह पद्य रूप म हे*।

 वोकर बाद के आत्मकथा मन ल चार युग-

*1पूर्व भारतेंदु युग अउ भारतेंदु युग।*

*2 द्विवेदी युग।*

*3 छायावादी युग।*

*4 छायावादोत्तर युग।(आधुनिक युग)*

      म बाँट के अध्ययन करे जा सकथे।


*छत्तीसगढ़ी भाषा म आत्मकथा*---

हम अभी तक पढ़े नइ अन।हो सकथे मोला मालूम नइ होही।

फेर हाँ, छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्व श्री अजीत जोगी जी ह कोरोना काल म अपन आत्मकथा *सपनों का सौदागर* लिखत रहिन।वोकर प्रकाशन के अगोरा हे।

🙏🙏🙏🙏


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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