Wednesday 2 September 2020

आलेख-सरला शर्मा

आलेख-सरला शर्मा


 सोला आना सही विचार आय के गद्य लेखन हर कवि ( साहित्यकार ) मन के कसौटी आय एमेरन गद्य के अर्थ होइस कहानी , निबन्ध , उपन्यास , नाटक , संस्मरण ,  समीक्षा , लघुकथा , जीवनी , आत्मकथा , रिपोर्ताज , व्यंग आदि त गद्य के कसौटी होथे व्यंग लेखन काबर के कुछ लेख निमगा हास्य होथे जेहर पाठक के मन ल गुदगुदवा देथे चिटिक मनोरंजन होथे त हास्य व्यंग्य ओला कहे जाथे जेन लेख मं हास्य के संग  व्यंग मिंझरे रहिथे समाज के कोनो विसंगति उपर ध्यान देवाये के उद्देश्य रहिथे त निछक व्यंग हर सीधा सपाट चिमटना आय फेर कोनो मनसे , संस्था , जाति , किताब , धर्म के नांव नई लिखे जावय माने व्यक्तिगत नई होवय बल्कि आभासी होथे । एतरह देखिन त गद्य के ये विधा के तीन रूप होइस पहिली हास्य दूसर हास्य व्यंग्य , तीसर व्यंग । 

    छत्तीसगढ़ी साहित्य मं हिंदी साहित्य के गद्य - पद्य के विधा मन ल ही अपनाये गये हे सुरता करिन न कविता , गीत , आख्यानक काव्य , छन्दयुक्त ,  छ्न्द मुक्त , महाकाव्य , खण्डकाव्य , गद्यगीत आदि उही तरह गद्य मं भी हिंदी के ही विधा मन उपर साहित्यकार मन के कलम चलत हे । बड़ खुशी के बात आय के आज साहित्यकार के कलम ले सबो विधा सरलग झरत हे , साहित्य सुरसरि के धारा मं सबो किसिम के धारा मिलत जावत हे ,सब मिलके तो साहित्य गंगा बोहाही जेहर पाठक , समाज , देश-  राज , समाज के कल्याण करही । लिखत चलयं लेखक मन अउ कहि सकन के कलम तोर जय होय ।

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