Friday 4 September 2020

जरूरी हवय जल संरक्षण-अजय अमृतांशु

 जरूरी हवय जल संरक्षण-अजय अमृतांशु


बरसात के दिन आथे त चारों डहर बस पानीच पानी। देश भर म चारो डहर बाढ़ अउ भारी बारिश के नजारा देखे बर मिलथे। फेर देश म जतका बारिश होथे वो बारिश के ज्यादातर पानी बोहाके समुंदर म मिल जथे। हमन ये पानी के बरोबर सकला नइ कर पावन। थोर बहुत पानी बाँध म इकट्ठा जरूर होथे फेर बांध के संख्या सीमित होय के कारण से हमन पानी ल वोतका मात्रा मा इकट्ठा नइ कर पावन जतका के जरूरत हमन ल साल भर मे होथे। नतीजा ये होथे कि गरमी के दिन आते साठ चारो डहर पानी के किल्लत हो जाथे। तब सब झन ल सुरता आथे -"बिन पानी सब सून"।


मनखे करा बिजली हवय, बिजली के मिलत ले भुइँया के पानी ल खींच खींच के बउरही, कार धोही, फव्वारा चलाही ,स्वीमिंग पुल म बउरही अउ जाने का का...। फेर ये कभू नइ सोंचय कि पानी ल थोरिक देख के बउरिन...। जेठ म इही पानी ह प्राण बचाही। गली म लगे बोर के पानी ससन भर बोहात रहिथे कोनो भरने वाला नइ हे फेर कोनो ये नइ काहय कि चल तो बंद कर दिन। पानी बोहात हे बोहान दे हमर का जाना है। न बिजली जाना हे अउ न पानी ..।


वइसने गली गली म लगे नल मन गदर्रा चलत रहिथे। बिना टोटी के नल ले तब तक पानी बोहात रहिथे जब तक पालिका के पानी सप्लाई बंद नइ हो जाय। जतका पब्लिक टेप हवय बिहनिया ले चालू हो जही, मनखे रहय के नइ रहय बिहनिया ले शुरू 9 के बजत ले चलही। वइसने सँझा के घलो 3 घण्टा,फेर कोनो ये नइ कहय के भरइया नइ हे त बंद कर दन। सबके एके राग मोला काय करना हवय, मोर काय गरज परे हवय। कोनो ल टोक देबे त तोरे बर उमड़ जही तोर काय जात हे जी ..?बिजली सरकार के अउ पानी धरती के,बड़ आय हस भाषण देने वाला।


फेर जब जेठ ह लगथे अउ एकक लोटा पानी बर जब त्राहि-त्राहि होथे तब पता चलथे। फेर अपन करे गलती ल सुरता नइ करय उल्टा सरकार ल दोष देथे। अरे सरकार ह कतका करही, तुँहरो तो कोनो जिम्मेदारी हे। अपन जिमेदारी ल तैं कतका कन निभाय हस..?  नल म टोटी लगाय के बजाय लगे टोटी ल निकाल के ले जथे,पता नहीं वो टोटी ल अपन घर मा लगाथे के बेंच के खाथे उही जानय। 


अभी घलो बेरा हवय मनखे मन चेत जाय। पानी ल कइसे बचाना हवय येकर उपाय करव। जेकर घर में बोर हवय वोमन यदि वाटर हार्वेस्टिंग करवा लय त जेठ म घलो बोर नइ सुखाय,फेर नइ करना हे। जबकि येमा खरचा नहीं के बराबर हवय। सरकार नदिया के पानी ला रोके बर कई जघा एनीकट बनवाय हवय फेर अक्सर ये देखे जाथे कि रेत माफिया मन रेती निकाले खातिर अधिकारी मन ले साँठ गाँठ करके एनीकट के पानी ल ढिलवा देथे। नतीजा ये होथे कि साल भर बर जमा करे पानी एक झटका म खाली हो जथे ।अइसन म आस पास म वाटर लेबल कइसे बढ़ही ? खरीफ के फसल ला पानी कहाँ ले मिलही?  नदिया मा एक एनीकट बने ले लगभग तीन किलोमीटर पाछू तक नदिया मा पानी इकट्ठा रहिथे जेन पर्यावरण ल संतुलित करे के काम घलो करथे ये बात ल गुनान करे के जरूरत हवय। "जल हे त कल हे" ये बात ल गुनव अउ धरव ।


अजय अमॄतांशु

भाटापारा

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