Thursday 3 September 2020

विमर्श के विषय - छत्तीसगढ़ी साहित्य मा समीक्षा के सरूप अउ उपयोगिता*

विमर्श के विषय - छत्तीसगढ़ी साहित्य मा समीक्षा के सरूप अउ उपयोगिता*


 *कोनो किताब के समीक्षा काबर होना चाही|* 

 *छत्तीसगढ़ी साहित्य म समीक्षा के अभी सुरुआती समय आय |* 
 *फेर हमर छत्तीसगढ़िया साहित्यकार मन घलो एक ले बढ़ के एक समीक्षक , आलोचक, समालोचक, विश्लेषक अउ साहित्य के पारखी हावँय|* 
     
 छत्तीसगढ़ में  छत्तीसगढ़ि साहित्य के समीक्षा तो बहुते पहली ले होवत आवत हे, फेर बने बाढ़े पुरा नइ आय हे | हमर कस नरवा झोरकी के धार मन नँदिया म समा के वोकर बोहाय के क्षमता ल असासून नई कर सकन त थोर कन जरूर बढ़ा सकत हवन | फेर देखते देखत   छत्तीसगढ़ि साहित्य के विधा मन पँडरु कस मेछरावत हुमेल मारे ल धर लिहीं|
साहित्य के कई जिनीस ह पोठ हो जही,जुरियाय के प्रयास  करे ले सबो जिनीस सधाजही भरोस होवत हे|
      फेर कभू कभू शंका के भूस भूस घलो जनाय लगथे| काबर के सबके अपन अपन गोड़ हाथ हे,आने आने डाहर आँखी घलो झाँकत हे,अउ मन बाँधे नइ बँधाय मन घलो अपन मन के नाचत हे|
   *वइसे तो हर पाठक ह अपन आप म एक समीक्षक होथे* | *भले ओ कखरो आलेख ,कहानी, कविता, गज़ल ,उपन्यास आदि रचित पुस्तक ,किताब  ल पढ़ के रचनाकर्म ल समझ जथे, जान जथे| लेकिन प्रतिक्रिया नइ देवय |* *येखर ले लेखक / कवि ल अपन अच्छाई अउ कमी दूनो  के पता नइ चलय|* 
 *तेपाय के रचनाकार के रचना म निखार नइ आ सकय |* साहित्य समाज ल दिशा देथे त बने साहित्य समाज के बीच जावय समीक्षा अउ आलोचना के हर कसौटी म कसाय मथाय राहय|
         आलोचक के आलोचना ले लेखक बैतरनी पार होजथे अउ साहित्य के ऊँचाई वाले आसन घलो पाजथे | का होगे ते बलही गाँजे बखत किसान मुसवा ले नइ डरावय पर आज तो आधुनिक जमाना  अति होगे हे हारवेस्टर अउ थ्रेशर आगे धनहा खेत मे पाके खड़े धान तुरते कटत हावय|
     कहे के मतलब हावय कि  हमर छत्तीस गढ़ म घलो रोजे कई  ठन किताब छपत हे | फेर किताब के आमुख आलेख छपेच नइ हे , संपादकीय लिखाये नइहे, संपादन परिमार्जन घलो बने नइ होय हे ,इंटर नेट , ब्लाग , फेसबूक ,यूट्यूब , इंस्टाग्राम , म पोस्ट हो जथे ,पीडीएफ बनके वाट्स अप मे ढिला जथे, गोल्लर बनके किंजरे लगथे|
ठलहा छाप नाम पाये बर बिक्कट भींड़ हावय| 
गुनमान कुछु नही त  नदिया म बोहवाय बर किताब छाप के का कर लेवब |
 सार संदेश समाज ल देना हवय त समीक्षा वोतके जरूरी हावय|

    *सच कहिबे त बड़ दुख होथे | बहुत झन विदुषी दीदी अउ, विद्वान भइया मन अपन अनुभव के अँजोर बगराये हवँय|* *हिम्मत कर के एक बात और कहत हँव समालोचक ह साहित्य जगत  बर धर्मराज आवय |* 
गुरु आवय वो परम पद वोला मिलना ही चाही | कोनो बुरा झिन मानव | सुघ्घर रसदा देखाथे| साहित्यकार ल साहित्य सागर ले पार लगाथे|
ओहर साहित्यिक आलेख, रचना ल  रोचक ढंग ले समीक्षा करथे|परिमार्जित कर के जउन हर पाठक और लेखक के बीच म बँधान (सेतु) बाँधे के काम करथे| पाठक के ध्यान ल खींचथे| समीक्षा ले पाठक के भीतर  रुची जगा देथे| पाठक ल तो आनंद आबे करथे |फेर येखर ले बने साहित्य के विकास तो होबे करथे अउ समाज म बने संस्कार  पनपथे ,उन्नति करथे| अउ लेखक , प्रकाशक ल बने मोल घलो मिलथे|  लेखक के अवइया कृति म सुधार दिखे लगथे| अउ पुस्तक मन के श्रृंखला छपे लगथे ,निकले लगथे नाम अपने अपन चल पड़थे|
       *अभी तक सामान्य मुद्दा म बात होइस अब कुछ अइसे बिन्दु म बात रखे के प्रयास करना चाही जेखर ले सहिंचे म छत्तीसगढ़ि साहित्य बर धर्मराज असन आलोचक तैयार होवँय |* 

  *समीक्षक, आलोचक के कर्तव्य अउ साहित्य धर्म उपर भी बात होना चाही |*  *बिना कोनो भेद - भाव, पुर्वाग्रह के निष्पक्ष समालोचना लिखे जाय के लेखक के किताब म का सहीं हे अउ का गलत , हो सके त अउ का होना रहिस संक्षेप मा नोट लिखे जा सकत हवय |*  

*मूल्यांकन करत समय किताब म आये गुढ़ बात ल जरूर हाईलाइट करना चाही|* 

आज तक छत्तीसगढ़ि किताब के समीक्षा पढ़े के अवसर नइ मिले हे| केवल पुस्तक विमोचन के समय सुने हवँव|
हिन्दी म लिखाय किताब के समीक्षा पढ़े हवन, कुछ मितान ,संगवारी मन के किताब के समीक्षा सुने अउ पढ़े के सौभाग्य मिले हे| 

 *समीक्षा कैसे लिखे जाना चाही* 
एक समीक्षक के धरम होथे के वो पुस्तक के सबो पहलू ल उजागर करय भले वो सार बात ल कहय , लिखय| 

जेखर ले किताब मा लिखाय ,रचनाकार्य- विषय , विषय वस्तु,  उद्देश्य. कथा , संवाद ,भाषा शैली अउ साहित्यकार के मनोस्थिति , काल मन  के पता चलय|
 *छत्तीसगढ़ी संस्कृति परंपरा के कोनो विशेष छाप ल उकेरत हे छुवत हे, त बतावँय|* 

 *समीक्षा के प्रकार* 
1.किताब के परिचयात्मक समीक्षा

2.विश्लेषणात्मक समीक्षा

3.मूल्यांकन समीक्षा 

4.समग्र समीक्षा (साहित्यिक)

वइसे तो बुधियार समीक्षक अपन समीक्षकीय करतब ले परिचित होथे फेर नान्हे मति ले कुछ बिन्दु लिखे के कोशिश हवय|

1. किताब लिखे के का  उद्देश्य हवय  किताब के का लक्ष्य हे
, वोकर परमुख उद्देश का हे

2. *किताब समीक्षा के प्रारूप का होना चाही* 
1.किताब के नाम

2.लेखक/ कवि

3.प्रकाशक के नाम 

4.मानक छाप आई एस बी एन नं.

5.कीमत-

6.किताब के बारे म (10-12 लाइन) (सार बात)

7.किताब ले मिले सीख/ शिक्षा ,ग्यान( 2-लाइन म)



3. *समीक्षा कैसे लिखे जाय* 

पुरा किताब  ल बने ठोसलगहा पढ़ना चाही,सार ,संक्षेप म अपन समझ ल किताब के उद्देश्य के पहुँच ल बतावत , पाठक के अमरउती तक लेजा सकी , तहाँ रुची जगा के छोड़ देवय
किताब म समाय सबो घटना के विस्तार ,बरनन नइ करना चाही|

4 *.किताब मा शामिल का का बात बने लागिस*  
1.किताब म का जिनीस , विषय वस्तु , पात्र  मन ला भागे लिखे 
जाना चाही|
2.कोन - कोन पात्र या उद्धरण बने लागिस अउ काबर बने लागिस 
लिखे जाना चाही|

3.किताब के कोन भाव हसावत/ रोवावत हे या सोचे बर विवश करत हे जरूर एक दू ठन लिखँय|

4.का ये किताब के विषय वस्तु, पात्र मन  वास्तविक ,व्यवहारिक समीचिन, सामयिक ,काल्पनिक , 
लागिस लिखना चाही|

5.दृश्य ल कोन तरह से ले गे हवय
कोन प्रकार के दृष्टिकोण हे, 
 *दृश्य* 
-रहस्यात्मक
-रोमांचकारी
-आनंदपूर्ण
- भयोत्पादक
-विषमयकारी
6.संवाद/ आलेख/ पटकथा/ कथानक/ भाषा शैली ले प्रेरणा मिल सकत हे , मिलत हे जरूर लिखँय|

7.कोन प्रकार के शब्दावली के प्रयोग जादा करे गये हे - पूर्वी , केंद्री छत्तीसगढ़ि,बस्तरी खल्टाही ,हलबी, गोडी, भतरी 
लरिया, खड़ी बोली आदि बतावँय

5 *.कोन कोन बात बने नइ लागिस* 

 *कोन बात हर पाठक ल आघत कर सकत हे , या जेखर ले बने संदेश नइ  जावय जेखर बिना भी काम चल सकत हे या बार बार दोहराव हे* 
, भाषा म कठिनाई हे , जरूर बताना चाही|
विषय 
विषय वस्तु
 *पात्र के चरित्र चित्रण* 
 *पात्रे का चयन* 
 *संवाद /कथन /उपकथन* 
 *सुरुआत* 
 *अंत* 
इन सब म जे बने नहीं लागिस जरूर समीक्षा म लिखना चाही|


 *6.का बात अउ होसकत रहिस* जरूरी बात जेकर ले 
देश ,काल ,परिस्थितियों,  मानव समुदाय , पर्यावरण के साथ प्रभाव समन्वय होसकय आदि संक्षेप मे बताना चाही|

   
 *7.का  कोनो विषय वस्तु , उदहरण समझ आइस के नहीं* 

अबूझ बात जेन लेखक बताना चाहत हे 
पर अस्पष्ट हे, उद्हरण , 
ल बताना चाही|
भाव म अस्पष्टता हे| बताना चाही , लिखना चाही|

 *8.समीक्षा का समापन* 
किताब समीक्षा के समापन
अइसे करे जा सकत हेकि वो पाठक ल अधिक से अधिक आकर्षित करय |
जेमा सबो किसिम के पाठक हो सकत हे| जइसे-
युवा पाठक, व्यस्क पाठक भी हो सकत हे|
 किताब के तुलना वइसने विषय वस्तु मा लिखाय कोनो नामधारी किताब या लेखक ले करे जा सकत हे|


. *9.किताब का मूल्यांकन** 

आलोचनात्मक, समालोचनात्मक 
मूल्यांकन
स्थिति, काल -दशा,वातावरण
लेखक /कवि की मौलिकता
विषय चयन , विषय वस्तु में प्रवाह /धार कोन हद तक पाठक के सामने ला सकत हे|
लेखक के प्रयासों की असली / सार समीक्षा, मनोदशा, भाव आदि पात्रे के साथ नहीं व्यवहार कर सके हवय के नहीं वोला बतावत एक स्कोर देसकत हें|


10.समीक्षक के  अउ अाने अभिमत|
जउन ये किताब ल एक किताब के दरजा दिला सकत हे वो बात 
एक या दू ठन|

 **ये कोई पैमाना या मीटर नोहय 
आलोचक स्वतंत्र होथे, ओ बेबाक बिना झिझक के विश्लेषण कर सकत हे|** 

ये विमर्श लिखे म बहुत खुशी महशुश होइस आप जम्मो के समक्ष सादर समर्पित करत हवँव|

आलेख - *अश्वनी कोसरे **कवर्धा कबीरधाम* 
 *छत्तीसगढ़** 

             

1 comment:

  1. शानदार। बधाई आदरणीय कोसरे

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