Tuesday 8 September 2020

पसर भर पानी-शोभामोहन श्रीवास्तव

 पसर भर पानी-शोभामोहन श्रीवास्तव

पंड़ित सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ महतारी के शूरबीर अउ धाकड़ बेटा जेकर जनम पैरी अउ महानदी के धरसा मा धमतरी जिला के टीप मा बसे नानकुन गाँव चन्द्रसूर मा कानून के प्रकांड विद्वान जियालाल त्रिपाठी के घर पूस महीना के अउमावस तिथि मतलब 21दिसम्बर सन् अट्ठारह सौ इक्यासी के बछर मा होय रहिस हे । पंड़ित सुंदरलाल शर्मा जी के पुरखा मन बाजे गुनि ग्यानी मंडल अउ विप्र समाज मा गनमान्य अउ सम्मानित, प्रगतिवादी गुनान के पोसक अउ कुरीत, अनीत, कुप्रथा अउ बिगन मुँड़ गोड़ के चलागत के धुर बिरोधी रहिन ओकर असर बालापन ले सुंदरलाल के कोंवर मन मस्तक मा होवत रहिस । एक ठन हाना हे -


जइसे जइसे दाई ददा तइसे तइसे लरिका, जइसे जइसे घर दुआर तइसे तइसे फइरका।।


 इही बीत सुंदरलाल के सुंदरलाल बने के पाछू ऊँकर पुरखा मन सीखापन अउ आचरण के  मढ़ाय नेव हे तभे ओमन अजगुत जिये के ढ़ंग के सेती अपन करम ले अमर होगे । साहित्य अउ समाज बर अपन जिनगी ला होम करिन, ऊँकर साहित्यिक सामाजिक अवदान अउ सुराज बर देखाय अद्भूत पराक्रम के अतका कथा -कंथली हे कि ओकर उपर महाकाव्य लिखे जा सकत हे । मैं जतका जानथौं अँजोरे के चिटरा उदिम करत हँव । 


*सुंदरलाल शर्मा के बालहठ ले जुन्ना चलागत के टूटना *


पाँच बछर के उम्मर मा विलक्षण लइका के रूप मा पड़ित सुंदरलाल शर्मा हर अपन सार्वजनिक जिनगी के उरथी अपन बाल हठ ले कर डारिन । तइहा बेरा कुलदेवी सत्ती दाई ले मनौती माँग के मनौती पूरा होय पाछू पुजई करे के चलागत चले आवत रहिस, उही ओरी मा सुंदरलाल शर्मा के जनम होय के पहिली उँकर महतारी बाप मन बदना बदे रहिन हें कि हमर अँगना मा फूल फूलही तौ हमन बधई देबो । बधई के खच्चित बेरा घड़ी मा जब पूजई के बोकरा ला देवता खोली मा लानिन अउ जइसे ही बधिक हर बोकरा ला काटे बर तलवार उठाइस पाँच बछर के लइका बोकरा ला नइ पूजन देवँव कहिके अइसे अड़गे कि मानबे न इ करिन ऊँकर अदम्य साहस अउ बिरोध ला देखके घर भरके मनखे अउ पहुना-पही मन अवाक रहिगे फेर उँकर बबा बैकुंठी त्रिपाठी हर बोकरा के कान ला काट के बोकरा ला ढ़िल दिस अउ सात्विक पूजा पाठ करके अपन जेवनी अँगठा ला काटके ओकर खून के टीका सत्ती दाई ला दिन अउ अपन लइका सुंदरलाल के माथा मा खून के टिपका टिपक के समाज के आगू एक नवा आदर्श मढ़ाइन । ये घटना के पूरा परिवार अउ समाज मा भीतरे भीतर बिरोध अउ चरबत्ता बगरिस फेर नामी गिरामी, धनी मानी अउ परिवार समाज मा दबदबा होये के सेती कोनो बैकुंठी त्रिपाठी अउ जियालाल त्रिपाठी के साम्हू आके मुँह फरकाय के हिम्मत नहीं करिन, तब मौका ला संभाले बर बैकुंठी त्रिपाठी हर सकेलाय सबो मनखे मन ला बलिप्रथा ला सभ्य मनखे समाज बर बउरन जोग नइ हे कहिके ये नेंग ला टोरिन फेर उँकर पाछू परिवार के फेर समाज के मनखे मन ला घलोक उँकर बात हर सहराय अउ अंगियाय जोग लागिस अइसे करत हुए विप्र समाज ले बलिप्रथा के अंत होगे, आज के विप्र समाज मा ककरो घर बलिप्रथा देखे सुने बर नइ मिलै ।  एक नानुक लइका के घलोक तार्किक बिरोध मा कतका ताकत होथे कि समाज के दशा अउ दिशा ला बदल सकथे एकर प्रमाण हे पंड़ित सुंदरलाल शर्मा के बलहठ ।


जुग जुग जीयत अपन करम ले, पुरखा सुंदरलाल।।

ओला समय भुलाय सकिस नइ, खाय किस 

नइ काल ।।


शोभामोहन श्रीवास्तव

०७/०९/२०२०

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