Thursday 3 September 2020

ब्यंग्य -सन्तोष साहू

 ब्यंग्य -सन्तोष साहू

(गरूवा मन के पंचायती राज)


एक समय के बात हरे अब्बड़ अकन गाय गरू मन सुनता होइस कि हमरो  गरवा समाज के हित बर कुछू सोचा जाय तब एकझन सियनहा असन गरुवा कथे मोर ला मानहू ते एकठन अच्छा उदिम मय सोचे हँव।तब एकठन बछरू कथे बताना बबा का बात सोचे हस सियान के बात कोनो फालतू नइ होवय तब वो सियनहा गरूवा कथे हमरो गरूवा समाज मे पंचायती राज लागू करन ताकि सबला बराबर हक मिले ।सियनहा गरूवा के बात ला सुन के सबो हव किहिस अउ सहमति बनगे अउ पंचायती राज के पूरा संविधान बना के चुनाव के दिन तारिख के घोषणा तको करडरिन, जब चुनाव के समय अइस तब सब जेला चुनाव लड़ना रिहिस अपन अपन फारम भरिन प्रचार करिन अउ चुनाव जितगे।लेकिन एक बात खास रिहिस सबो जगा बइला पूरा हारगे, पूरा गोल्लर मन उल्टा सीधा तिकड़मबाजी करके जीतगे अउ सबसे बड़े गोल्लर ला गरूवा मन के सरपंच बना दिस।जब बड़े गोल्लर सरपंच बनगे तब का पुछना भूँकरई चालू होगे हरियर हरियर चारा मन ला पुरा गोल्लरे मन चरे कहूँ बइला अउ ओकर गाय बछरू ला चरन नइ दे। कहूँ बइला के हिम्मत नइ होय कि गोल्लर के विरोध करे।हाँ अतका जरुर राहय कोनो बइला हा गोल्लर के जय बोलत आगु पिछू किंजरतिस तब वोला थोड़ बहूँत चारा चरे बर मिल जतिस।अब गोल्लर के अत्याचारी ला देख के सबो बइला एकठ्ठा होइस अउ हमला हमर हक दव हमू ला जिये बर चारा दव नारा लगावत गिस तब गोल्लर अउ ओकर संग राहय ते बइला सहित अतेक हूमेल हूमेल के मारिस ते कई ठन बइला मन के गोड़ हा टूट के।तब ले सीधवा बइला मन कान पकड़ के गोल्लर मन सन नइ लागन किके कसम खा के लागे बर छोड़दिस। अब भगवान भरोसा हमन ला जीना हे किके आधा पेट आधा लाँघन रबो किहिन।अउ रात दिन सोचत हे ओकर ले तो हमर पहिली के ब्यवस्था बने रिहिस। अपने गोड़ ला खुदे अपने टंगिया मे काट डरेन किके रोवई अउ पछतई सार हे।


संतोष कुमार साहू

रसेला,छुरा

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