Wednesday 2 September 2020

व्यंग्य-अश्वनी कोसरे

 व्यंग्य-अश्वनी कोसरे


*तोर नाव का हे* 


*आबे आबे गो .....**आबे आबे गो .....पंचु के कका दाई कोदो पैरा के खरही म चढ़ के रोजे दस इग्यारे बजती म अपन डोकरा ल हुँतकारय | जुन्ना माइक के भाखा कस आरो लागय ,माने कोनो पुलुस वाला  हर चोंगा मा रेरियावत हे के कोनो उदबिरिस होय हे | मंत्री दास बबा हर सुत उँच के रोजे ,बिहनिया ले खार डहर घुमे ल जावँय|

उकील सँग भेट होवय त कचहरी कस कोनो भी मुद्दा म, माने कानून के बने जानकार असन बहस होवय|चेर लगा लगा के एक दूसर ल पुछँय ,घंटो के गोठ बात ले कुछु हाँसिल नइ होवय | फेर कथत मथत ओखियावत जबर पागा म बँधाय चिलम निकाले अउ अँगौछी के एक लर म बंधाय गठियाय चकमक ला लोहाटी पटिया संग कपसा ल चट ले मार  के ठढ़ियायँ के सिपचाँय | घेरी बेरी खखलुआ गाल ल बजावत चिलम ल तिरँय सक सक कुहरा अइसे निकरे जनामना भेलई के लोहा कारखाना म लोहाचुरे ले निकरत हे| कोनो मजकहा लइका मन कहँय वहिदे रे डीजल इँजन के कुहिरा उड़ावत हे अउ छुक छुक बाजत हे|

डोकरा मोठडाँट फेर छोटे कान के राहय डोकरी के रेरपरई ल सुने नइ पावय | त उकील ह बतावय तोर छइँहा टिंह टिहावँत हे ले एक दम दे तहाँ छुपल्ला|लकर धकर जाय लगीन उकील कथे आज तोर सही नाव परमुख मंत्री कुदरी ,कुदरा, रांपा, गैंती , झउँहा ,पट्टा , अवास बाँटे बर डोंगरीपट म आवत हे |नहा खा के जल्दी चलदेबे |

 **सरपंचीन हा ताते तात खवाही|सरपंचपति*के मारे काहीं हाँथ नइ आवय उकील* , *तँय काहीं कहिले|पंचायत म कही कुछु **भी सरकार के योजना* *म आथे त सबले पहली ओखर चेला* 

*चपाटी  लंगुरवा मन ल मिलथे|*** ओदरी पनही बांटीन त मोला ऐसे नंबर वाला ल दे रहिन के पहिने म गोड़ म नइ अइस| रामचंद के नवा बूट ल तुरते नगा लिन | *नहीं नहीं ये दरी सबो जीव परानी मन ल पान परसाद बरोबर बाँटे जही| बड़े बड़े कनकट्टा , जेबकतरा ओहदा वाले मन घलो आय हें|*


         तोर नाव पहली नंबर म हे| नरवा म नहा खोर के बबा घर पहुँच गे | लउहा लकर खा डरिस| अपन छाता अउ गोटानी ल धरे धीरे धीरे रेंगे लगिस| गाँव के बनेच झन जावत राहँय | बड़े मंचान ब इठिका बर का गजब तोरन पताका फूल माला ले काहरत राहय|| सजउटी बिभाग वाले मन राजा कस महल ,पंडाल सजाय रहँय| सरग ले अपसरा मन नाँचे बर बुलाय गे रहिन | ताकि परमुख के आवत ले मनसे मन के भीड़ सकलाय रहय|बबा सभास्थल म पहुँच गँय| बने दुरिहा ले लकड़ी ,बाँस-बल्ली  के घेरा बने राहय |  मँचान हर लाल किल्ला कस जगबग ले सजाय गे राहय |गोठकाहर मन बर बड़ेच धियान देके रइपुर ले साउंडसर्बिस मँगाय गे रहिस जेकर ले कोसभर म बगरे मनसे मन ल सरकार के गोठबात के, अउ सरकारी घोषणा के जानकारी होजय| 

कइ लाइन के टेबल खुर्सी मन मा कई विभाग केओहदादार पदबी बाले मनबर जमे हे| साहेब सुबहा मन अजगर मन बरोबर अइठे गोइठे बैठे राहँय|  टेबल भीतर के होय कमई ल कइ झन मन पान संग पगुरावत राहँय|

 *अउ नवा बोकरा के तलाश म मन लगाय रहँय ताकि आफिस बुला* *के नवा चोंचला के नाम ले टेंटी गरम जा सकय|उँकर जीव छटपटात रहपय मलाई बर|हितगराही मनल डसे बर जीभ निकाले घड़ियाल अउ अजगर मन मँचान तीर सोफा म फसरेराहँय |डोमी अउ कोबरा किसिम के सेवादार,सेवक चाकर मन बर मंचान के बीच म सादा अलवान वाले टेबिल घलो लगे राहय|* बिखहर मनबर अलग से मुसवा भठइला के फाँदा लगे रहय|

हाथी कस लावलसगर वाले  मन बनझार के साल सैगोन ल उजार के जउन हरियर खेती धनहा के संदेश देबर आय रहँय,अउ भारीभरकम  सरीर वाले रसद पानी बिभाग के साहेब मन बैठे राहँय|  बड़े हुँशियार बिभाग बाले साहेब मन  सफेद सफेद घोड़ा असन सजे राहँय उन ल अपन विभाग के दौड़ ल जीते के भारी संसो राहँय | *उमन घोड़ा कस बड़ हिनहिना हिनहिना के किसान मन ल सीखोवँय, रिझावँय ,समझावँय* | के तुरते ताही किसान ल नफा होव इया हे|कुछ मन तो सहिच मा हाँथी कस राहँय , उँकर खाय के दाँत आने अउ देखाय के आने राहँय | आज ओमन भी| *सरपंच पति तो आज 

बड़ झन कुकुर -माकर मन ल सकेले ये टेबल ले वो टेबल दौड़त हे के वो कर पंचायेत के जम्मो समसिया झर जही|कुछ मन खा पी अउ चाँट पूँछी डोलावत राहँय | ते कुछ मन जे नइ खाय नइ पाय  रहँय उँकर  लार टपकत रहय|

बबा एक झन कनकट्टा बेकाबू  मेर अभर गे कहे लगिस मोर आवास ल दे| *मुँह मटकावत * * बेकाबू पूछिस तोर का नाव हे? बबा* कहिस उकील बताय हे  मोर नाव आगू हे| बाबू फेर कहिस तोर का नाव हे?बबा ल गुस्सा आगे, मैं इसकूल म भर्ती होय ल आये हँव त नाव पूछत हस| देख बने देख उकील बताय हे मोर नाव ल |

उही ल बता *तोर नाव का हे?* 

बबा कहिस मंत्री | जोक किसिम के बहुतझन बेकाबू मन लहू पिये टकरहा घाँव खोजत राहँय |

सहिंच कहे गे हे| माछी खोजय घाँव राजा खोजँय दाँव | बबा के ताव देख के बड़े बड़े के सटइ बटइ खुशर जय | फेर बबा नाव के चक्कर परगे| ओकर नाव आवास म नइ राहय | बाबू नाव खोज डरिस | सिधवा गोरू बरोबर मुड़ी पुछी ल हिला दिस| अइसे बबा सरकारी चोंचला के सबो बिभाग म जा देखिच| सब के सब पूछिन तोर नाव का हे? बबा नाव पूछई म  अकलिया गे |फेर बबा भूइँया नाप जोख बिभाग डहन बढ़ गय | उँहा ढोढ़िया, मुलहेड़ी पिरपिटिया मन लमे राहँय| सनमुख  जरीब धरे अउ बाना बिंदरा बगराये भेट डरिस | कहे लगिस मोर आवास नइ आय हे ,अउ तैं तो मुआवजा मिलही कहे रहे न ओ चना के कहाँ हे|भूइँया बाले पूछिस *तोर नाव का हे?*  मंत्री कहिस बबा तिहाँ  ओला तोउही  समे साँप सुंघ गय हुकीच न भूँकीच बाजू साहेब डहन देखे लगीस| बबा कुबेर बिभाग म पहुँच गे बिभाग परमुख ह महमंडल कस खुरसी म.जीभ लमाये  बइठे राहय फूँसरत| न तो मोर आवास आये हे और न मुआबजॎ मिले हे तँय का बोले रहे गाँव म आके खेती बर किसानी रिण मिलही | पास करव मोला बहुते जरूरत हे| सीलहदार के कम्पुटर आपरेटर कथे *तोर का नाव हे?* पुँछते राहय के उड़नखटोला म बैठे,  अकाश मारग ले  परमुख मंत्री के उतरई होगे | कुकुर माकर मन जय कहिके बोमियाये ,अउ उपर कति हाथ डोलाय लगीन|

        सिम्बा कस ठाठ धरे परमुख अउ संगेसंग  हाँव हाँव करत एक दूठन सुनहर मन मँचान मा चढ़ गे|

 दू तीन मिनट ले चिचियाये लगीन| कुछ एक खिसोरी मन खाल्हे ले खिशोरत राहँय |आंतर तेल छिंत डरिन फूल माला सुवागत होगे| सेखीबघारे के समे होगे| अपन पीठ ल थपकत अपन गेंग ल पुचकारत ,सिम्भा दहाड़े ल धर लिच के हमर राज म सबो किसान जवाँन सरग कस झुला झुलत हवँय| कोनो जिनिस के कमी नइ  होही|आज बड़े बने के दिन आय दुख भूँख गरिबी खतम | सबो जिनिस बँटा गे|इही खुशी म सबो किसान ल एक एक झउँहा फोकट म बाँटे जाय मोर हाथ ले जे किसान पाही ओ सबले सफल किसान आय| तहाँ का पुछबे परमुख के भभकउनी म फोकट लालच म झउहा बर झपागें| बबा घलो अपन डोकरी के सुरता करत गोबर माटी म डोकरी सना जथे, के मया म नवा फोकटहा

झउहा गोबर उठाय बर माँगे चल दिस | लेकिन धक्का मुक्की म बबा चपका गे| सुरक्छा बेवस्था वाले मन लाठी भांजत भींड़ ल काबू कर लिन | लेकिन बबा भीड़ म दबगे राहय बेहोश परे राहय  | मुड़ म झउहा तोपा गे राहय |

स्वास्थ्य बिभाग के दू झन हंसकइना मन बबा ल उठा के लेगय पानी छित के जगाय के कोशिश करिन| नारी चलत रहय| थोर किन देर बाद बबा ल होश आगे | त हंसकइना मन पुछिन तोर नाव का हे|बबा धीरे कन करवट बदलत परलोक सिधार गे|यम के दूत  जीव आत्मा ल लेगे बर आगे|

 *यम के दूत मन घलो का आत्मा ल पुछिन तोर का नाम हे??* 


 व्यंग्य- अश्वनी कोसरे 

 कवर्धा कबीरधाम

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