Monday 14 September 2020

पुरखा के सुरता- भाव्याजंलि

 पुरखा के सुरता- भाव्याजंलि


'डॉक्टर नरेंद्रदेव वर्मा जी'


     हमर ये छत्तीसगढ़ माटी ल धन्य करइया हम सब ल जेखर ऊपर गर्व होथे ओमा एक नाम डॉक्टर नरेंद्रदेव वर्मा जी के भी आथे। डॉक्टर नरेंद्रदेव वर्मा जी के जनम 4 नवंबर 1939 के ग्राम सेवाग्राम वर्धा म श्री धनीराम वर्मा गुरुजी घर होय रिहिस। बचपन ले पढ़ई लिखई म बहुत  हुशियार रिहिन। 8 सितंबर 1979 के रायपुर म आखिरी साँस लिन।

            डॉक्टर नरेंद्रदेव वर्मा जी वइसे तो छत्तीसगढ़ी भाषा के जाने माने कवि रिहिन। हिंदी भाषा म घलो अच्छा पकड़ रिहिस। कुशल वक्ता, गम्भीर प्राध्यापक भाषाविद अउ संगीत के मर्मज्ञ रिहिन। इँखर जिनगी म स्वामी विवेकानंद अउ  बड़े भाई स्वामी आत्मानन्द जी के बहुत प्रभाव पड़े रिहिस।

            सागर विश्व विद्यालय ले 1966 म प्रयोगवादी- काव्य साहित्य शोध प्रबंधन बर पी एच डी अउ 1973 म पंडित रविशंकर विश्व विद्यालय रायपुर ले भाषा विज्ञान म एम ए करिन। छत्तीसगढ़ी लोककला मंच  सोनहा बिहान के गठन करिन अउ अपन कुशल मार्गदर्शन ले देश दुनियाँ म छत्तीसगढ़ राज अउ छत्तीसगढ़ी भाखा के महक ल बगराइन।

     इँखर  छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह - अपूर्वा बहुत लोकप्रिय किताब हे। हिंदी भाषा म घलो किताब लिखिन- सुबह की तलाश(उपन्यास), छत्तीसगढ़ी भाषा का उदविकास, स्वछंदतावाद एवं प्रयोगवाद का वर्णन।

           'मोला गुरु बनई लेते' इँखर लिखे छत्तीसगढ़ी प्रहसन बहुत प्रसिद्धि पाइस। 3 नवंबर 2019 के इँखर लिखे गीत 'अरपा पइरी के धार' ल छत्तीसगढ़ राज के राजगीत घोषित करे गिस।


संकलन- ज्ञानुदास मानिकपुरी

3 comments:

  1. विह ज्ञानु भाई,सुंदृ जानकारी दिये हव🙏🙏

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  2. बहुत सुग्घर गुरुदेव जी

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  3. वाह भाई सुग्घर जानकारी

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