Monday 14 September 2020

छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी के अंतर सम्बन्ध*-- *एक विमर्श*

 *छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी के अंतर सम्बन्ध*-- *एक विमर्श*

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हमर बहुतेच मीठ महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी के इतिहास हजारों साल पुराना हे। एकर विकास यात्रा म अनेक पड़ाव आय हे। आज जेन स्वरूप म एला बोलथन ,पहिली ओइसन नइ रहिसे। भाषा ल कलकल बोहावत पानी कस कहे जाथे। भाषा ह कभू ठहरे नइ राहय।

   छत्तीसगढ़ी के विकास कइसे होइच तेला जाने के पहिली वोकर उतपत्ति कहाँ ले होइच तेला समझना जरूरी हे।

  भाषाशास्त्री मन के कहना हे कि-- छत्तीसगढ़ी के जन्म *पूर्वी हिंदी* के एक रूप *अर्ध मागधी* ले होये हे। अर्ध मागधी के दू झन बेटी--अवधी अउ छत्तीसगढ़ी।

   ए दुनों सहोदरा( अवधी अउ छत्तीसगढ़ी) के रूप-रंग, हाव- भाव अउ संस्कार ह अबड़ेच मेल खाथे।

  इन दुनों के समानता ल अइसे भी समझे जा सकथे कि अवधी बोली जेन अवध क्षेत्र म बोले जाथे तेला प्राचीन काल म कोशल अउ अभी छत्तीसगढ़ी जेती बोले जाथे तेला दक्षिण कोशल कहे जाय।दुनों म कोशल हे। तइहा त्रेता युग ले दुनों के राजा अउ प्रजा मन के बीच निकट के राजनैतिक अउ पारिवारिक सम्बन्ध हे।वो समे के दक्षिण कोशल के राजा भानुमंत के दमाद राजा दशरथ ह अवध के राजा रहिसे।

     अभी एक हजार साल पहिली तक हमर छत्तीसगढ़ के राजधानी रतनपुर  रहिसी अउ हैहयवंशी राजा मन के राज रहिसे ।ए वंश के राजा मन ए भाखा ल फैलाये म अब्बड़ योगदान दे हें।

       उपर के लिखे बात मन ले पता चलत हे कि पूर्वी हिंदी  या अर्धमागधी जेला हमन *हिंदी* कहिथन तेकर अउ *छत्तीसगढ़ी* के बीच जइसे एक महतारी अउ बेटी म सम्बन्ध होथे ओइसने *अंतर सम्बन्ध* हे।

  जइसे बेटी ह अपन दाई के गहना ल पहिन लेथे ओइसने छत्तीसगढ़ी के बहुत अकन शोभा हिंदी जइसे दिखथे।

 दूनो के लिपि *देवनागरी* हे।

संस्कार एके हे। जहाँ तक *वर्णमाला* के बात हे त एमा भले मतभेद होही फेर ५२ वर्ण ह आज बोले अउ लिखे दूनो जावत हे।

       *हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी म न तो कभू विरोध रहे हे न होना चाही।*

 जेला हमन छत्तीसगढ़ी के प्राचीन कवि कहिथन उन मन  संस्कृत अउ हिंदी म जादा लिखे हें।

     आज जरूरत हे महतारी भाखा म साहित्य के कोठी ल   भरे के। ए उदिम म आप ,हम सब लगे हावन।

*जय छत्तीसगढ़ी-- जय हिंदी*


चोवा राम वर्मा ' बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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