Thursday 3 September 2020

चक्कर म चक्कर-चोवाराम वर्मा बादल

 चक्कर म चक्कर-चोवाराम वर्मा बादल

              (व्यंग्य)

 ये संसार म अइसे कोनो मनखे आरूग नइ होही जेन ह  कुछु कुछु के चक्कर म नइ  परे होही। सबके अपन अपन चक्कर हे। ये चक्कर मन ल देखबे -सुनबे त चक्कर आये ल धर लेथे ।

          भक्त मन अपन-अपन भगवान ल खोजे अउ पाये के चक्कर म परे हें। एकर बर कतको झन उपग्रह सहीं अपन-अपन ग्रह---पंडित, मुल्ला, मौलवी, पादरी, गुरू, संत ,साधू ----बहुरूपिया मन के चक्कर लगावत हें।अउ ये कतको किरहा गिरहा मन कामिनी कंचन के चक्कर म परे हें। ये  चक्कर म कई झन जेल पहुँच के कानून के चक्कर लगावत हें। बस चक्कर उपर चक्कर हे।

         रकतबीज असन बाढ़त प्रजाति जेन नेता कहे जाथें। उँकरो चक्कर मरई कमती  नइये। रात दिन कुर्सी के चक्कर हे। कभू टिकट पाये बर चक्कर हे, त कभू एक दल ल किरनी असन चूहक के दूसर दल म जाये के चक्कर हे। कुर्सी मिलगे त कमीशन के चक्कर हे, भाई भतीजावाद जातिवाद, वोट बैंक  के चक्कर हे। बाँचे खोंचे म  चिखला फेंके के मुकाबला म भाग लेके एक दूसर ल होले पढ़के निपटाये के चक्कर हे।

   ए.सी. रूम में बइठे बड़े-बड़े दिमाग मन  आलतू फालतू योजना बनाके  पांँचो अँगरी ल घी म चिभोरे ऊपर ले खाल्हे तक खुरचन पानी रूपी प्रसाद के व्यवस्था करके खजाना ल दियाँर किरा कस सफाचट करे के चक्कर म परे हें। ये दिमाग मन के नाना विभाग जिहाँ जोंक मन रहिथें ।वो मन तैं पलोवत जा ,मैं सोंखत हँव कहिके गीत गावत मुफ्तखोरी के चक्कर म परे हें।

             अनुभवी मन बताथें के थाना, कचहरी अउ अस्पताल के चक्कर सबले भारी चक्कर होथे। उहाँ सेवा के आड़ म मेवा झड़के के चक्कर म बड़े-बड़े बन बिलबा अउ बिलई मन सीका टूटे के चक्कर म ताकत रहिथें।

     एक झन बतावत रहिसे--वो ह डंडाधर टोपीवाले के चक्कर म परे हे।  वो डंडा धरे बड़े-बड़े मेंछा वाले ह आवेदक अउ अनावेदक दूनों ल टोपी पहिना के गाय असन दूहे के चक्कर म हे। एक झन ह तो इहाँ तक काहत रहिसे वोकर खाकी के कुरता ल पाकिट मार अउ चोर मन खरीद के दे हें।  

      एक झन कचहरी के चक्कर के मारे संदउवा काड़ी कस दुब्बर पातर होये ह बतावत रहिसे - करिया कोट वाले मन के चक्कर म परके केस लड़त लड़त वोकर ददा के ददा के ददा सिरागें फेर  फैसला होबेच नइ करिस। बस तारीख के ऊपर तारीख के चक्कर हे।

    मोर एक झन कका ह समझावत रहिसे के सरकारी अस्पताल के चक्कर म कभू झन परबे काबर के उहाँ बड़े बीमारी ल कोन काहय दाँत पीरा,खजरी खसू जइसे छोटे-छोटे बीमारी के इलाज के चक्कर म गये मनखे के मुर्दा लहुटे के पूरा संभावना रहिथे।उहाँ माला कस ओरमाये सादा-सादा पहिने यमराज अउ वोकर दूत मन चक्कर लगावत रहिथें। मैं कहेंव- बने बताये कका फेर  वो दिन मंगलू ह चार मंजिल के बड़े जान प्राइवेट अस्पताल म माथा पीरा के इलाज करवाये बर गे रहिसे। उहाँ तीन दिन म तीन लाख के बील ल देख के वोला चक्कर आगे । चक्कर खाके पट ले गिरिस तहाँ ले राम नाम सत्य होगे।वोकर घर वाले मन लाश ल पाये बर चक्कर लगावत हें।सबो जगा एके हाल हे।

  जेती देखबे तेती, जेन ल देखबे तेन ल बस चक्कर ऊप्पर चक्कर हे।कुछ झन चक्कर म डारे के चक्कर म हें त कुछ मन चक्कर म चिथियायें हें।

   गुरु घंटाल मन  लॉकडाउन बाढ़ते राहय के चक्कर म हें जेकर ले गप्पशाला जिहाँ पाठशाला के बोर्ड टँगाये हे, जायेच ल मत परय। घरेच म बइठे-बइठे बरवाही मिलते राहय।ओइसने चेला चपाटी मन तकों परीक्षा के छाती म होरा भूँजे के चक्कर म हें। 

       कोनो  सब ले जादा चक्कर म परे हे त वो ह भुँइयाँ के भगवान हर आय। एकर चक्कर सिराबे नइ करय। बिजहा,खातू माटी के चक्कर, सोसाइटी म धान बेंचे के चक्कर, बैंक के चक्कर, नक्शा खसरा बनवइया के चक्कर,करजा लिखइया के चक्कर, नहर पानी के चक्कर चक्कर --- चक्कर ---चक्कर--- चक्कर --चक्कर। रात दिन चक्कर।

  मैं सोंचथवँ -ये चक्कर के बीमारी सिरा जतिच त सबके जिनगी कतका बढ़िया हो जतिस।


चोवा राम वर्मा 'बादल '

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