Monday 14 September 2020

छत्तीसगढ़ी अउ हिन्दी मा अंतर्संबंध*

 *छत्तीसगढ़ी अउ हिन्दी मा अंतर्संबंध*


आज विदुषी सरला दीदी बिहनिया ले छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी के अंतर्संबंध उपर बहुत सुंदर ढंग ले बात रखिन। विषय के उपर आंखी खोले बर बड़ नीक लेख रहिस ।


विषय विशेष मा बहुत सुंदर बखान बादल गुरु के घलो पढ़े बर मिलिस ।आदिकाल से लेकर आज पर्यंत हिंदी अउ छत्तिसगढ़ी के अंतर्संबंध के व्याख्या बहुत व्यवस्थित तरीका ले आप करे हव।


ये लोकाक्षर के कमाल हरे कि अनवरत विचार के आदान प्रदान अउ पुरखा मन के ग्रंथ ले निकले संदर्भ ले हमर ज्ञानक्षेत्र विस्तृत होवत हे। आज के पीढ़ी ला आज अइसे प्रकाशपुंज मिल गए हे कि छत्तीसगढ़ी के गौरव ला बढ़ाय बर विश्वास के साथ आगू बढ़त हे। आज अइसे सैकड़ों युवा रचनाकार आप ला दिख जहीं जउन मन बहुत गंभीर लेखन छत्तीसगढ़ी मा करत हे।इहाँ गुरु मन के समुह सतत मार्गदर्शन करत हें। 


लोकाक्षर समुह के भूमिका घलो हा कोनों गुरु ले कम नइ हे।अइसन पहिली मंच देखत हंव जउन गुरु मन ला उदारता से ज्ञान बांटे बर हृदय खोले के मौका दे दे हे। अउ ज्ञान ला झोकइया मन गदगद हे ।जेमन समुह ला गंभीरता से लेवत हें उॅकर कलम दिन दूनी रात चौगुनी फलत फूलत हे। ये बात ला हमन सबो झन अपन आंखी मा देखत हंन।

*छत्तीसगढ़ी अउ हिन्दी के अंतर्संबंध ले राम जइसे व्यक्तित्व के उदय होथे।* जउन आरिंग अउ अयोध्या के संबंध हे उही हिंदी अउ छत्तिसगढ़ी के संबंध हे। संस्कृत अउ हिन्दी ले निकल के जब महाभारत पंडवानी के रूप ले लेथे तब भीम जइसे महानायक एक विशाल क्षेत्र के जन समुदाय के घलो शक्ति श्रोत बन जथे। हां छत्तीसगढ़ी ला अइसन महान विद्वान मन ले बचाय के जरूरत हे जउन मन हिंदी के कोष ला बढ़ाय बर द्विचक्रवाहिनी अउ लौहपथगामिनी के रचना करे हे। छत्तीसगढ़ी ला सहज सरल निर्मल नदिया कस बहन देवंय।

अवधिया भोजपुरिहा अउ अउ ठेठ छत्तिसगढ़िया जब संग बइठ गोठ करथे त भाषा के त्रिवेणी संगम गजब दर्शनीय रहिथे। पता ही नइ चलै कि तीनों अपन अपन भाषा मा बोलत हे। काबर विचार प्रवाह मा कहूँ रुकावट आबे नइ करै। गंगा बन के हिंदी के विराट स्वरूप के दर्शन कराथे।

अभी छत्तीसगढ़ी नवा करवट लेवत हे। नवा ऊर्जा अउ नवा प्रवाह के साथ। चिंतन अउ विचारशीलता के साथ। स्वाभिमान के साथ। मठाधीश मन घलो संसो मा पर गे हे। काबर ये प्रवाह अतेक ताकतवर हे कि ओकर मन के रोका छेका के गुनवत्ता अब दांव मा लग गेहे। जउन मन मिंझर के नइ रेंग सकत हे उंन मन बड़ दिक्कत मा हे ।अच्छा होही कि जइसन ए समुह मा ज्ञान के भंडार सब बर खुल गे हे वइसने वहू मन अवइया पीढ़ी बर उदारता दिखावय।

छत्तीसगढ़ी ला अभी बहुत दूर चलना हे। हिंदी एक मार्गदर्शक भाषा हरे हमर बर। चाहे गद्य बर कहौ चाहे पद्य बर। आने वाले समय मा छत्तीसगढ़ी भाषा के अंदर छूपे बहुत अकन आंतरिक क्षमता अउ गुण के घलो दर्शन होही, जउन दूसर भाषा मा नइ दिखै। हमन छत्तीसगढ़ी काव्य मा जइसे जइसे अंदर जावत हन वइसे वइसे ये भाषा के कतको अनोखा रूप के दर्शन होवत हे।

 ला अउ ल गा अउ ग ता अउ त मा अउ म जइसन शब्द मन लिखने वाला मन ला बड़ संसय मा डार देथे।एमा एक रूप ला मानक मान के चलना मुश्किल हे, काबर काव्य रचना संसार के विस्तार मा असर पडही। दूसर बात अगर कोनों एक रूप ला मानत हस त उच्चारण ला दृष्टिगत रख के मात्रा उठाय अउ गिराय के छूट दे लागही।

अइसन बहुत अकन बात हे ।जउन आनंदित करथे रचनाकार ला भाषा के चमत्कारिक गुण हा। अभी तक कतको विद्वान मन छत्तीसगढ़ी ला काम चलाय के दृष्टिकोण से देखत रहिन अउ अभो देखथे ।उन अपन दृष्टिकोण के लिए स्वतंत्र हे, फेर छत्तीसगढ़ के धरती उही ला सुरता करही जउन छत्तीसगढ़ी ला हृदय ले आत्मसात करके कुछ बड़े काम करही। छत्तीसगढ़ी के बलि चघा के स्वार्थ के नीति मा चलने वाला मन ला अब सतर्क हो जाना चाही। अउ बलि उही मन देथे जे मन छत्तीसगढ़ी अउ हिन्दी के ऐतिहासिक पौराणिक अंतर्संबंध ला भूला के अपन स्वार्थ ला ही सर्वोपरि रखथे।


बलराम चंद्राकर भिलाई 

🙏🙏🙏🙏🙏

4 comments:

  1. धन्यवाद खैरझिटिया जी आलेख ला गद्य खजाना मा स्थान दे बर ।आने वाला समय मा इही मन हमर साखी रही।

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  2. बहुत सुघ्घर जानकारी दिये हव भैया..ए अनमोल धरोहर के रुप मा सदा आने वावा पीढ़ी मन ला मिलही🙏🙏
    बधिई हो भैया💐💐💐

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  3. गज़ब सुघ्घर सर

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  4. बहुत सुग्घर जानकारी सर जी

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